घायल अमरनाथ तीर्थयात्रियों को मुसलमानों ने बचाया
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से जहां तनाव की खबरें मीडिया में छायी हैं, वहीं बुधवार को मानवता और सौहार्द की मिसाल भी देखने को मिली। यहां एक सड़क हादसे में घायल अमरनाथ तीर्थयात्रियों को बचाने के लिए स्थानीय मुस्लिमों ने बुधवार को अपनी जान जोखिम में डाल कर कर्फ्यू को धता बताते हुए उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
दरअसल राज्य के बिजबेहारा में श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर अमरनाथ यात्रियों को लेकर जा रही एक बस की ट्रक से टक्कर हो गई, जिससे बस में सवार एक तीर्थयात्री और एक स्थानीय चालक की मौत हो गई और 23 अन्य घायल हो गए। इस हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोग कर्फ्यू के बावजूद घटनास्थल पर पहुंचे और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। ये लोग पिछले हफ्ते हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर वानी की मौत के बाद भड़की हिंसा में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र समेत दो युवकों की मौत पर शोक मना रहे थे। एक चश्मदीद ने कहा, 'स्थानीय मुसलमान अपने निजी वाहनों से घायलों को अस्पताल ले गए। कुछ लोगों ने तो घायलों को श्रीनगर स्थित अस्पताल भी ले गए।'
अधिकारियों ने बताया कि अमरनाथ यात्रियों को लेकर जा रही बस बुधवार तड़के श्रीनगर से 45 किलोमीटर दूर बिजबेहारा के पास संगम में ट्रक से टकरा गई, जिसमें उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले प्रमोद कुमार की और गंदेरबल के कंगन के रहने वाले बस चालक बिलाल अहमद मीर की मौत हो गई। दुर्घटना में 23 यात्री घायल हो गए। हादसा उस समय हुआ जब बस गंदेरबल जिले में बालटाल आधार शिविर से जम्मू जा रही थी।
इसके साथ ही अधिकारियों ने बताया कि चंदनवाड़ी में तैनात सीआरपीएफ के एक जवान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई, जिसके बाद यात्रा से जुड़े मामलों में मरने वालों की संख्या 10 हो गई है। उन्होंने साथ ही बताया कि 25 यात्री और एक टट्टू वाले समेत 27 लोग भी घायल हुए हैं। इनमें से अधिकतर लोग प्राकृतिक रूप से निर्मित बर्फ के शिवलिंग के दर्शन करने के लिए 3880 मीटर उंचाई पर स्थित गुफा जाने के कठिन रास्ते में चलते हुए गिरने से चोटिल हुए हैं।
युवा हिज्बुल कमांडर की मौत के बाद घाटी में फैली हिंसा के बावजूद यात्रा दोनों मार्गों से सुगम तरीके से चल रही है। अधिकारियों के मुताबिक अभी तक करीब 1.40 लाख तीर्थयात्री बाबा अमरनाथ के दर्शन कर चुके हैं।