मोदी सरकार का बर्ताव अंग्रेज़ों जैसा
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अन्ना का आंदोलन शुरू
नई दिल्ली : किसानों के प्रति मोदी सरकार पर उपेक्षा का भाव अपनाने के आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने संसद का बजट सत्र शुरू होने के साथ ही आज यहां विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ दो दिवसीय आंदोलन की शुरूआत की ।
77 वर्षीय हजारे के साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नर्मदा बचाओ आंदोलन की कायकर्ता मेधा पाटकर भी जंतर-मंतर पर उनके साथ शामिल हुईं । अन्ना ने कहा कि वह अध्यादेश के खिलाफ देश के हर जिले में आंदोलन को ले जाएंगे । हजारे ने कहा कि प्रदर्शन स्थल पर वह आप या कांग्रेस के साथ मंच साझा नहीं करेंगे और दोनों दल आम आदमी के रूप में प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं ।
हजारे ने कहा, ‘आप किसानों की सहमति के बगैर उनकी जमीन कैसे ले सकते हैं । भारत कृषि प्रधान देश है । सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए । भूमि अध्यादेश अलोकतांत्रिक है ।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार किसानों के हितों की उपेक्षा नहीं कर सकती । यह भारत के लोगों की सरकार है न कि इंग्लैंड या अमेरिका की । लोगों ने सरकार बनाई है।’ इसे काफी गंभीर मुद्दा करार देते हुए हजारे ने कहा कि अगर सरकार ने किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दिया तो वह पूरे देश में आंदोलन करेंगे और फिर तुरंत रामलीला मैदान लौटेंगे ।
हजारे ने कहा, ‘गांवों के लोगों को इस बारे में (संशोधन) अब भी पता नहीं है । अब हम हर राज्य एवं हर जिले के लोगों को प्रावधानों (अध्यादेश के) से अवगत कराएंगे । हर जिले में जाना जरूरी है ।’ हजारे अध्यादेश के माध्यम से भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ बदलाव किए जाने को लेकर मोदी सरकार के घोर आलोचक रहे हैं ।
पिछले वर्ष 29 दिसम्बर को सरकार ने अध्यादेश लाकर भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए थे जिसमें भूमि अधिग्रहण के लिए पांच क्षेत्रों में किसानों की सहमति प्राप्त करने की धारा को हटाना भी शामिल है । ये पांच क्षेत्र हैं औद्योगिक कोरीडोर, पीपीपी परियोजनाएं, ग्रामीण आधारभूत ढांचे, सस्ते आवास और रक्षा ।
यह पूछने पर कि क्या आप और कांग्रेस आंदोलन में शामिल हो सकते हैं तो हजारे ने कहा, ‘उन्हें मंच साझा करने की अनुमति नहीं होगी क्योंकि अगर मैंने अनुमति दी तो यह पार्टी का कार्यक्रम बन जाएगा । वे लोगों के साथ शामिल हो सकते हैं । उन्हें कोई नहीं रोक सकता ।’’ यह पूछने पर कि क्या वह प्रदर्शन में कभी साथी रहे अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी को याद करेंगे तो उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें क्यों याद करें । हमारा कोई निजी हित या मंशा नहीं है । अगर कोई निजी मंशा या हित होती उन्हें याद किया जाता । ये लोगों के मुद्दे हैं ।’’ भूमि अध्यादेश पर केंद्र की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए ।
उन्होंने कहा, ‘‘स्वतंत्रता के बाद पहली बार किसानों को वर्तमान सरकार के समय में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाए जाने के बाद इतने अन्याय का सामना करना पड़ रहा है ।
हजारे ने कहा, ‘2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक जब तक जमीन अधिग्रहित किए जाने वाले गांव के 70 फीसदी किसान सहमति नहीं देते तब तक जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता । लेकिन इस सरकार ने इस प्रावधान को हटा दिया। यह कारपोरेट के फायदे के लिए किया गया ।’ उन्होंने कहा, ‘चुनावों से पहले लोगों को ‘अच्छे दिन’ के वादे किए गए, उन्होंने विश्वास किया और उन्हें वोट दिया । आज वे किसानों से जबरन उनकी जमीन छीन रहे हैं । इसलिए ‘अच्छे दिन’ कारपोरेट के लिए हैं न कि आम आदमी के लिए ।’ हजारे ने कहा कि देश के जिले एवं प्रखंड स्तर पर तीन-चार महीने की पदयात्रा के बाद यहां के रामलीला मैदान से ‘जेल भरो’ आंदोलन की शुरूआत की जाएगी।
लोगों को संबोधित करते हुए पाटकर ने कहा, ‘हमें विकास के लिए रालेगण सिद्धि मॉडल की जरूरत है न कि गुजरात मॉडल की जहां सौराष्ट्र प्यासा रह गया है।’