टपोरी कॉमेडियन रज़्ज़ाक़ खान का निधन
मुंबई: 25 साल से बॉलीवुड फिल्मों में अपनी कॉमेडी से लोगों का मनोरंजन कर रहे रज़्ज़ाक खान नहीं रहे। दिल का दौरा पढ़ने से रज़्ज़ाक खान का देहांत हो गया है। 90 से ज्यादा हिंदी फिल्मों में बतौर कॉमेडियन काम कर चुके रज़्ज़ाक ने कई यादगार रोल किये।
1999 में आई फिल्म 'बादशाह' का 'मानिकचन्द' या 1998 की फिल्म 'गुंडा' का 'लकी चिकना'… 2003 में आई 'हंगामा' का 'बाबू बिसलरी' या 'हेलो ब्रॉटर' का 'निंजा चाचा' या फिर लोहा का 'मुन्ना मोबाइल', रज़्ज़ाक खान ने हर किरदार में अपना सिग्नेचर स्टाइल छोड़ा। 1993 में 'रूप की रानी चोरों का राजा' से फिल्मों में उन्होंने एंट्री ली थी। फिल्म 'मोहरा', 'राजा हिंदुस्तानी', 'इश्क़', 'दरार' जैसी फिल्मों में रज़्ज़ाक ने नाम कमाया और फिर 'गुंडा', 'हसीना मान जायेगी', 'बादशाह', 'हेलो ब्रदर' में 90 के दौर में चमके।
2000 में 'जोरू का ग़ुलाम', 'हेरा फेरी', 'हर दिल जो प्यार करेगा' में उन्होंने लोगों का खूब मनोरंजन किया और फिर 'पार्टनर', 'भागम भाग', 'फिर हेरा फेरी' जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया और 'मकोड़ी' रज़्ज़ाक के नाम से दुनिया भर में हिंदी फिल्मों के दीवानों के दिलों में जगह बनाई।