EU से बाहर होगा ब्रिटेन, कैमरन ने की इस्तीफे की घोषणा
लंदन। जनमत संग्रह में ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन (ईयू) से बाहर होने का फैसला आने के बाद ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन ने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी है। कैमरन तीन महीने तक पीएम पद पर काबिज रहेंगे। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में नए नेतृत्व के सामने आने के बाद वह अपना पद छोड़ देंगे। कैमरन ब्रिटेन के यूरोपीयन यूनियन में बने रहने के पक्ष में प्रचार कर रहे थे।
इससे पहले, ब्रिटेन की जनता ने यूरोपियन यूनियन से अलग होने का फैसला ले लिया। यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलने के लिए 51.8 फीसदी लोगों ने वोटिंग की है। ब्रिटेन ऐसा पहला देश है जो यूरोपियन यूनियन से बाहर हो रहा है। दुनियाभर के बाजारों में ब्रेग्जिट का असर देखने को मिला। भारतीय बाजारों में भी कोहराम मचा है।
नहीं काम आई कैमरन की कोशिश, Brexit पर की इस्तीफे की घोषणा जनमत संग्रह में ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन (ईयू) से बाहर होने का फैसला आने के बाद ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन ने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी है।
ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस्तीफे का एलान किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन अक्टूबर में अपने पद से इस्तीफा देंगे। अक्टूबर में ब्रिटेन के नए पीएम का फैसला होगा। उधर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि ब्रेग्जिट के होने वाले असर से निपटने के लिए सरकार तैयार है। सरकार का रिफॉर्म का एजेंडा जारी रहेगा, ब्रेग्जिट के पूरे असर का अभी आकलन करना जल्दबाजी होगी।
वहीं, ब्रेग्जिट के डर से बाजार में भारी गिरावट दिख रही है लेकिन आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास का मानना है कि ब्रेग्जिट के असर से निपटने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है और रुपये में गिरावट पर भी आरबीआई नजर बनाए हुए है।
सरकार ब्रेग्जिट से पैदा हुई हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। वाणिज्य राज्यमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि ब्रेग्जिट का भारत पर असर पड़ेगा, मगर सरकार ने इससे निपटने की तैयारी कर रखी है। निर्मला सीतारामन के मुताबिक करेंसी बाजार का सीधा असर एक्सपोर्ट पर पड़ेगा, लेकिन भारतीय इकोनॉमी की स्थिति मजबूत है। आगे करेंसी के उतार-चढ़ाव पर नजर बनाए रखना जरूरी है।
जानकारों का का कहना है कि ब्रेग्जिट के पक्ष में ज्यादा वोट का मतलब ये नहीं कि ब्रिटेन तुरंत ईयू से बाहर होगा। फिलहाल के लिए ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन का सदस्य बना रहेगा। यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलने पर सरकार फैसला लेगी। कानूनी भाषा में जनमत संग्रह जनता की राय जानने के लिए कराए जाते हैं। सरकार या संसद वोटिंग के नतीजे को मानने के लिए बाध्य नहीं होती। हालांकि सरकार जनता की राय नहीं मानने का जोखिम नहीं लेगी।
ईयू से निकलने की प्रक्रिया लिस्बन संधि के आर्टिकल 50 के तहत दी गई है। आर्टिकल 50 के तहत ईयू से निकलने के लिए 2 साल का वक्त चाहिए होता है। ब्रिटिश संसद में पीएम डेविड कैमरन सोमवार को इस मुद्दे पर बयान दे सकते हैं। फिर ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों में आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। बता दें कि डेविड कैमरन यूरोपीय यूनियन में बने रहने के पक्ष में हैं। जिससे उन पर इस्तीफा देने का दबाव रहेगा।