‘ज़ाकिर नाइक एक दूषित मानसिकता का शिकार’
मक्का और मदीना की सऊदी अरब से आज़ादी की मुहिम
लखनऊ: भारतीय मुसलमानो ( सूफी सुन्नी और शिया ) ने संयुक्त रूप से पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के रौज़े के पास आत्मघाती हमले की कड़े शब्दों में भर्तसना करने के साथ साथ गम और गुस्से का इज़हार किया ।
आम सहमति के साथ एक प्रस्ताव पारित किया की हेजाज़ (मक्का और मदीना) वहाबी/ सलफ़ी सऊदी तानाशाहों के नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए और अलग-अलग धर्मो के बीच घृणा फैलाने वाले ज़ाकिर नाइक और ज़ाकिर नाईक जैसे लोग चाहे वह किसी भी धर्म के मानने वाले हो उनके खिलाफ उचित कार्यवाही करनी चाहिये ।
प्रेस वार्ता में मौजूद सभी वक्ताओं ने फ्रांस के नीस में फ्रांस राष्ट्रीय दिवस के जश्न के दिन हुई आतंकी हमले कि कड़े शब्दों में निंदा की।
प्रेस वार्ता में मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा, जिस तरह से वहाबी/सलफ़ी आतकियों ने इस्लामिक धरोहरों तथा इंसानी ज़िंदगियों का अनादर किया है इससे यह बात स्पष्ट हो गयी है कि यह वहशी दरिंदे पूरी दुनिया-ए-इंसानियत को तबाह और बर्बाद करने और खौफ व दहशत का माहौल पैदा करने जैसे घिनौने कृत्य को अंजाम दे रहे है | उन्होंने और कहा की ज़ाकिर नाइक जैसे लोग जो समाज में ज़हर घोलने का काम कर रहे है | सभ्य समाज से सम्बंधित लोगो को एकजुट होकर इनके धार्मिक उन्माद फैलाने के घिनौने मक़सद का पर्दाफाश करने कि ज़रूरत है और इस खतरनाक, शैतानी, वहाबी/सलफ़ी विचारधारा से आगाह करने कि सख्त ज़रूरत है।
मुफ्ती अबुल इरफान फिरंगी महली ने कहा, मै ऐसे पूरी दुनिया में दहशत फैलाने वाली घटनाओं से क्षुब्ध है तथा उन्होंने कड़े शब्दों में निंदा करने के साथ कहा कि वहाबी/ सलफ़ी विचारधारा न सिर्फ इंसानियत के विरुद्ध है बल्कि इस अमानवीय ज़हरीली वहाबी/सलफ़ी विचारधारा ने पूरी दुनिया में इस्लामी सांस्कृतिक धरोहरों को नष्ट करने के साथ साथ सभ्य समाज के विरुद्ध शत्रुता का कार्य कर रहे है| उन्होंने मसंजिद-ए-नबवी पर आत्मघाती हमले को पूरी दुनिया के मुसलमानो की जानो की जान पर हमला बताया है।
सय्यद अय्यूब अशरफ साहब ने कहा, की मदीना शरीफ में हमला करने वालो का मक़सद पूरी दुनिया के अमन को खतरे में डालना है | उन्होंने कहा की पूरी दुनिया का मुसलमान मदीना को अपनी जान से ज़्यादा अज़ीज़ जानता है । उन्होंने इमाम-ए-हुसैन (र) के कथन को दोहराया की ज़ुल्म के खिलाफ "जितनी देर से उठोगे उतनी ज़्यादा क़ुरबानी देनी होगी"।
सय्यद बाबर अशरफ अध्यक्ष सदा-ए-सूफिया-ए-हिंद ने कहा, इस्लामी पवित्र स्थानों एवम इस्लामिक धरोहरों पर हुए हमले आत्मा और मानवता के विवेक पर सबसे विनाशकारी हमला है।
वक़्त का तकाज़ा है की सभ्य समाज से सम्बंधित लोग राष्ट्रीय एवम अंतर्राष्ट्रीय झगड़ो को भूलकर मानवता एवम शांति के विरुद्ध सबसे बड़े खतरे वहाबियत/सलफियत का एकजुट होकर मुक़ाबला करे ।
सय्यद तल्हा अशरफ ने कहा, मक्का मुअज़्ज़मा और मदीना शरीफ पूरी दुनिया के मुसलमानो का केंद्र है और इसकी तरफ शत्रुता का भाव कभी भी स्वीकार या बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
विचारक महम्मद अहमद ने कहाकि ज़ाकिर नाइक भारत में इस्लाम के वाहक सूफ़ी संतों का अपमान करने की कोशिश करता है। ज़ाकिर नाइक एक दूषित मानसिकता का शिकार है और उसकी वहाबी विचारधारा भारत के बहुसंख्यक सूफ़ी समुदाय की सहिष्णु विचाधारा पर कुठाराघात है। भारत में ख़्वाजा ग़रीब नवाज़, बाबा शेख़ फ़रीद, मख़दूम अशरफ़ सिमनानी और निज़ामुद्दीन औलिया की मानववादी सूफ़ी विचारधारा के लिए ज़ाकिर नाइक जैसे लोग ख़तरा हैं।
उन्होंने कहा की ज़ाकिर नाइक की विचारधारा एक हिंसक विचारों पर निर्भर है और इस्लाम की असहनशीलता के पैगाम पर हमला है जो भारत सैकड़ो साल की विरासत अनेकता में एकता, गंगी-जमुनी तहज़ीब तथा साझी विरासत पर हमला है, ऐसे हज़ारो ज़ाकिर नाईक भारत के विभिन्न छेत्रो में सऊदी की वित्तीय सहायता हासिल कर घृणा और असहनशीलता फैलने का कार्य कर रहे है जिनके चहरे को पहचानने तथा नष्ट करते की ज़रूरत है।
सभी वक्ताओं ने नाईक के घृणात्मक दहशत फैलाने वाले वक्तव्यों को दोहराते हुए कहा की इस ज़हरीली विचारधारा को भारत में सोशल मीडिया, इंटरनेट, डिजिटल/ इलेक्ट्रॉनिक चैनलों के द्वारा फैलाया जा रहा है , भारत सरकार को चाहिए की इन सब पर हर हाल में पाबन्दी लगनी चाहिए।
अंतता सभी वक्ताओं ने एक स्वर में यह बात दोहराई की वहाबी/सलफ़ी विचारधारा के प्रचार और प्रसार को भारत में प्रतिबंधित किया जाए जिस तरीके से चेचन्या, बांग्लादेश, कज़ाकिस्तान, मिस्र, ईरान आदि ने मानवता विरुद्ध इस ज़हरीली विचारधारा को अपने देश में प्रतिबंधित किया है।