अमित शाह ने राजनीति की गरिमा गिराई: दीपक
लखनऊ: समाजवादी चिन्तन सभा की बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमितभाई अनिलचन्द्र “अमित“ शाह को आड़े हाथों लेते हुए समाजवादी चिन्तक व चिन्तन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने कहा कि एक राष्ट्रीय दल के अध्यक्ष को बिना किसी प्रमाण व तथ्य के ऐसी हल्की बात सार्वजनिक रूप से नहीं कहनी चाहिए, इससे राजनीति की गरिमा व गुरुत्व का अवमूल्यन हुआ है। कायदन व सिद्धान्ततः उन्हें प्रदेश अध्यक्ष केशव वर्मा को “झूठ“ बोलने के कारण फटकार लगाना चाहिए था, इसके विपरीत वे अपने प्रदेश अध्यक्ष के झूठ और मिथ्यारोप को स्वयं ही दोहराने लगे। मथुरा की घटना दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है, शोक संतप्त परिवारों व प्रदेश की पीड़ा में शामिल होने की बजाय भाजपा अध्यक्ष सत्ता व स्वार्थ की पिपाशा में अनर्गल आलाप कर रहे हैं। अमित शाह अपने आरोप को सही साबित करें अथवा सार्वजनिक रूप से झूठ बोलने व भ्रम फैलाने के लिए माफी माँगें। यदि वे एक भी प्रमाण देने में सफल हुए तो मैं राजनीति छोड़, जीवन भर सियासत कर वीथिकाओं में पाँव नहीं रखूंगा। मैं व्यक्तिगत रूप से साक्षी हूँ कि शिवपाल ने सदैव कब्जा करने वालों के खिलाफ अभियान चलाया है। प्रथम दृष्टया यही प्रतीत होता है कि साम्प्रदायिकता विरोधी अभियानों के कारण ही अमित शाह व केशव मौर्या शिवपाल पर इस तरह का तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं, ताकि समाजवादियों का मनोबल गिरे। दोनों नेताओं को सोशलिस्टों का इतिहास नहीं पता। वैसे भी दोनों का वैचारिक धरातल कितना सर्वविदित है। श्री मिश्र ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आर.एस.एस. प्रमुख मोहन भागवत से मांग की कि राजनीति की गरिमा का अवमूल्यन करने वाले बयानों को संज्ञान में लें। पूरी दुनिया में गाँधी और लोहिया जैसे महान नेताओं के कारण भारतीय राजनीति की छवि वैचारिक व सिद्धांतनिष्ठ है।ऐसे सतही वक्तव्यों से राजनीति का स्तर गिरता है और दुनिया में भारतीय राजनीति की छवि धूमिल होती है। अमित शाह अपने पूर्ववर्ती भाजपा भाजपा अध्यक्षों अटल बिहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी व कुशाभाऊ ठाकरे सदृश नेताओं के सार्वजनिक वक्तव्यों का पहले अध्ययन करें फिर बोलें तो बेहतर होगा। भगवा-ब्रिगेड अपने “कम्युनल-कार्ड“ के असफल होने से बौखलाहट में अनाप-शनाप बोल रही है। भाजपा जातिवाद, विखण्डन, झूठ व षडयंत्र की कुत्सित राजनीति पर उतर आई है। समाजवादी साम्प्रदायिक ताकतों से निर्णायक टकराव के लिए तैयार हैं। मोदी-शाह के झूठ से अवगत कराने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाएगा। नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के राज्य मंत्री रहे अमित शाह को राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसा बड़ा पद तो दिया किन्तु बड़ी सोच व समझ नहीं दे सके।