दक्षिण चीन सागर में बन हैं युद्ध जैसे हालात
ताइपे। दक्षिण चीन सागर में युद्ध के हालात हैं। इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल द्वारा दक्षिण चीन सागर पर चीन के ऐतिहासिक अधिकार की बात खारिज किए जाने और वहां के द्वीपों पर ताइपे के दावों को कमजोर बताने के एक दिन बाद ताइवान ने ‘अपने समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा’ के लिए एक युद्धपोत इस सागर के लिए रवाना कर दिया है।
ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन ने युद्धपोत के डेक पर सैनिकों से कहा कि ताइवानी ‘अपने देश के अधिकारों की रक्षा’ के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बाद यह पोत दक्षिणी शहर काओहसिउंग से ताइवान के नियंत्रण वाले तेपिंग द्वीप के लिए रवाना हो गया। यह द्वीप स्पार्टले नामक द्वीप श्रृंखला में स्थित है।
हेग में स्थाई मध्यस्थता अदालत ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया था कि चीन के दावे वाली ‘नाइन डैश लाइन’ पर चीन का कोई ऐतिहासिक अधिकार नहीं है और उसने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में फिलीपीन के संप्रभुत्ता के अधिकारों का उल्लंघन किया है।
विशेष तौर पर ताइपै के लिए इसने फैसला सुनाया कि स्पार्टलेज श्रृंखला में सबसे बड़ा द्वीप यानी ताइवान प्रशासित तेइपिंग कानूनी तौर पर एक ‘चट्टान’ है और यह उसे एक विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र नहीं बनाता। इस तरह अदालत ने ताइवान की ओर से द्वीप के आसपास के जलक्षेत्र पर किए जाने वाले दावों को खारिज कर दिया।
ताइवान की सरकार ने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य है। यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, क्योंकि इसने प्रक्रियाओं में भाग लेने के लिए ताइपे को औपचारिक तौर पर आमंत्रित नहीं किया और उसके विचार भी नहीं मांगे। साई ने डेक पर मौजूद सैनिकों से कहा कि दक्षिण चीन सागर से जुड़े फैसले में, विशेषतौर पर ताइपिंग द्वीप के वर्गीकरण ने दक्षिण चीन सागर द्वीपों और उनके जल क्षेत्रों में हमारे देश के अधिकारों का भारी खतरे में डाल दिया है। साई का यह संबोधन टीवी चैनलों ने प्रसारित किया।
युद्धपोत से उतरने से पहले उन्होंने कहा कि यह गश्त अभियान ताइवानी जनता की अपने देश के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता दिखाएगा। रक्षा मंत्रालय ने ताइवान के क्षेत्र और संप्रभुता की दृढ़तापूर्वक रक्षा करने का संकल्प लिया और कहा कि इस फैसले की वजह से रणनीतिक समुद्र में ताइवान के दावों में कोई बदलाव नहीं आएगा। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ही उसने युद्धक पोत तैनात किया है।