सज़ा से संतुष्ट नहीं ज़किया जाफरी
अहमदाबाद: एसआईटी की विशेष अदालत 2002 में हुए गुलबर्ग सोसाइटी दंगा मामले के सभी 24 दोषियों की सजा का ऐलान कर दिया है। 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। 12 को 7 साल और एक दोषी को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई है।
कोर्ट के फैसले पर जकिया जाफरी ने कहा कि मैं इस सजा से संतुष्ट नहीं हूं। कम सजा दी गई है। मुझे फिर तैयारी करनी होगी, वकीलों से राय लेकर आगे बढ़ना पड़ेगा। मुझे न्याय नहीं मिला।
उन्होंने बताया कि सुबह 7 बजे से यह सब शुरू हुआ, मैं वहीं थी। मैंने सब अपनी आंखों से देखा। मेरे सामने इतनी बेरहमी से लोगों को जलाया गया। मेरे पति अहसान जाफरी को भी जला दिया गया। क्या ऐसे लोगों को इतनी कम सजा मिलनी चाहिए। यह गलत इंसाफ है, ज्यादातर लोगों को छोड़ दिया है। सभी को उम्रकैद की सजा दी जानी चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा कि इस जजमेंट से निराशा हुई है। 11 लोगों पर गंभीर आरोप थे तो उन्हें तो उम्रकैद की सजा होनी ही थी, लेकिन 12 लोगों को सिर्फ 7 साल की सजा देने ठीक नहीं है। घंटों खड़े होकर दोषियों ने लोगों को जलाया। मेरे हिसाब से यह वीक जजमेंट हैं। इस पर हम आगे अपील करेंगे।
गुलबर्ग सोसाइटी के मामले में कोर्ट ने 66 आरोपियों में से 24 को दोषी ठहराया था और 36 को बरी कर दिया था। इस मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
77 साल की ज़किया जाफरी तो न्याय की लड़ाई की आइकन बन गई हैं। उन्होंने भी अपने शौहर और कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी को खोया। 14 साल से बीमारी के बावजूद वो लगातार अलग अलग एजेंसियों में न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं। एसआईटी से लेकर कोर्ट तक हर जगह उन्होंने लड़ाई लड़ी है।