माया का अठावले को जवाब, समय आने पर अपनाऊंगी बौद्ध धर्म
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने रिपब्लिकन पार्टी आफ इण्डिया (आरपीआई) नेता रामदास अठावले पर हमला बोलते हुए कहा है कि वह यूपी में दलित वोटों में सेंध लगाने में नाकामयाब भाजपा के हाथों में खेल रहे हैं। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि वह समय आने पर करोड़ों दलितों के साथ कांशीराम की इच्छा के मुताबिक बौद्ध धर्म अपनाएंगी।
मायावती ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी में दलित वोटों को बांटने के लिए जिन कुछ गुलाम मानसिकता वाले लोगों को अपनी सरकार में मंत्री बनाया है, उनमें अठावले भी एक हैं। जिन्हें बाबा साहब अंबेडकर व उनके मानवतावादी मूवमेंट के बारे में कुछ मालूम नहीं है। लोगों को बरगलाने के लिए मेरे बौद्ध धर्म अपनाने के बारे में गलत बयान दे रहे हैं और यह कह कर वह भाजपा के हाथों में खेल रहे हैं। बोलने से पहले अठावले को इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि बाबा साहब ने काफी पहले संकल्प लेने के बावजूद अपने देहांत के ठीक पहले ही बौद्ध धर्म को क्यों अपनाया था। अठावले ऐसा कह कर बाबा साहब की भावना को आहत कर रहे हैं।
मायावती ने आरोप लगाया कि बाबा साहब के देहांत के बाद ऐसी ही बिकाऊ व स्वार्थी मानसिकता रखने वाले लोगों के हाथों में आरपीआई आ गई थी, जिसके कारण बाबा साहब का आंदोलन उनकी जन्मभूमि महाराष्ट्र में दम तोड़ गया। जबकि बाबा साहब परम अनुयायी व उनके मूवमेन्ट को एक नए बीएसपी मूवमेन्ट के नाम से शुरू करने वाले बसपा संस्थापक कांशीराम ने आजीवन देश भर में लोगों को जागरूक करने का काम किया आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सत्ता की मास्टर चाबी स्वयं अपने हाथ में लेकर सरकार बनाई।
बसपा अध्यक्ष ने कहा है कि भाजपा को यूपी में अपनी बाजी हारती हुई साफ नज़र आ रही है। इस कारण अब वह धर्म की आड़ में भी राजनीति करने का प्रयास कर रही है। इसके तहत ही पर्दे के पीछे से 'बौद्ध धर्म यात्रा' शुरू की गई है। परंतु इसके विरोध को देखते हुए अब भाजपा ने गुलामी की मानसिकता रखने वाले कुछ दलित व पिछड़े वर्ग के नेताओं को आगे करके अपनी स्वार्थ की राजनीति शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म के उपदेशों पर चलना ज्यादा जरूरी है।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि बौद्घ धर्म की प्रशंसा आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने राजनीतिक स्वार्थवश हमेशा ही करते रहते हैं, परन्तु बौद्ध धर्म के उपदेशों के ठीक विपरीत काम करके वे उनके मानने वालों का हक छीनते हैं व शोषण व अत्याचार करने वालों को हर प्रकार का संरक्षण देते हैं। केंद्रीय मंत्री को ऊना कांड पर मोदी से ही जवाब पूछना चाहिए।