सरकारी रिकार्ड में यूपी का कोई भी IPS भ्रष्ट नहीं!
लखनऊ: यूपी में वर्तमान कार्यरत 416 आईपीएस अधिकारियों में से किसी के भी खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की जांचे लंबित न होने का खुलासा लखनऊ के मानवाधिकार कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर एक आरटीआई अर्जी पर यूपी के गृह विभाग के जन सूचना अधिकारी के जवाब से हुआ है.
यह खबर जहाँ एक तरफ यूपी की अखिलेश सरकार के लिए एक बड़ी राहत देने वाली खबर हो सकती है तो वहीं इस खबर से अखिलेश सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने का मन वनाने वाली भाजपा,बसपा,कांग्रेस समेत सूबे की सभी विपक्षी पार्टियों के लिए बेचैनी होना स्वाभाविक ही है. यूपी में भ्रष्टाचार को लेकर भले ही राजनैतिक गलियारों से लेकर गली-मोहल्लों के नुक्कड़ तक घमासान मचा हो और भले ही यूपी की कथित रूप से बदहाल कानून व्यवस्था के लिए पुलिस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को एक प्रधान कारक माना जाता हो पर सरकारी रिकॉर्ड में यूपी की कानून व्यवस्था के रखवाले कहे जाने वाले वर्तमान कार्यरत 416 आईपीएस अधिकारियों में से कोई भी भ्रष्ट नहीं है. बात चौंकाने वाली हो सकती है पर सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन 416 आईपीएस अधिकारियों में से न तो किसी के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की कोई जांच लंबित है और न ही इनमें से किसी के भी खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति का कोई भी मामला शासन स्तर पर लंबित है.
यह चौंकाने वाला खुलासा लखनऊ के मानवाधिकार कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा नियुक्ति विभाग में बीते 12 मई को दायर की गयी एक आरटीआई पर उत्तर प्रदेश शासन के गृह(पुलिस सेवाएं) अनुभाग-2 के अनुभाग अधिकारी और जनसूचना अधिकारी सुभाष बाबू के द्वारा संजय को बीते 31 मई को भेजे जबाब से हुआ है. नियुक्ति अनुभाग-6 के अनुभाग अधिकारी गिरीश चन्द्र मिश्र ने संजय की आरटीआई को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 6(3) के तहत बीते 23 मई को ही गृह विभाग को अंतरित किया था.
सुभाष बाबू ने संजय को यह चौंकाने वाली बात भी बताई है कि यूपी के गृह विभाग ने जांचों में दोषी पाए गए आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए अब तक कोई भी शासनादेश जारी नहीं किया है. इस आरटीआई जबाब के अनुसार यूपी में विजय कुमार गुप्ता
एकमात्र ऐसे आईपीएस हैं जो एक से अधिक पदों का दायित्व संभाल रहे हैं. यूपी में किसी भी आईपीएस के निलंबित न होने और सूबे में आईपीएस के कुल स्वीकृत 517 पदों में से वर्तमान में 416 पद भरे होने की सूचना भी संजय को दी गयी है.
एक विशेष बातचीत में समाजसेवी संजय ने सूबे में आईपीएस के 517 पदों में से 101 ( 19.35% ) पदों के रिक्त होने और जांचों में दोषी पाए गए आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया को विनियमित करने संबंधी कोई भी शासनादेश न होने को चिंताजनक बताते हुए इस सम्बन्ध में देश के गृह मंत्री और सूबे के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराते हुए रिक्त पद शीघ्र भरने और दोषी आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए शासनादेश निर्गत करने की मांग उठाने की बात कही है.