पुलिस की छवि को बेहतर बनायें: डीजीपी
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का सम्मेलन शुरू, पुलिस के आधुनिकीकरण पर विशेष ज़ोर
लखनऊः पुलिस सप्ताह के अंर्तगत आज रेडियो मुख्यालय महानगर के सभागार में आयोजित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सम्मेलन के पहले दिन प्रदेश की कानून-व्यवस्था को और अधिक बेहतर बनाने, अपराध स्थिति पर प्रभावी नियंत्रण एवं पुलिस को जनता से जोड़ने हेतु तकनीकी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किये जाने आदि के संबंध में विस्तार से चर्चा की गयी तथा विभिन्न विषयों पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा कई प्रस्तुतीकरण भी किये गये।
पुलिस महानिदेशक ए.के. जैन ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा पुलिस के आधुनिकीकरण पर विशेष बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण के लिये हर संभव प्रयास किये जाये तथा इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता क्षम्य नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हमको अच्छे नतीजे दिखाने है। उन्होंने आम जनता के मध्य पुलिस की छवि को और बेहतर बनाये जाने के लिये भी सतत् प्रयत्नशील रहने के निर्देश दिये।
पुलिस महानिरीक्षक एसटीएफ श्री सुजीत पांडे ने उत्तर प्रदेश में संगठित अपराधों एवं उनसे निपटने हेतु किये जा रहें प्रयासों की विस्तार से जानकारी अपने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से दी। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़ी आपराधिक घटना में जिला पुलिस को एसटीएफ टीम के साथ मिलकर उसके ख्ुालासे के लिये प्रयास करना होगा। इसके लिये जितनी जल्दी घटना स्थल पर दोनों की टीमें जाएंगी अपराध के खुलासे में उतनी ही अधिक सहायता मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिले की पुलिस को विभिन्न प्रकार का बेसिक डाटा भी बनाना होगा, जिसके लिये विशेष रूप से प्रयास किये जाने चाहिये।
अपर पुलिस महानिदेशक, तकनीकी शाखा श्री आर.के. विश्वकर्मा ने सी.सी.टी.एन.एस. योजना के अंर्तगत अब तक हुयी प्रगति की विस्तार से जानकारी दी। उन्होने बताया कि इस योजना के माध्यम से जनता की शिकायते दर्ज कर उनमें प्रभावी कार्यवाही कराये जाने की दिशा में प्रयासों में तेजी लाई गई है, जिसके सार्थक नतीजे शीघ्र ही सामने आएंगे और लोगों को उसका लाभ मिल सकेगा। उन्होंने पुलिस द्वारा शुरु की गयी कई नयी जन केंद्रित योजनाओं खोयी वस्तु रिपोर्ट सेवा, तत्पर सुरक्षा सेवा आदि के विषय में भी विस्तार से प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंनें बताया कि ‘तत्पर’ योजना के माध्यम से मात्र एक बटन दबाकर रजिस्टर्ड संस्थाएं आस-पास के थानों की मदद प्राप्त कर सकेंगी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, लखनऊ श्री यशस्वी यादव ने लखनऊ के विभिन्न क्षेत्रों लगवाये गये सी.सी.टी.वी. कैमरों व उनसे मिलने वाले परिणामों पर विस्तार से जानकारी अपने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रदान की। उन्होंने ‘दृष्टि’ परियोजना के विषय में भी विस्तार से जानकारी दी।
प्रशिक्षण निदेशालय की ओर से श्री अमित चन्द्र, पुलिस उपमहानिरीक्षक प्रशिक्षण द्वारा पुलिस कर्मियों को और अधिक बेहतर प्रशिक्षण दिये जाने संबंधी प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी गयी तथा इस कार्य में आने वाली समस्याओं पर भी चर्चा की गयी। पुलिस अधिकारियों से अनुरोध किया गया कि प्रशिक्षण कार्य की महत्ता को देखते हुये प्रशिक्षण हेतु नामित कर्मियों को अवश्य भिजवाने का कष्ट करें। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रशिक्षण नीति का अनुमोदन किया गया है।
गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, श्री धमेन्द्र सिंह ने आॅपरेशन स्माइल शुरू किये जाने तथा उससे मिली सफलता के सभी बिन्दुओं पर विस्तार से प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जानकारी दी और बताया कि अब तक 552 बच्चांे को उनके माता-पिता से मिलवाया जा चुका है, जो एक बड़ी सफलता है। गाजियाबाद पुलिस की इस योजना को भारत सरकार ने पूरे देश में लागू किया, जो प्रदेश पुलिस के लिये गौरव की बात है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़, गोवा, चण्डीगढ़ व झारखण्ड की पुलिस ने भी इस योजना के प्रति अपनी विशेष रुचि दिखाते हुये गाजियाबाद पुलिस से समन्वय स्थापित किया। इस अभियान से जुड़े पुलिस कर्मियों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा है। अभियान से जुड़े एक सब इंस्पेक्टर मानिक चंद जो आज ही सेवा निवृत्त हो रहे है, उनके द्वारा अभियान के दौरान मिले एक बच्चे को गोद लेने की इच्छा प्रकट की गयी। यह पुलिस कर्मियों के इस योजना के प्रति समर्पण व लगन की भावना की एक अनूठी मिसाल है।
मुरादाबाद के पुलिस उपाधीक्षक, श्री राहुल कुमार ने ‘‘आपरेशन साहस’’ के संबंध में विस्तार से जानकारी प्रदान की। कानपुर के आईजी, जोन श्री आशुतोष पांडे ने ‘‘उत्तर प्रदेश में क्राइम मैपिंग’’ के विषय में विस्तार से प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि पहले से हम अपराधों के प्रकार, स्थान, प्रवृत्ति आदि का अध्ययन कर ऐसे स्थानों को चिन्हित कर प्रभावी रणनीति बनाकर पुलिसिंग करें तो इन पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों का आवाहन किया कि वह अपने-अपने क्षेत्र के अपराध बाहुल्य कुछ ऐसे थानों का चयन करे। उन्होने कहा कि अपराध हेतु विशेष रूप से संवेदनशील स्थलों का चयन कर उनके नियंत्रण हेतु प्रभावी रणनीति बनाकर कार्यवाही की जायें तो काफी हद तक अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकता है।