ब्रेक-अप वाले सीन के लिए मैंने रणबीर और दीपिका को नहीं समझाया: इम्तियाज़ अली
भारत का प्रीमियम मास हिन्दी मूवी चैनल एंड पिक्चर्स शनिवार 25 जून को रात 8.30 बजे एक और ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘तमाशा’ का प्रीमियर करेगा। एंड पिक्चर्स पर फिल्म ‘तमाशा‘ के 15 मिनट के अनदेखे शॉट्स के साथ फिल्म का वल्र्ड टेलीविजन प्रीमियर दिखाया जाएगा। इन दृश्यों को थिएटर में नहीं दिखाया गया था। इस अवसर पर फिल्म के निर्देशक इम्तियाज़ अली ने फिल्म के लीड एक्टर्स रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण के अलावा फिल्म की थीम, इसके किरदारों और शानदार लोकेशन को लेकर चर्चा की।
फिल्म ‘तमाशा‘ बनाने के पीछे आपकी क्या प्रेरणा थी?
फिल्म तमाशा मेरे बचपन से जुड़ी हुई है। बचपन में सफर के दौरान मैं यह सुनिश्चित करता था कि मैं खिड़की वाली सीट पर ही बैठूं। मुझे खिड़की से बाहर गुजरती हुई चीजों को देखना बहुत पसंद था जिसे देखकर मैं अपनी दुनिया में खो जाता था। यह मेरी कल्पनाओं की दुनिया थी जो वास्तव में नहीं होती थी। इससे ही कहानियों की शुरुआत हुई। मेरा मानना है कि इसी बात ने मुझे तमाशा बनाने के लिए प्रेरित किया।
कौन सी बातें लोगों को वेद (रणबीर कपूर) के किरदार से जोड़ती हैं?
मेरा मानना है कि एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर और एक लिफ्टमैन से लेकर मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे एक एक्जीक्युटिव तक, सभी की जिंदगियों का एक ऐसा पहलू भी होता है जिनके बारे में कोई नहीं जानता। हम सिर्फ उन्हें बाहर से देखते हैं लेकिन इस बाहरी मुखौटे के पीछे एक दूसरा इंसान होता है जिसकी अपनी संवेदनाएं हैं और जो अपनी असली पहचान पाने की कोशिश करता है लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाता। वेद ऐसा ही व्यक्ति है। वह दिल से कहानीकार है और बचपन में सुनी कई कहानियों से प्रेरित है लेकिन असल जीवन में वह प्रेजेंटेशन और टारगेट की दुनिया में फंसा हुआ है। उसके किरदार का यही दोहरापन और असमानता उसे लोगों से जोड़ते हैं।
फिल्म में वेद खुद को एक डॉन के रूप में देखता है। यह विचार कैसे आया?
कभी-कभी हम उन लोगों की तरह दिखने की कल्पना करते हैं जिन्हें हम सराहते और चाहते हैं। वेद का खुद को डॉन बताना भी वैसा ही है क्योंकि यह वेद का पसंदीदा किरदार है। इसलिए फिल्म में जब वह तारा (दीपिका पादुकोण) से अपनी वास्तविक पहचान नहीं बताना चाहता तो वह खुद को डॉन बताता है।
तारा के बारे में कुछ बताएं?
तारा ऐसा किरदार है जो मेरे दिल के बेहद करीब है। वह एक सुलझी हुई और संतुलित लड़की है जो स्थिति से निपटना और खुश रहना जानती है। वह न तो कोई कलाकार है, न ही उसमें असाधारण बात है लेकिन उसके पास लोगों का आकलन करने और उनका स्वभाव जानने का गजब का हुनर है। फिल्म में वह वेद के भीतर चल रहे संघर्ष को जान लेती है और उसे बड़ी बेबाकी से बता भी देती है। तारा ऐसी लड़की है जो कोई भी राज नहीं रखती। वह किसी भी बात के बारे में ईमानदारी से अपनी राय दे सकती है।
इस फिल्म में ब्रेक अप सीन बेहद खास है। यह सीन कैसे संभव हुआ?
कभी-कभी हम अपनी जिंदगी में ऐसी स्थिति से गुजरते हैं जो बेहद पर्सनल होती हैं लेकिन फिर भी वह लोगों के सामने आ जाती हैं। हम उसे लाख छिपाने की कोशिश करें लेकिन कभी-कभी ऐसे पल आते हैं जो हमें सताते हैं और हम सार्वजनिक रूप से उस पर प्रतिक्रिया देने पर मजबूर हो जाते हैं। इससे बड़ी शर्मनाक स्थिति बन जाती है लेकिन यह हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं। फिल्म में इस ब्रेक अप सीन के बारे में जब मैं रणबीर और दीपिका को बता रहा था तो मैंने उन्हें रोने या चिल्लाने को नहीं कहा था, सबकुछ स्वाभाविक रूप से बाहर आया। मुझे लगता है रणबीर और दीपिका ने अपनी जिंदगियों में ऐसी स्थिति का सामना किया है। इससे उनके भाव स्पष्ट रूप से सामने आए जिससे यह सीन प्रभावी बन पड़ा। वो दोनों ही टैलेंटेड एक्टर्स हैं और ऐसे दृश्य बड़ी सहजता से कर सकते हैं।