लखनऊ: राज्यपाल ने पद्मश्री कलीम उल्लाह के बाग की सैर की तथा उनके द्वारा विकसित की गयी छोटे आकार की नयी प्रजाति का नामकरण ‘मधुरा‘ के नाम से किया। उन्होंने नामकरण के बाद आम को दिखाते हुए कहा कि ‘आम की छोटी मूर्ति है मगर इसकी कीर्ति बड़़ी है, स्वाद बहुत अच्छा है।‘ राज्यपाल ने वहाँ पैदा होने वाले आमों की अनेक किस्में देखी व विशेष रूप से उस पेड़ को भी देखा जिसमें पद्मश्री कलीम उल्लाह ने अपनी जादूगरी से 300 से अधिक आम की प्रजातियाँ एक पेड़ में कलम बांधकर तैयार की हैं। राज्यपाल ने पद्मश्री कलीम उल्लाह की कला को जादूगरी बताते हुए कहा कि आम की प्रजाति विकसित करने की कला से प्रभावित होकर ही वे पिछले वर्ष भी आये थे तथा इस वर्ष भी आम की अच्छी पैदावार के चलते आम के बागों के भ्रमण हेतु आये हैं।
राज्यपाल ने कहा कि आम एक विशेष प्रकार का फल है जिसका नाम लेते ही मुंह में रस आ जाता है। लखनऊ में गत दिनों आम महोत्सव का आयोजन किया गया था जिसे मैंगो फेस्टिवल नाम दिया गया। उन्होंने कहा कि आम का फल भारत की देन है तथा उसकी अपनी मधुरता है अतः मैंगो फेस्टिवल के स्थान पर आम महोत्सव कहना ज्यादा उचित होगा।
राज्यपाल ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश सैनिक पुनर्वास निधि के अध्यक्ष भी है। उत्तर प्रदेश सैनिक पुनर्वास निधि के पास अटारी क्षेत्र में ऊसर भूमि है। वे पद्मश्री कलीम उल्लाह से इस ऊसर भूमि पर सुधार करके आम के उन्नत पौंधे लगाकर निधि की आय में वृद्धि करने के लिए भी चर्चा करने आये हैं।
राज्यपाल ने पद्मश्री कलीम उल्लाह की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी कला और मेहनत के लिए उन्हें पद्मश्री जैसे सम्मान से सम्मानित किया गया है। उन्होंने इस अवसर पर अब्दुल्ला ग्रेट, याकूती, वनराज, करैला, अब्दुल कलाम, लगंड़ा, गिलास, चितला, सचिन, एश्वर्या, सूर्खा, अटल, रसीली, सफेदा, राजा बंबई तथा सेन्सेशन आदि आम की प्रजातियों का देखा और जानकारी ली। राज्यपाल ने वहां आम से बने व्यंजन आम जर्दा, आम शर्बत के साथ कई प्रकार के आम भी चखें।