मुझे हीरो नही एक्टर बनना है : निशांत कुमार
हिंदी फिल्म " ये है जजमेंट हैंग्ड टिल डेथ " से बॉलीवुड में बतौर अभिनेता पहला कदम रखने जा रहे अभिनेता निशांत कुमार फिल्म में अपने किरदार और कहानी को लेकर आजकल काफ़ी सुर्ख़ियों में हैं । पिछले दिनों मुम्बई के एक जेल में आतंकवाद के केस में याक़ूब मेमन को फाँसी दे दी गयी थी । उसी फाँसी की घटना पर आधारित फिल्म में अभिनेता निशांत कुमार ने मुख्य किरदार याक़ूब का किरदार निभाया है ।
मूल रूप से पटना के रहने वाले निशांत कुमार ने अभिनय की बारीकियों को रंगमंच के जरिये सिखा है । और अपने करियर के कुछ बेहतरीन साल को दिल्ली से अभिनय और रंगमंच सिखने में व्यतीत किया है । दिल्ली से रंगमंच और नाट्य शिक्षण प्राप्त करके ही इन्होंने मायानगरी मुम्बई का रूख़ किया । निशांत का कहना है की हिरो तो कोई भी बन सकता है लेकिन मुझे एक्टर बनना है । क्योंकि परदे पर हिरो कुछ समय के लिए ही दिखाई देता है लेकिन एक्टर को लोग लम्बे समय तक याद रखते हैं ।
पिता फिल्म वितरक प्रमोद शर्मा बहुत पुराने समय से बड़ी बड़ी हिंदी फिल्मों के वितरण सम्बन्धी कार्यक्षेत्र से जुड़े होने के कारण निशांत को एक अच्छे अभिनेता के गुण और अभिनय की बारीकियों को सिखने में भी मदद किया हैं । उन्होंने कहा की बाहरी चमक दमक के चक्कर में नहीं पड़कर कोई सच्चे मन से अभिनय पर ध्यान दे दे तो सफ़लता ज्यादा दूर नहीं । यही जूनून देखते हुए फिल्म " ये है जजमेंट हैंग्ड टिल डेथ" के निर्देशक मन कुमार ने निशांत को अपनी फिल्म के लिए अनुबंधित किया ।
कामधेनु मूवीज़ के बैनर तले बनी फिल्म ' ये है जजमेंट हैंग्ड टिल डेथ ' के निर्माता हैं माज प्रोडक्शन, फिल्म के संगीतकार हैं अमन त्रिखा, सुप्रिया पाठक,महेश मटकर, राकेश खर्वी वहीँ गीत के बोल लिखे हैं महेश मटकर और राकेश खर्वी ने । जबकि फिल्म की कहानी नृत्य और निर्देशन का जिम्मा मन कुमार ने सम्भाला है । फिल्म के डीओपी हैं अशोक सरोज और मारधाड़ कराया है भरत जेधे ने, कला है प्रकाश कुकड़े का । वहीँ फिल्म में कलाकार हैं निशांत कुमार नीतू वाधवा, अमित सिंह,अमरजीत शाह, दीपक आनन्द,करण अहूजा, गुलशन तुशीर, प्राजक्ता शिंदे और प्रकाश कुकड़े ।