नहीं रहे बाबरी मस्जिद के पैरोकार हाशिम अंसारी
नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद के सबसे बुजुर्ग मुद्दई हाशिम अंसारी का निधन हो गया है। वह 96 साल के थे। उनका अंतिम संस्कार आज शाम अयोध्या में होगा। उन्होंने अयोध्या में मंदिर और मस्जिद अगल-बगल बनाने की पेशकश की थी। वे चाहते थे कि वहां सरकारी क़ब्ज़े वाली 67 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बन जाएं और उनके बीच एक 100 फ़ीट ऊंची दीवार बना दी जाए। इस तरह वह इस मसले को अदालत के बाहर हल करना चाहते थे। हाशिम अंसारी कई सालों से बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक़ का मुकदमा लड़ रहे थे।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बाबरी मस्जिद गिराने के मामले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के दिवंगत नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने अयोध्या में विवादित स्थल पर मौजूद मस्जिद तुड़वाई थी। अपने आवास पर मीडिया से बात करते हुए हाशिम ने बाबरी मस्जिद को बचाए न जाने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा था कि 'उन्हें (राव को) पहले से इस मामले की जानकारी थी, फिर भी कोई कदम नहीं उठाया गया। इसलिए मैं मानता हूं कि इस मामले में उनकी मुख्य भूमिका थी, भले ही वह मस्जिद गिराने के मुकदमे में मुलजिम नहीं बने।'
उन्होंने कहा था कि इस घटना के बाद नरसिम्हा राव ने मस्जिद को दोबारा बनवाने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने देश के मुसलमानों के साथ धोखा किया, मस्जिद नहीं बनवाई। निराश होकर उन्होंने कहा था कि शायद हमारे मरने के बाद मंदिर-मस्जिद का फैसला होगा। हाशिम अंसारी ने भाजपा और कांग्रेस पर इस मामले में आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों ही दल राजनीति कर रहे हैं और मुद्दे का हल निकालने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
हाशिम अंसारी को शायद आज कोई नहीं जानता और पहचानता, अगर वह राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के एक पैरोकार न होते। उनकी दुनियाभर में पहचान का यही सबसे बड़ा आधार है। 1921 में पैदा हुए हाशिम अंसारी ने 1949 में पहली बार इस मामले में एक मुकदमा दर्ज करवाया था जब विवादिद ढांचे के भीतर कथित रूप से मूर्तियां रखी गई थीं। उनका कहना था कि लोगों के कहने के कारण ही उन्होंने ऐसा किया था। गौरतलब है कि 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस मामले में एक केस किया तब भी हाशिम अंसारी एक और पैरोकार बने।
1975 में जब देश में इमरजेंसी लगाई गई थी तब भी हाशिम अंसारी को गिरफ्तार किया गया था और करीब 8 महीने वह जेल में रहे।