स्मार्ट सिटीज की दौड़
भारत सरकार ने शीर्ष 20 शहरों के चुनाव के साथ जनवरी 2016 में स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम) के चैलेंज का पहला राउंड पूरा कर लिया। शहरी विकास मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि 50,802 करोड़ रु. के निवेश से 20 शहरों को पांच वर्षों में 26,735 एकड़ में स्मार्ट सिटीज के रूप में विकसित किया जायेगा। दूसरे राउंड का चैलेंज शुरू हो चुका है और जून 2016 तक 54 संशोधित स्मार्ट सिटी प्रस्तावों (एससीपी) की उम्मीद है; ऐसे में जीताऊ स्मार्ट प्रस्ताव तैयार करने हेतु प्रमुख कारकों पर गौर करने का समय है।
अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों से सीख लेनाः स्मार्ट सिटी के प्रस्तावों में दुनिया की सर्वोत्तम पद्धतियों की समीक्षा की जानी चाहिए और स्थानीय समस्याओं को हल करने के लिए उत्कृष्ट समाधानों की पहचान की जानी चाहिए। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े आधुनिक समाधानां और प्लानिंग के तरीकों से सीखी गई प्रमुख बातों को स्थानीय आवश्यकताएं पूरी करने हेतु विशेषीकृत किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, दुनिया के 500 से अधिक शहरों में पब्लिक बाईक शेयरिंग सिस्टम चल रहा है। हानझाउ (चीन) में हानझाउ पब्लिक बाइसाइकिल, पेरिस (फ्रांस) में वेलिब और न्यूयॉर्क (यूएसए) में सिटीबाईक कुछ अत्यंत सफल मॉडल्स में शामिल हैं। ये उदाहरण निर्बाध स्वचालित टिकटिंग प्रणाली, सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के साथ साइकिल डॉकिंग स्टेशंस का एकीकरण, शहर का एकसमान कवरेज और लाभप्रद कारोबारी मॉडल्स प्रदर्शित करते हैं, ताकि निजी निवेशकों एवं परिचालकों को आकर्षित किया जा सके। अन्य उदाहरण, दुनिया भर के शहरों में अब इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) का उपयोग किया जा रहा है और स्मार्ट सिटी परिचालन केंद्र जैसे-बार्सिलोना और सोंगडो में सिस्को आईओटी मॉडल और सिंगापुर व रियो डे जेनेरियो में आईबीएम परिचालन स्थापित किये जा रहे हैं। इन हस्तक्षेपों ने निर्बाध मॉनिटरिंग के जरिए अपने परिचालनों को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने में मदद की है और शहरी आंकड़े विश्लेषकों के जरिए संबद्ध समुदायों हेतु कारोबारी समझ पैदा कर रहा है। श्री राना कपूर, प्रबन्ध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी यस बैंक के अनुसार
बिजनेस केस एप्रोच अपनानाः स्मार्ट सिटी के प्रस्तावों को व्यावसायिक योजनाओं के रूप में देखा जाना चाहिए। विकास को गति देने के लिए सरकारी अनुदानों का उपयोग प्रारंभिक धन के रूप में किया जाना चाहिए। लंबी अवधि में, शहर में नई स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को शुरू करने के लिए आय पैदा की जानी चाहिए। अत्यावश्यक रूप से, हर परियोजना आर्थिक दृष्टि से लाभकर होनी चाहिए। वित्तपोषण के नये-नये तरीकों जैसे-अतिरिक्त फ्लोर एरिया अनुपात (एफएआर) पर प्रीमियम लेना, रियल्टी परियोजनाओं का विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड्स का उपयोग करना और कर से होने वाली आय को बढ़ाने के अवसरों की तलाश की जानी चाहिए। उपयुक्त परियोजनाओं और राजस्व स्रोतों के विकास पर भारी जोर दिया जाना जरूरी है, जो कि ऐसे निवेशकों और बैंकों को लुभाते हैं जो वाणिज्यिक रूप से कम लाभकर परियोजनाओं के लिए भी प्रति सहायता कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, इंदौर ने अपने प्रस्ताव को क्रियान्वित करने हेतु निजी क्षेत्र से लगभग 3500 करोड़ रु. की राशि जुटाने का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव में अतिरिक्त एफएआर पर मिलने वाले प्रीमियम और रियल इस्टेट विकास से होने वाली आय को राजस्व के प्रमुख स्रोत के रूप में रेखांकित किया गया। परियोजना के जीवनकाल में, प्रस्ताव से अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है जिसका उपयोग भविष्य में शहर की नई स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है।
समस्या समाधान में नवीनताः किसी क्षेत्र को विश्वस्तरीय फैसिलिटी में बदलने हेतु, भारत के लिए अत्यधिक वित्तीय संसाधन एवं तकनीकी नवाचारों की उपलब्धता आवश्यक है। निर्णयकर्ताओं को ऐसे नये समाधान तलाशने की जरूरत है जो स्वाभाविक रूप से वृद्धिकारक हैं और मौजूदा संसाधनों पर पड़ने वाले बोझ को कम करते हैं। उदाहरण के लिए, ली कुआन येव के सपने से प्रेरित होकर, सिंगापुर स्वयं को इंटेलिजेंट मेट्रोपोलिस के रूप में बदल रहा है, ताकि अपने बाशिंदों के लिए आर्थिक रूप से आकर्षक, रहने योग्य एवं स्वस्थ वातावरण विकसित किया जा सके। इस दिशा में, सिंगापुर ने ब्रॉडबैंड की सार्वभौमिक उपलब्धता हेतु दशकों तक सहयोगी पहल के रूप में ‘सिंगापुर वन’ को क्रियान्वित किया। इस आधुनिक आईसीटी ढांचे का अनुकूलन अब बढ़ते ऑनलाइन व्यवसाय के लिए मुख्य आधार का काम करता है। आदर्श रूप से, इन नवप्रवर्तनशीलताओं से सेवा उपलब्ध कराने की लागत में कमी आयेगी और अधिक बचत होगा। उदाहरण के लिए, भुवनेश्वर ने संचारोन्मुखी विकास सिद्धांत पर टाउन सेंटर में रेलवे स्टेशन के आसपास मल्टी-मॉडल हब विकसित करने का प्रस्ताव दिया। जयपुर ने पर्यटकों के लिए रात्रिकालीन बाजारों के विकास का प्रस्ताव दिया, ताकि उनके ठहरने की अवधि को 2.8 दिन से बढ़ाकर 3.5 दिन हो सके और शहर के जीडीपी में पर्यटन क्षेत्र का योगदान 13.6 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो सके। क्रियान्वयन की दृष्टि से, विशेष उद्देश्य वाहन (एसपीवी) को स्मार्ट सिटी के विकास एवं प्रबंधन हेतु फंड्स को सुरक्षित रखने, इसके कार्यों आदि के लिए स्वायतता मिलनी चाहिए।
निजी क्षेत्र के साथ सहयोगः स्मार्ट सिटीज के लिए यह जरूरी है कि वे परंपरागत तरीकों से आगे बढ़ें और निजी क्षेत्र के साथ सहयोग के अवसरों की तलाश करें। वैश्विक सहयोगों का लक्ष्य निवेशों एवं तकनीकों को आकर्षित करना होना चाहिए। स्थानीय सहयोग का उद्देश्य स्थानीय बाई-इन और स्पांसरशिप्स होना चाहिए, ताकि कारोबारी परिवेश को बेहतर बनाया जा सके। प्रस्ताव तैयार करने के चरण में भी बाजार शोध अध्ययन किये जाने चाहिए। उदाहरण के लिए, पुणे नगर निगम ने सूचना एवं संचार तकनीक समाधानों के विकास हेतु नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर ऐंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम), सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजिज (सी-डैक), माइक्रोसॉफ्ट और सिस्को सिस्टम्स के साथ, और परियोजना संरचना निर्माण एवं विकास के लिए सिटीज डेवलपमेंट इनिशियेटिव फॉर एशिया (सीडीआईए) और वर्ल्ड रिसॉर्सेज इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) के साथ, और इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम और विद्युत चालित बसों, आदि के लिए केपीआईटी टेक्नोलॉजिज के साथ समझौता-पत्र पर हस्ताक्षर किया है।
नागरिक सहभागिता एवं पृष्ठांकनः एक सफल प्रस्ताव ऐसा होना चाहिए जो अपने मकसद को अच्छी तरह से बता सके, उस पर चर्चा व विचार-विमर्श किया जा सके। प्रस्तावित समाधानों में नागरिकों एवं शेयरधारक समूहों की महत्वाकांक्षाएं निरूपित होनी चाहिए। स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप नागरिकों के साथ जुड़ाव की रणनीति के जरिए सुविचारित प्रस्ताव अत्यावश्यक है। उदाहरण के लिए, पुणे नगर निगम ने नौ चरणों में पुणे के लगभग 50 प्रतिशत परिवारों के साथ व्यापक रूप से नागरिक परामर्श किया। इस परामर्श में स्पीड, स्केल, स्ट्रक्चर, सॉल्यूशन और सोशल ऑडिट के 5एस सिद्धांत का पालन किया गया।
स्थानीय, प्रादेशिक और केंद्रीय सरकार के बीच मजबूत सहयोगः भारतीय पारितंत्र में, अधिकार क्षेत्र के आधार पर सरकारों के विभिन्न स्तरों पर अनेक निर्णय लिये जाने होते हैं। विभिन्न सरकारी विभागों के बीच अच्छे संबंध और समझ से परियोजना को तेजी से क्रियान्वित किया जा सकेगा। उदाहरण के लिए, भोपाल नगर निगम ने राज्य सरकार के साथ मजबूत साझेदारी की ताकि क्षेत्र-आधारित विकास के लिए सरकारी भूमि का उपयोग किया जा सके। भूमि-उपयोग परिवहन एकीकरण को समर्थन देने हेतु राज्य सरकार द्वारा परिवहनोन्मुखी विकास दिशानिर्देश भी पृष्ठांकित किया गया था। आगे, केंद्र सरकार ने आइडियाज कैंप्स इनोवेशन फ्राइडेज आदि जैसे इवेंट्स आयोजित किये।