रोज़े की हालत में अच्छे अखलाक का मुजाहेरा करें : मौलाना कल्बे जवाद
लखनऊ: रमजान उल-मुबारक की अज्मतों और फजीलातों को बयान करते हुए इमामए जुमा मौलाना सय्यद कल्बे जव्वाद नकवी ने कहा कि रमजान अल्लाह की रहमतों का महीना है।
मौलाना ने रोजे की सखतियों का हल इमामए जाफर सादिक अ0स0 की एक हदीस से बयान करते हुए कहा कि रोजा की सारी सख्तियां और थकन उस वक्त खत्म हो जाती है जब हम अल्लाह के खिताब को देखते हैं कि उसने हमसे कहा हे कि ‘‘ए साहिबाने ईमान हमने तूमहारे लिये राजे को फर्ज कर दिया है‘‘ ये खिताब की लज्जत रोजे की सारी थकन और सारी सख्ितयों को खत्म कर देती है ।मौलाना ने कहा कि रोजे की सख्ितयों का एहसास उस इन्सान को कतई नहीं होगा जिसे अल्लाह पर तवक्कुल हो।तवक्कुल की कमजोरी इन्सान को रोजे की सखतियों का एहसास कराती है ।मौलाना ने कहा कि हर इबादत अबदीयत का सबूत है मगर रोजा इशक ए ख्ुादा का सबूत है ।इशक-ए-मजाजी में इन्सान को भूक-ओ-प्यास का एहसास नहीं होता है तो फिर इशक-ए-हकीकी में भूक-ओ-प्यास का एहसास कैसे हो सकता है ।मौलाना ने कहा कि उल्मा ने भूक-ओ-प्यास से महफूज रहने का तरीका ये बताया है कि रोजे की हालत में ज्यादा से ज्यादा ऑले मुहम्मद पर दुरूद पढ़ा करें और सूराए अन्ंंिबया इकी 69 वीं आयत की तिलावत क्या करें जिसमें अल्लाह जनाबे इब्राहीम पर आग को सलामती के साथ ठंडा होने का हुक्म दे रहा है ।
मौलाना ने कहा कि रोजे की हालत में जरूरी है कि रोजादार अपने अखलाक को अच्छा रखे।रसूल ए अकरम अ0स0 ने फरमाया है कि जिस वक्त पुल ए सिरात पर लोगों के कदम डगमगा रहे होंगे उस वक्त जिसने माह ए रमजान में हुस्न-ए-खुल्क का मुजाहरा क्या होगा वो आसानी के साथ पुले सिरात से गुजर जाएगा।इसका सबब ये है भरे पेट इन्सान का मिजाज बेहतर होता है मगर भूक-ओ-प्यास के आलम में वो बदमिजाजी का शिकार हो जाता है लिहाजा रोजे की हालत में जब भूक-ओ-प्यास अपने उरूज पर हो उस वक्त अच्छे अखलाक का मुजाहेरा करना कमाल की बात है ।
मौलाना ने कहा कि माहे रमजान उल-मुबारक का इस्तिकबाल करना चाहीए।रमजान उल-मुबारक के इस्तिकबाल के लिए इमामए जाफर सादिक अ0स0 ने अपने सहाबी से बयान फरमाया कि ज्यादा दुआ माॅगने और ज्यादा तिलावते कुरआन से माहे रमजान का इस्तिकबाल करो।तौबा व इस्तिगफार से माहे रमजान उल-मुबारक का इस्तिकबाल करो ।किसी से दिल में हसद व कीना है तो उसे निकाल कर माहे रमजान का इस्तिकबाल करो और किसी के साथ कोताही की है तो उस्से अपनी कोताही की माफी तलब करके इस मुबारक महीने का इस्तिकबाल करो।यानी जब तुम माहे रमजान में दाखलि हो तो गुनाहों से पूरी तरह पाक-ओ-पाकीजा होजाओ।मौलाना ने रसूले इस्लाम की हदीस बयान करते हुए कहा कि रमजान उल-मुबारक तुम्हारे लिए तीन चीजें लेकर आता है १।बरकत २।रहमत ३।मगफिरत ।