बाल-विवाह में इलाहबाद राज्य में पहले स्थान पर, जिनमें ज़्यादातर लड़कियां हैं

2011 के जनगणना के आंकड़ों के विस्तृत विश्लेषण के अनुसार उत्तर प्रदेश में मौजूदा विवाहित लोगों में से 21% ऐसे थे जिनका विवाह बचपन में ही हो गया था. हालाकि पुरुषों और महिलाओं में तुलनात्मक रूप से इस आंकड़े में भारी अंतर पाया गया. जहां विवाहित पुरुषों में 10% का विवाह बचपन में ही हो गया था वहीं विवाहित महिलाओं में 31% महिलाएं ऐसी थी जिन्हें बचपन में ही ब्याह दिया गया था. ये आंकड़े राष्ट्रीय औसत, जो कि महिलाओं के लिए 30% और पुरुषों के लिए 7%, से ज़्यादा हैं
क्राइ की स्थानीय निदेशक सोहा मोइत्रा बताती हैं,” ये आंकड़े बहुत चौंकाने वाले हैं और इनसे हमारे तंत्र में मौजूद भारी गड़बड़ी का पता चलता है. कानून, सरकारी पहल और इस विषय को लेकर बढ़ती हुई जागरूकता के बावजूद ये स्थिति बनी हुई है. परम्पराओं, संस्कृति और lqj{kk की ओट में बालविवाह आज भी व्यापक स्तर पर प्रचालन में बना हुआ है जिस कारण बच्चे अपने अधिकारों का लाभ नहीं उठा पा रहे. ‘सामाजिक रूप से मान्य’ यह व्यवस्था उन्हें न केवल शिक्षा से दूर रखती है बल्कि इस वजह से बच्चियों को कुरीतियों और घरेलू हिंसा का शिकार भी होना पड़ता है”.
इस बात को अब भी गंभीरता से नहीं लिया जाता कि इस सदियों पुरानी परंपरा से स्वास्थ्य सम्बंधित कई खतरे भी जुड़े हैं. बालविवाह के परिणामस्वरूप असामयिक गर्भावस्था की स्थिति आ जाती है और अक्सर इन मामलों में मां और नवजात बच्चे की मृत्यु तक हो जाती है. इस स्थिति में कम वज़न के बच्चे के जन्म का खतरा भी रहता है जो बाद में चलकर कुपोषण का शिकार भी हो सकता है.
जनगणना के आंकड़े प्रदेश में बालविवाह करने वालों की संख्या पर भी प्रकाश डालते हैं और जो आंकड़े सामने आये हैं वो भी उत्साहजनक नहीं हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में करीब 13.5 लाख बालविवाह हुए. जिनमें से 67% महिलाओं के मामले थे. आश्चर्यजनक रूप से गाजियाबाद NCR का हिस्सा होते हुए भी राज्य में विवाह दूसरे नंबर पर है ।
सारणी : बालविवाह के आंकड़े –जनगणना 2011
राज्य/ज़िला कुल बालविवाह पुरुष महिलाएं
UTTAR PRADESH 1,361,386 444,849 916,537
ALLAHABAD 48163 16731 31432
GHAZIABAD 37835 14416 23419
AGRA 34811 11982 22829
GORAKHPUR 34536 11338 23198
BAREILLY 33820 10711 23109

मोइत्रा आगे बताती हैं “दीर्घकालिक परिवर्तन लाने के लिए कानूनों को सख्ती से लागू किये जाने (जिनमें बच्चों की उम्र के निर्धारण के लिए जन्म और विवाह का पंजीकरण शामिल है) और उनका उल्लंघन करने वालों को सज़ा दिए जाने के साथ समुदायों के व्यवहार और रवैय्ये में परिवर्तन लाने की भी सख्त ज़रुरत है. क्राइ के अपने अनुभवों में हमने पाया है कि परिवारों को संवेदनशील बनाने, समुदायों और स्थानीय अधिकारियों के साथ काम करने से सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है”
शिक्षा का अभाव या उसमें होने वाला व्यवधान बालविवाह के उन्मूलन में मुख्य रुकावट है. स्कूल छोड़ने वाले बच्चे की जल्दी विवाह होने की संभावना बढ़ जाती है. शिक्षा के अधिकार अधिनियम की सीमा को 18 साल की उम्र तक बढ़ा देना किशोरावस्था की उम्र के बच्चों के बड़े हिस्से के लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है खासकर उन लड़कियों के लिए जिनकी आयु 14-18 साल के बीच है.