एनआईए अधिकारी तंजील की हत्या के मुख्य आरोपी मुनीर गिरफ्तार
lucknow : उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने एनआईए अधिकारी तंजील अहमद की हत्या के मुख्य आरोपी मुनीर को गिरफ्तार कर लिया है। एसटीएफ ने खुफिया जानकारी के आधार पर गाजियाबाद के नजदीक मंगलवार को मुनीर को गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली और पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।
हत्या में नाम सामने आने के बाद से मुनीर फरार था। पुलिस ने मुनीर पर 50,000 रुपये का इनाम भी रखा था। इस साल 3 अप्रैल की रात को शादी से लौटते वक्त तंजील अहमद की बिजनौर में हत्या कर दी गई थी। उनकी पत्नी को भी अपराधियों ने इस दौरान गोली मारी थी। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी भी मौत हो गई थी।
मुनीर पर 2015 में यूपी के धामपुर में 90 लाख की लूट का भी आरोप है। इसके अलावा मुनीर ने 29 नवंबर 2014 को अपने दोस्त आशुतोष के साथ मिलकर दिल्ली के कमला मार्केट इलाके के सिटी बैंक के एटीएम से डेढ़ करोड़ की लूटपाट की थी। मुनीर ने 29 नवंबर 2014 को कमला मार्केट के सिटी बैंक के एटीएम से डेढ़ करोड़ रुपये की लूट की थी और गार्ड सत्येन्द्र सिंह की गोली मारकर हत्या की थी। पिछले हफ्ते मुनीर के एक साथी आशुतोष को दिल्ली पुलिस अलीगढ़ से लेकर आई थी।
अभिुयक्त मुनीर से की गयी पूछताछ के उपरान्त यह तथ्य प्रकाश में आये हैं कि मुनीर, सारंग सीनियर सैकेण्डरी स्कूल, बिजनौर से कक्षा-12 पास करने के उपरान्त अपने फूॅफा के बेटे जफर के पास अलीगढ वर्ष-2009 में आया था। अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेनेे की तैयारी कर रहा था। जफर के साथ सुलेमान हाॅल में रहता था। अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के आपराधिक प्रवृत्ति के छात्रोें के सम्पर्क में आ गया तथा हत्यार आदि रखने लगे इसी दौरान उसकी मुलाकत आशुतोष मिश्रा से हुई। यही से मुनीर ने जरायम की दुनिया में सक्रिया भूमिका प्रारम्भ कर दिया।
आलमगीर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सहारनपुर गु्रप का मुख्य सदस्य था। आशुतोष मिश्रा का झगड़ा परस्पर विरोधों एवं महिला मित्र के कारण सहारनपुर ग्रुप से था। वर्ष 2012 में आलमगीर से झगड़े में आशुतोष मिश्रा को चोट़ आई थी। इसी का बदला लेने के लिए अलीगढ़ चुंगी के पास मुनीर, आशुतोष, अतीउल्ला, सैफ ने गालियां चला कर कादिर पर जानलेवा हमला किया था।
आशुतोष मिश्रा अलीगढ़ के हिस्टीशीटर, भूमाफिया हरेन्द्र सिंह व विरेश के सम्पर्क में था, जो मुनीर व आशुतोष को हत्यार व रहने के ठिकाने उपलब्ध कराया करते थे।
वर्ष 2013 में आशुतोष एवं मुनीर में छात्रसंघ के चुनावों में बिजनौर निवासी मंज्जर को सहयोग किया था, जिसके कारण मंज्जर रिकार्ड मतो से विजय हुआ था। इस चुनाव के पश्चात् सहारनपुर ग्रुप से इन लोगों का झगड़ा और बढ़ गया। हरेन्द्र सिंह के कहने पर आशुतोष व मुनीर ने एक व्यापारी की हत्या अलीगढ़ में की थी।
रामघाट रोड़ पर पी0डब्लू0डी0 ठेकेदार मनदीप को गोलीमार कर उसकी लाईसेन्सी रिवाल्वर मुनीर व आशुतोष ने छीन ली थी, जो मुनीर के पास से बरामद हुई है। इसके पश्चात् तालशपुर ग्राम प्रधान से 38 वाहिनी पी0ए0सी0 से तालानगढ़ी थाना क्वारसी से लाईसेन्सी रिवाल्वर गोली मारकर मुनीर एवं उसके साथी सउद ने लूटी थी, जो मुनीर के पास से बरामद हुई है।
इसके पश्चात् से आशुतोष व मुनीर सहास व महत्वकांक्षाएं बहुत बढ़ गई, दोनो ने कुछ बड़ा करने की योजना बनाना प्रारम्भ कर दी। वर्ष 2014 में इंडसइंड बैंक रामघाट रोड़ के कर्मचारी वरूण की मुखबीरी पर मुनीर व आशुतोष ने थाना क्षेत्र बन्नादेवी से गार्ड को गोली मारकर बैंक का कैश करीब 34 लाख लूट लिया, जिस सम्बन्ध में थाना बन्ना देवी पर मु0अ0सं0 631/2014 धारा 394 भादवि0 पंजीकृत है। उक्त घटना में लूटे गये कैश 15 लाख रूपयें मुखबिर/ बैंक कर्मचारी वरूण को मिले थें, बाकी रूपया आशुतोष व मुनीर ने हाथरस निवासी दीपू ठाकुर को रखने के लिए दिया, परन्तु वह रूपया लेके गायब हो गया।
एक महीने पश्चात् ही रेलवे रोड़ पीएनबी के सामने से बैंक कर्मचारी से कैश वैन से 31 लाख रूपये की लूट लिये गये थें, जिसके सम्बन्ध में थाना सिविल लाइन्स, अलीगढ़ पर मु0अ0सं0 709/2014 धारा 392 भादवि0 पंजीकृत है।
अलीगढ़ में आलमगीर से झगड़े के कारण ही सेन्टर प्वांइट अलीगढ़ विश्वविद्यालय में तला नामक छात्र को मैने व आशुतोष मिश्रा ने 04 गोली मारी थी, जिसमें वह बच गया था।
इसके पश्चात् मैं व आशुतोष दिल्ली आकर रहने लगे, जहां पर आमिर ने तीस हजारी के पास व कमलानगर घण्टाघर के पास 02 फ्लैट किराये पर दिलवाये थें। 29 नवम्बर 2014 को कमलानगर से एस0आई0एस0 कैश वैन के कर्मचारियों द्वारा ए0टी0एम0 मेंपैसा डालनेके दौरान गार्ड की हत्या करके कैश से भरा सूटकेस लूट लिया, सूटकेस में 1.5 करोड़ रूपया मिला था। घटना के बाद पल्सर मोटरसाईकिल हम लोगों ने वहीं छोड़ दी थी। घटना के 02 दिन पश्चात् ही हम लोग लखनऊ जाने की तैयारी कर रहे थें, तो आशुतोष मिश्रा पकड़ा गया, मैं सारा रूपया लेकर जानसठ अपने मामा के घर गया, जहां से मामा के लड़के साकिब के माध्यम से सहसपुर निवासी रिजवान को रूपया दिया गया, जिसने एक प्लाॅट मेरे लिये खरीदा।
आशुतोष मिश्रा के पकड़े जाने के पश्चात मुनीर ने अपने साथी सउद के साथ अपराध करना प्रारम्भ कर दिया। अलीगढ़ रेलवे स्टेशन के पीछे जनता होटल के पीछे सिपाही सुरेश बाबू को गोली मारकर उसकी सरकारी पिस्टल मैनें व सउद ने लूट ली थी। इसी दौरान मेरे हाथ में भी गोली लग गई थी।
उक्त पिस्टल को मैनें अपने साथी फहद व जुबैर के भाई सद्दाम को उसकी गांव नौश में दे दी थी। एवं वहीं अपना ईलाज कराकर अलीगढ़ चला गया था। बाद में जब सददाम से मैं एवं जुबैर वह पिस्टल मांगने गये तो उसने देने से इन्कार कर दिया। अतः मैने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी।
सितम्बर 2015 में मैं एवं सउद अलीगढ़ आये। तथा सउद आशुतोष मिश्रा से जेल में मिलकर आया तो उसने आलमगीर से बदला लेने की बात कहीं तो मैनें और सउद ने विश्वविद्यालय कैम्पस में करीब 12 राउण्ड गोली चलाकर आलमगीर की हत्या कर दी।
अपनी फरारी के दौरान मैं लखनऊ में कल्याणपुर में अपनेसाथी इमरान के पास रहा, वहां पर भी मैं और सउद एक दिन लूट करने के इरादे से सड़क पर घूम रहे थें, तो एक मोटरसाईकिल पर सफारी सूट पहने एक व्यक्ति जा रहा था, जिसकी पिस्टल हम लोगों को दिखी तों हमने उसका पीछा करना प्रारम्भ कर दिया, गोमतीनगर रेलवे क्रासिंग के पास जैसे ही वह रूका मैने एवं सउद ने गोली मारकर उसकी सरकारी पिस्टल लूट ली। वह व्यक्ति लखनऊ में जज का गनर था। उक्त पिस्टल मेरे कब्जे से बरामद हुई है।
इसके पश्चात् मैं एवं सउद बिजनौर आ गये वहां भी हम बैंक से कैश लूटने की योजना बनाये 28.12.2015 को धामपुर पीएनबी बैंक के सामने से कैश वैन के गार्ड व कर्मचारी को गोली मारकर अटैची व बोरे में 91 लाख रूपया लूट लिया। उक्त घटना में बिजनौर के रिजवान, तंजीम, रेयान ने भी मेरे व सउद के साथ घटना में सहयोग किया था। इसके पश्चात् मैं दिल्ली में ओखला क्षेत्र में आकर रहने लगा।
दिल्ली के साहीन बाग क्षेत्र में ही मेरे गांव के ही तंजील अहमद रहते थेें, जो एन0आई0ए0 में अधिकारी थें। गांव का होने के कारण राह चलते कई बार मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। वह मेरे काम काज व रहन सहन पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहा था। मेरे साथ के लड़को ने मुझे यह बताया था कि कमला नगर बैंक लूट के बाद आशुतोष को तंजील अहमद ने ही मुखबिरी करके पकड़वाया था। धामपुर वाली लूट के पश्चात् बिजनौर पुलिस ने तंजीम व रेयान को पूछताछ के लिये उठाया था। परन्तु उन्होनें कुछ नहीं बताया था, अतः वह छूट गये। उन्होने दिल्ली आकर मुझे बताया की तंजील अहमद ने ही हमारी मुखबिरी पुलिस से कर दी है तथा वह तुम्हें भी पकड़वा देंगें। जब इसकी शिकायत मैंने तंजील अहमद से की तो उसने कहां की जरूर कोई गलत काम कर रहें हो तभी मैंने उसे ठिकाने लगाने की ठान ली। तंजील अहमद के आवास के आस-पास कई बार उसकी हत्या करने का प्रयास किया परन्तु सफल नहीं हो सका। तब मुझे उसके रिश्तेदार की शादी की जानकारी हुई। 02 अप्रैल 2016 की रात को स्यौहारा, बिजनौर में शादी से लौट रहें तंजील अहमद की हत्या मैंने व रेयान में मिलकर कर दी, जिसमें उनकी पत्नी भी घायल हुई थी, जिसकी बाद में मृत्यु हो गई। पूछताछ पर बताया कि इस घटना के बाद मैं लखनऊ में कल्याणपुर में, आजमगढ़ में, नेपाल में छुपकर रहा। मैं मुम्बई जाने का प्रोग्राम बना रहा था, एक-दो दिन में ही मुम्बई जाने वाला था।