पीएम मोदी ने अफ़ग़ानिस्तान में किया मैत्री बांध का उद्घाटन
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आज यहां संयुक्त रूप से एतिहासिक मैत्री बांध का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है। उन्होंने यह भी कहा, 'हम आपके लोगों को एकजुट देखना चाहते हैं और आपको आर्थिक रूप से समृद्ध देखना चाहते हैं।'
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हेरात प्रांत में 1,700 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस बांध से युद्धग्रस्त इस देश में पुनर्निर्माण गतिविधियों को आगे बढ़ाने के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता का पता चलता है।
भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध नाम से जाना जाने वाला यह बांध पश्चिमी हेरात में चिश्त-ए-शरीफ नदी पर बना है जो कि ईरान सीमा के नजदीक है। इस बांध से यहां 75,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी और करीब 42 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जायेगा। पहले इसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता था।
मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा के पहले पड़ाव में यहां पहुंचे हैं। छह माह से भी कम समय में मोदी की यह दूसरी अफगानिस्तान यात्रा है। इस परियोजना को भारत और अफगानिस्तान मैत्री की एतिहासिक ढांचागत परियोजना माना जा रहा है। हेरात शहर से 165 किलोमीटर दूर इस बांध के बनने से प्रांत की कृषि अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा। जारी
परियोजना को भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरद्धार मंत्रालय के तहत आने वाले वापकोस लिमिटेड ने क्रियान्वित किया है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का उनके ‘दूसरे घर’ अफगानिस्तान में स्वागत है। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की मदद से 30 साल के लंबे समय से चला आ रहा लोगों का यह सपना पूरा हुआ।
गनी ने कहा, ‘आज हम भारत-अफगान रिश्ते और दोस्ती के साथ आगे बढ़े हैं। इस बांध के बनने से दोनों के बीच सहयोग और समृद्धि के नये अध्याय की शुरआत हुई है। उन्होंने कहा, ‘हमारे लोगों के बीच भारत की पहचान यहां बनने वाली सड़कों, बांधों और 200 से अधिक छोटी विकास परियोजनाओं के रूप में हुई है।’ गनी ने कहा, ‘जो लोग गड़बड़ी और बर्बादी के रास्ते पर चलना चाहते हैं उसके विपरीत हम दोनों देशों ने मिलकर निर्माण और वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।’ अफगानिस्तान का हेरात प्रांत पश्चिम एशिया, मध्य और दक्षिण एशिया के पुराने व्यापार मार्ग पर पड़ता है। यहां से ईरान, तुर्केमिनिस्तान और अफगानिस्तान के अन्य भागों के लिये सड़क मार्ग को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।