मुस्लिमों की देशभक्ति पर पुस्तक प्रकाशन शीघ्र: दीपक

लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा एक बड़ा वर्ग सार्वजनिक रूप से मुसलमानों की देश-भक्ति पर बार-बार सवाल खड़ा कर देश में व्याप्त भाई-चारे को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है वर्तमान पीढ़ी को गलत और विकृत तस्वीर दिखाकर गुमराह कर रहा है समाजवादी, आरएसएस-भाजपा के इस षडयंत्र का पर्दाफाश करने और समाजवाद तथा सामाजिक सद्भाव के पक्ष में जनमत बनाने के लिए पुस्तकों को प्रकाशित कर वितरित करेगी। इस पुस्तक में मुसलमानों व अल्पसंख्यकों की देशभक्ति के वृतान्त का सजीव चित्रण होगा। श्री मिश्र ने जोर देकर कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दुओं जितनी भूमिका मुसलमानों व सिक्खो की भी रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी व हिन्दुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन का इतिहास है। पंडित रामप्रसाद बिस्मिल से अशफाकउल्ला खान तथा चंद्रशेखर आजाद से भगत सिंह के इतिहास व गाथाओं को अलग कर दिया जाय तो कुछ भी शेष नहीं रहेगा। स्वार्थ व सत्ता के लिए मुसलमानों की देशभक्ति पर सवालिया निशान लगाने वाले लोग देश के सच्चे शुभैषण या हितैषी नहीं हो सकते। भारतीय मुसलमान भारतीय हिन्दुओं की भांति ही शत-प्रतिशत भारतीय है। दिलों में दरार पैदा करने वाली विपाक्त सियासत का प्रत्युतर चिन्तनशील समाजवादी पुस्तक व संगोष्ठियों की श्रंृखला से देंगे जिसकी पूरी तैयारी हो चुकी है। इस पुस्तक में प्राक्कथन सपा प्रभारी शिवपाल सिंह यादव का होगा। इंटरनेशनल सोशलिस्ट काउन्सिल के सचिव दीपक ने निजी अनुभवों के आधार पर बतलाया कि उन्होंने भारत के प्रति अरब मे रह रहे भारतीय मुसलमानों की आंखों में वही सम्मान-भाव जो मारीशस में रह रहे हिन्दुओं की आंखो में है। श्री मिश्र ने कहा कि रहीम खानसामा, अजीमुल्ला खान से लेकर शहीद अब्दुल हमीद व कलाम तक देशभक्त मुसलमानों की लम्बी परम्परा है, इसे अवमानित करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती। भाजपा सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी, साध्वी प्राची, साक्षी महाराज की विषाक्त वाणी पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवन व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रहस्यमयी चुप्पी स्वाभाविक संदेह पैदा करती है।
उक्त विचार श्री मिश्र ने समाजवादी चिन्तन सभा की 1, रायल होटल विधायक निवास स्थित सभाकक्ष में आयोजित बैठक व्यक्त किए। बैठक का संचालन महासचिव अभय यादव ने किया। बैठक में समृवेत स्वर से साम्प्रदायिकता विराधी अभियान चलाने का निर्णय लिया गया और तय किया गया कि संघी षडयंत्रों का प्रत्युत्तर समाजवादी साहित्य से दिया जाएगा।