लाल सलाम रैली के साथ भाकपा(माले) रेड स्टार के दसवें महाधिवेशन की शुरूआत
लखनऊ: ‘‘लाल सलाम रैली’’ के साथ भाकपा(माले) रेड स्टार के दसवंे महाधिवेशन की आज शुरूआत हुई। लखनऊ के आसपास के जिलों तथा अन्य प्रान्तों से आये हजारों कार्यकर्ताओं ने चारबाग रेलवे स्टेशन से ‘‘कारपोरेट राज और साम्प्रदायिकता को ध्वस्त करो’’ तथा भारत को गुजरात नहीं बनने देंगे’’ के जोरदार नारे लगाते हुए रैली निकाली। रैली चारबाग रेलवे स्टेशन से बर्लिग्टन चैराहा होते हुए लालकुआं, बांस मण्डी से बाल संग्रहालय लाॅन, चारबाग पहुंची। ‘‘शहीद भगतसिंह-अशफाक उल्ला खां नगर’’ (बाल संग्रहालय लाॅन) में जन सभा आयोजित कर दसवें पार्टी महाविधेशन के उद्देश्य को रखा गया।
जनसभा की अध्यक्षता जनवादी आन्दोलनों के वरिष्ठ साथी एडवोकेट सी.बी. सिंह ने की। भाकपा(माले) रेड स्टार के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव ने सभा संचालन किया। उन्होंने अपने स्वागत भाषण मंे कहा कि पार्टी का महाधिवेश उस धरती पर किया जा रहा है जहां 1857 की लड़ाई लड़ी गई थी, जहां चैरी-चैरा की घटना के बाद सत्याग्रह आन्दोलन को वापस लिये जाने के बावजूद बाबा रामचन्द दास और मदारी पासी जैसे लोगों अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई जारी रखा और जो धरती कम्युनिस्टों के नेतृत्व में मजदूरों और किसानों की जुझारू आन्दोलनों की गवाह रही है। कामरेड बृजबिहारी ने कहा कि भाकपा और माकपा ने जिस लाल झण्डे को शासक वर्ग की पार्टियों के कोठी पर रख दिया था, उसे फिर से बुलन्द करने के लिए यह लाल सलाम रैली और जनसभा की गई है।
जन सभा का उद्घाटन भाकपा(माले) रेड स्टार के महासचिव कामरेड के.एन. रामचन्द्रन ने किया और कहा कि दसवें पार्टी महाधिवेशन का उद्देश्य वामपंथ की क्रांतिकारी धारा को एकजुट करना है। महाधिवेशन की इस प्रक्रिया में भाकपा(माले) रेड स्टार के साथ बंगाल में रेड फ्लैग की एकता हुई है। उत्तर प्रदेश में कामरेड अवस्थी के नेतृत्व में कार्यरत क्रांतिकारी कम्युनिस्ट ग्रुप पार्टी में शामिल हुआ है तथा पार्टी महाधिवेशन के दौरान माक्र्सवादी-लेनिनवादी कमेटी, आन्ध्र प्रदेश के एकता की घोषणा होने वाली है। यह एक शुरूआत है और महाधिवेशन में इस प्रक्रिया को तेज करने का निर्णय लिया जायेगा। आज जनता अपनी पीड़ा से गुस्से में है और एक क्रांतिकारी विकल्प तलाश रही है। दक्षिणपंथी कांग्रेस के खिलाफ जनता के गुस्से का फायदा उठाकर घोर-दक्षिणपंथी भाजपा सत्ता में आई है। वह कांग्रेस की नीतियों को ही और जोर से लागू कर रही है। इसी प्रकार, उ.प्र. की अखिलेश सरकार हो या ओडि़सा के नवीन पटनायक की सरकार या अन्य राज्यों में किसी भी अन्य दल की सरकार, सभी नव-उदारवादी नीतियों को ही लागू कर रहे हैं, जिससे जनता की जिन्दगी बदहाल हो रही है। केवल कम्युनिस्ट क्रांतिकारी ही जनपक्षीय विकल्प दे सकते हैं।
पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड संजय सिंघवी ने कहा कि मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही श्रम कानूनों और भूमि अधिग्रहण कानून को बदलकर पहला काम मजदूरों और किसानों पर हमला करने का किया है। जन सभा को कामरेड आर. मनसैय्या (कर्नाटक), शिवराम (ओडि़सा), पीजे जेम्स (केरल), डीके राठौड़ (गुजरात), प्रदीप सिंह ठाकुर (बंगाल), शर्मिष्ठा चैधरी, प्रमीला, सौरा यादव एवं पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सम्बोधित किया।