मंहगे डीजल-पेट्रोल के लिए हो जाइये तैयार
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम फिर से बढ़ने लगे हैं। गुरुवार को सात महीने में पहली बार कच्चे तेल की कीमत 50 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंची। देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगभग वहीं पहुंच चुकी हैं, जहां 2014 में थी। दिल्ली में पेट्रोल 63.02 रुपये और डीजल 51.67 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है।
मौजूदा स्थितियों को देखते हुए जानकारों को आशंका है कि भविष्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और भी बढ़ोतरी हो सकती है। यह आशंका बेवजह भी नहीं है क्योंकि ऐसे बहुत से कारण हैं, जिनकी वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जल्द राहत मिलती नहीं दिख रही।
डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। इससे घरेलू पेट्रोल व डीजल दामों पर दबाव बढ़ रहा है। गुरुवार को एक डॉलर की कीमत 66.99 रुपये रही। ऐसी भी आशंका है कि भविष्य में डॉलर की कीमत 68-69 रुपये तक पहुंच सकती है। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम स्थिर रहने के बावजूद भारत को ज्यादा पैसे चुकाने पड़ सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने की आशंका इसलिए भी जताई जा रही है क्योंकि इसका उत्पादन तेजी से घट रहा है। पिछले एक साल में अमेरिका में तेल उत्पादन में 6 फीसदी की गिरावट आई है। उत्पादन 9.3 मिलियन बैरल प्रति दिन से घटकर 8.8 मिलियन बैरल प्रति दिन तक पहुंच गया है। कनाडा में आग लगने की वजह से कच्चे तेल की सप्लाई प्रभावित हुई। सीरिया, तुर्की जैसे देशों में आईएस गतिविधियों से भी सप्लाई में बाधा पहुंच रही है। हिंसक घटनाओं की वजह से नाइजीरिया का तेल उत्पादन भी एक दशक के निचले स्तर पर पहुंच गया है।
अगर तेल की कीमतों में गिरावट होती रही, तो सऊदी अरब के पास 4 साल के भीतर ही नकदी खत्म हो जाएगी। यह देश 140 बिलियन डॉलर का अपना विदेशी फंड इस्तेमाल कर चुका है। ऐसे में सऊदी अरब ने अपनी अर्थव्यवस्था को डगमगाने से रोकने के लिए तेल पर अपनी निर्भरता को कम करने का फैसला किया है।