lucknow : वर्तमान में संक्रमण जन्य रोगों की संख्या में कमी तो हुयी है लेकिन गैर संक्रामक रोग (रोग प्रतिरोधकक्षमता हीनता एवं जीवन शैली जन्य विकार) बढ़ते जा रहे हैं, जैसे -मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, श्वास रोग, स्पाण्डलाइटिस (कमर दर्द, मांसपेशी जकड़न, गर्दन दर्द आदि),अर्थराइटिस (संधिवात), थायराईड ग्रन्थि के विकार, अनिद्रा, अवसाद, संतानहीनता, पौरूष हीनता आदि, इन रोगों से बचाव तभी संभव है जब हमारे द्वारा वन संपदा के रूप में उपलब्ध औषधीय पौधों के संरक्षण एवं संवर्धन पर आम जन का ध्यान केन्द्रित किया जाये तथा इन पौधों के पारम्परिक उपयोग के ज्ञान का प्रचार -प्रसार अधिक से अधिक किया जाय। यह विचार डा0 शिव शंकर त्रिपाठी, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, लखनऊ ने आज वन महोत्सव के शुभारम्भ तथा डाक्टर्स डे, के उपलक्ष में आयोजित एक बैठक के अवसर पर व्यक्त किये। उन्हांेने बताया कि राष्ट्रीय आयुष मिशन के अन्तर्गत स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम इसी माह में 11 जुलाई 2016 से विकास खण्ड, बक्सी का तालाब तथा मोहनलालगंज के प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में प्रारम्भ किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक सोमवार एवं वृहस्पतिवार को एक साथ दोनांे विकास खण्डों के 14-14 विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जायेगा तथा स्वस्थ कैसे रहें और आस -पास पायी जाने वाली जड़ी -बूटी (औषधीय पौधों ) के बारे में व्यापक जानकारी आयुष चिकित्सकों द्वारा दी जायेगी। साथ ही स्कूल के प्रागंण में औषधीय पौधों के रोपण पर भी जोर दिया जायेगा। बच्चों को प्रातः जागरण, स्वच्छ जल का सेवन, शांैच, दन्त धावन, बाल एवं नाखूनों की देखभाल, स्नान, व्यायाम आदि दैनिक दिनचर्या की जानकारी के साथ-साथ उन्हे सत्य, अहिंसा का पालन करने, मधुरवाणी, बड़ों के प्रति आदर करने तथा व्यसन से दूर रहने आदि सद््वृत्त के बारे में भी उन्हे शिक्षा दी जायेगी। बच्चांे के पोषण हेतु उन्हे खान पान में आवश्यक प्राकृतिक रूप से उपलब्ध शाक शब्जियों तथा फलों एवं प्रोटीन युक्त आहार के सेवन हेतु प्रेरित किया जायेगा जिससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि हो सके और वै रोगों से बचे रहें। इस कार्यक्रम को प्रभावी एवं सफल बनाने हेतु खण्ड शिक्षा अधिकारी तथा विद्यालयों के शिक्षकों का योगदान लिया जा रहा है।
डा0 त्रिपाठी ने बताया कि वन महोत्सव के उपलक्ष में जनपद लखनऊ के समस्त राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सालयों में खाली पड़ी जमीन पर औषधीय पौधे जैसे- आॅवला, कचनार, निर्गुण्डी, अडूसा, गिलोय, अर्जुन, नीम, हरसिंगार, एलोबेरा, तुलसी, शतावरी, अमलतास, आदि पौधों को रोपित किया जायेगा तथा जिन चिकित्सालयों में भूमि उपलब्ध नहीं है उनमें इन पौधों को गमलों में लगाकर प्रदर्शित किया जायेगा जिससे इन पौधों के गुणों के बारे में अधिक सें अधिक जानकारी लोगों को मिल सके। उन्होने बताया कि वर्षा ऋतु के प्रारम्भ होने पर होने वाले मौसमी बुखार (वात-श्लेमक ज्वर) से बचाव हेतु हमें तुलसी, अदरक, कालीमिर्च, दालचीनी एवं ज्वराकुश (लेमनग्रास) का काढ़ा बनाकर गर्म पेय के रूप में सेवन करना चाहिये। इस अवसर पर डा0 राकेश निगम, डा0 विक्रम अग्रवाल, डा0 ओ0पी0पाण्डेय, डा0 नीरज अग्रवाल, डा0 रेहान जहीर, डा0 शीलेन्द्र डा0 पुष्पा श्रीवास्तव, डा0 सुमन मिश्रा सहित अनेक आयुष चिकित्सक उपस्थित थे।