एराज लखनऊ मेडिकल कालेज में ‘मेडिकोन-2016‘ का समापन

लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक नेे आज लखनऊ स्थित एराज लखनऊ मेडिकल कालेज एवं हास्पिटील में 4 दिवसीय कांफ्रेंस ‘मेडिकोन-2016‘ के समापन समारोह में कहा कि योग्य चिकित्सक बनने के लिए चिकित्सा से जुड़ी अद्यतन जानकारी प्राप्त करें। चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान की और आवश्यकता है। शल्य-क्रिया आसान हो गयी है। मोतियाबिन्द, अंग प्रत्यारोपण व अनेक रोगों पर काबू पाने में उत्तरोत्तर प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से जुड़़े विभिन्न क्षेत्रों के लोग गंभीर शोध करके लोगों का कल्याण करें।
श्री नाईक ने कहा कि चिकित्सकों के अच्छे व्यवहार से रोगी के मन में अच्छा प्रभाव पड़ता है। मानव सेवा से अच्छा कोई पेशा नहीं है। दूसरों की सेवा करना अपना ध्येय बनायें। रामचरित मानस में भी कहा गया है कि दूसरे के हित से बड़ा कोई धर्म नहीं है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक का स्नेहपूर्वक व्यवहार रोगी में नया विश्वास जगाता है।
राज्यपाल ने कहा कि देश में लगभग 409 चिकित्सा संस्थान है जहाँ से प्रत्येक वर्ष लगभग 50 हजार चिकित्सक उपाधि प्राप्त करते है। हमारे देश में ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है। चिकित्सक शहर की ओर आकर्षित होने के बजाय सप्ताह में एक दिन ग्रामीण क्षेत्र में अपनी सेवा देने पर विचार करें। उन्होंने कहा कि ऐसा संकल्प देश की बड़ी सेवा होगी।
श्री नाईक ने कहा कि चिकित्सक रोगी के स्वास्थ्य के साथ-साथ स्वयं का तथा अपने परिवार के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। स्वास्थ्य के लिए योग महत्वपूर्ण है। विश्व के 170 देशों ने योग के महत्व को समझते हुए उसे अपनाया है। उन्होंने कहा कि योग शरीर के साथ मन को भी शक्ति देता है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर मेडिकाॅन प्रतिस्पर्धा विजेता 34 छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया, जिसमें 16 लड़किया थी और 18 लड़के। उन्होंने कहा कि ‘‘यहाँ इस बात का संतोष है कि छात्र-छात्राओं का अनुपात लगभग बराबर है।‘‘ राज्यपाल ने कहा कि वे 26 विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। दीक्षान्त समारोह में यह देखने को मिला कि 60 से 65 प्रतिशत स्वर्ण पदक लड़कियाँ प्राप्त कर रही हैं।
इस अवसर पर डाॅ0 लिंड्से ब्राउन, डाॅ0 संजेला कैरिंगटन एवं मौलाना डाॅ0 कल्बे सादिक सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे। ‘मेडिकान-2016‘ कार्यक्रम में अमेरिका, कनाडा, बारबडोस, पोलैण्ड, बांग्लादेश एवं नेपाल सहित अन्य देशों के चिकित्सा विज्ञानी और छात्रों ने सहभाग किया।