ड्रामा और शोबिज सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं होता है: यासरा रिजवी
यासरा रिजवी, उन चंद अदाकारों में से एक है जो प्रतिभा और चंचलता का एकदम सही संगम होते हैं। ये बहुमुखी अदाकारा, जो आजकल जिन्दगी के सोमवार से शनिवार रात नौ 40 बजे प्रसारित होने वाले बहुचर्चित शो ‘मलिका-ए-आलिया‘ में खतीजा के रूप में अपनी अदाकारी के साथ भारतीय दर्शकों को प्रभावित कर रही है, एक निर्देशिका और लेखिका भी है। ये अदाकारा, जिसने एक थिएटर लेखिका के तौर पर अपना करियर शुरू किया था, यह मानती हैं कि लेखिका होने की वजह से उन्हें अपनी अदाकारी के हुनर में मदद मिलती है। यासरा रिज़वी ‘मलिका-ए-आलिया‘ में खतीजा का किरदार निभा रहीं हैं।
यासरा कहती हैं, “एक लेखिका होना हर तरह से मददगार होता है। मैं अपने समाज की समस्यायों से वाकिफ हूँ और इस बात पर जोर देती हूँ कि जिन सभी नाटकों में मैं काम करूँ उनमें जनता तक पहुँचाने के लिए एक उद्देश्य और एक सन्देश होना चाहिए। ड्रामा और शोबिज सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं होता है बल्कि हमारे समाज की एक जरूरत भी है। दुनिया के कई हिस्से में बड़ी संख्या में लोगों के लिए मनोरंजन अभी भी टेलीेविजन तक सीमित है। टेलीविजन इन लोगों के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है। चाहे लेखिका के तौर पर हो या अदाकार के तौर पर हो, अच्छा अवलोकन सबसे अहम होता है। मैं लेखन और अदाकारी दोनों में अवलोकन का इस्तेमाल करती हूँ, जिसकी वजह से किसी किरदार को समझना और निभाना आसान हो जाता है।“ यासरा मानती हैं कि उनका खुद का लिखने का तरीका भी पारम्परिक है और उन्होंने निकट भविष्य में एक फिल्म बनाने का भी मन भी बना लिया है।