जानिए अपनी क्रेडिट रिपोर्ट में ‘‘क्लोज्ड’’, ‘‘सेटल्ड’’ और ‘‘रिटेन ऑफ’’ का अर्थ
सुश्री हर्षला चंदोरकर, मुख्य परिचालन अधिकारी, सिबिल
आज की तेजी से बदलती दुनिया में, आत्मविकास और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने हेतु वित्त की उपलब्धता अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऋण और क्रेडिट कार्ड्स घर, कार, शिक्षा, शादी-विवाह और विदेश यात्रा जैसे जीवन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए, ऋण और क्रेडिट कार्ड वित्त हासिल करने के लिए सबसे पसंदीदा उपकरण हैं। ऋण हेतु शीघ्र एवं सुनिश्चित रूप से वित्त उपलब्धता हासिल करने के लिए, स्वस्थ सिबिल रिपोर्ट और स्कोर बनाये रखना अत्यावश्यक है। सिबिल डेटा विश्लेषण पर आधारित शोध आंकड़ा दर्शाता है कि 79 प्रतिशत ऋण और क्रेडिट कार्ड उन व्यक्तियों के लिए स्वीकृत कर लिये गये, जिनका क्रेडिट स्कोर 750 और इससे अधिक रहा। इसलिए, अपनी जरूरत के समय पर वित्त हासिल करने हेतु स्वस्थ सिबिल रिपोर्ट और स्कोर बनाये रखना आपके हित में है।
स्वस्थ सिबिल रिपोर्ट तैयार करने की दिशा में पहला कदम इसकी अंतर्वस्तु को समझना है। क्रेडिट रिपोर्ट का सबसे महत्वपूर्ण कारक है, ‘‘एकाउंट्स’’ सेक्शन। इस भाग में आपके द्वारा हासिल किये गये सभी ऋणों एवं क्रेडिट कार्ड्स का ब्यौरा होता है, जैसे-उधारकर्ता का नाम, ऋण सुविधाओं का प्रकार (होम, ऑटो, पर्सनल, ओवरड्राफ्ट आदि), खाता संख्या, स्वामित्व विवरण, ऋण/कार्ड लेने की तिथि, अंतिम भुगतान की तिथि, ऋण राशि, मौजूदा शेष राशि और आपके भुगतान का महीने-दर-महीने का रिकॉर्ड (3 वर्षों तक)। इस भाग में खाते की ‘‘स्थिति’’ (स्टेटस) भी दी गई है, जो खाते के ‘स्वास्थ्य’ को परिभाषित करती है। यहां कुछ सामान्य स्थिति वाले फ्लैग्स दिये गये हैं जो आपकी क्रेडिट कार्ड रिपोर्ट में हो सकते हैं और उनका आशय समझना अत्यावश्यक हैः
– क्लोज्ड (बंद): यदि आपको अपने खाते वाले भाग में ‘क्लोज्ड’ (बंद) स्थान के पास तिथि दिखाई देती है, तो इसका अर्थ है कि ऋणदाता द्वारा ऋण खाता बंद कर दिया गया है। दूसरे शब्दों में, इसका तात्पर्य है कि आपने अपना पूरा ऋण चुका दिया है और बैक ने सिबिल को इस खाते के ‘‘बंद’’ किये जाने की सूचना दे दी है।
ऋण बंद हो जाने के बाद, ऋणदाता से अदेयता प्रमाण-पत्र (एनडीसी) हासिल करना महत्वपूर्ण है, ऋण बंद होने पर बैंक द्वारा नो ड्यु सर्टीफिकेट (एनडीसी) या क्लोजर लेटर जारी किये जाने के साथ यह बताया जाता है कि ऋण चुका दिया गया है और फिर आपकी सिबिल रिपोर्ट में इसे ‘‘क्लोज्ड’’ दर्शाया जाता है।
- सेटल्ड : यदि आपने बकाया राशि का आंशिक भुगतान किया है और ऋण या क्रेडिट कार्ड का निपटारा कर दिया गया, तब आपके क्रेडिट रिपोर्ट में ‘‘सेटल्ड’’ की स्थिति दर्शायी जायेगी। जब आप खाते का निपटारा करते हैं, तो इसका अर्थ है कि ऋण संस्थान वास्तव में उधार दी गई राशि से कम राशि का भुगतान स्वीकार करने के लिए तैयार है। चूंकि ऋणदाता संस्थान को नुकसान हो रहा है, ऐसे में ‘‘सेटल्ड’’ स्थिति को संभावित रूप से नकारात्मक माना जा सकता है और यह ऋण स्वीकृति की संभावना की दृष्टि से नुकसानदेह हो सकता है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि आपके सिबिल ट्रांसयुनियन स्कोर पर ‘‘सेटलमेंट’’ के ध्वजांकन का कोई प्रभाव नहीं होगा, और आपकी सिबिल रिपोर्ट में ‘‘सेटल्ड’’ स्थिति दिखाई देगी और रिपोर्ट पर ‘डेज-पास्ट-ड्यु’ दिखाई देगा, चूंकि ऋण की अदायगी समयबद्ध तरीके से नहीं की गई है। ‘‘सेटल्ड’’ स्थिति को लेकर हर बैंक का अपना अलग नजरिया है और उसी के अनुसार वे आपके भावी ऋण के बारे में फैसला करेंगे। - रिटेन ऑफ (बट्टे खाते डालना): यदि आप 180 दिनों से अधिक समय तक अपने बकाया ऋण/क्रेडिट कार्ड की राशि का भुगतान नहीं कर पाते हैं, ऋणदाता के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वो उक्त राशि के लिए ‘‘राइट-ऑफ’’ दिखाये। फिर, ऋणदाता आपकी सिबिल रिपोर्ट पर इसे ‘‘रिटेन ऑफ’’ के रूप में रिपोर्ट करता है। यह आपके ऋण या क्रेडिट कार्ड आवेदन की स्वीकृति के लिए बाधक स्थिति है, चूंकि ऋणदाता किसी ऐसे व्यक्ति को ऋण या क्रेडिट कार्ड देना नहीं चाहेगा जिसने पिछले ऋण या क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि का भुगतान न किया हो।
यदि सिबिल रिपोर्ट में ‘‘सेटल्ड’’ या ‘‘रिटेन-ऑफ’’ स्थिति दर्शाई जाती है, तो संबंधित व्यक्ति के लिए ऋण प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
अपनी क्रेडिट हिस्ट्री के कारकों को समझना और फिर, अच्छी सिबिल रिपोर्ट एवं स्कोर बनाने की दिशा में प्रयास करने से आपके पास अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने हेतु ‘‘वित्त उपलब्ध’’ रहेगा।