टीम इंडिया की भावना से कर रही है काम सरकार
संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी का सम्बोधन
नई दिल्ली : सोमवार से शुरू हुए संसद के बजट सत्र के हंगामेदार रहने की आशंकाओं के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सभी सांसदों से अनुरोध किया कि वे सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरादायित्वों का निर्वहन करें लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में सरकार की कोई बदलाव करने की मंशा है। राष्ट्रपति ने हालांकि कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों और उनके परिवारों के हितों की सुरक्षा को सर्वाधिक महत्व देती है।
राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को सांबोधित करते हुए कहा,‘‘ मेरी सरकार सुचारू विधायी कार्य संचालित करने और संसद में ऐसे प्रगतिशील कानूनों को बनाने के लिए निरंतर प्रत्यनशील रहेगी जो लोगों की इच्छा और आकांक्षाओं को दर्शाते हैं।’’ राष्ट्रपति ने सरकार की आगामी वर्ष की योजनाओं को अपने अभिभाषण के जरिये पेश करते हुए कहा कि हमारी संसद लोकतंत्र का परम पावन स्थल है और भारत के लोगों, विशेषकर दूर दराज में रहने वाले अत्यंत निर्धन लोगों ने अपनी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इस संस्था में अटूट विश्वास दिखाया है।
उन्होंने कहा, ‘ मैं संसद के सभी सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि वे सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करें। प्रत्येक नागरिक की देश प्रेम की शक्ति से हम सबको एकजुट होकर एक सशक्त और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए कार्य करना चाहिए। एक भारत, श्रेष्ठ भारत।’
राष्ट्रपति ने अपने 20 पृष्ठ के अभिभाषण में कहा, ‘ मेरी सरकार के सतत प्रयासों तथा नीतिगत पहलों के परिणामस्वरूप हमारी अर्थव्यवस्था पुन: उच्च विकास पर है। हाल के अनुमानों के अनुसार, हमारी जीडीपी 7.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रही है जिसने भारत को विश्व में तीव्रतम गति से वृद्धि करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘ सरकार द्वारा कई निर्णायक कदम उठाने के परिणाम स्वरूप मुद्रास्फीति विशेषकर खाद्य मुद्रास्फीति में रिकार्ड कमी आई है.. पूंजी बाजार उंचाई के स्तर पर है तथा हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है।’
अपने अभिभाषण में मुखर्जी ने आतंकवाद और वामपंथी उग्रवाद को देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बताया और कहा, ‘ मेरी सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावित लोगों एवं प्रभावित राज्यों की सरकारों के समन्वित सहयोग के साथ पूर्णत: प्रतिबद्ध है।’ जम्मू कश्मीर के विस्थापितों के बारे में उन्होंने कहा कि यह विषय सरकार के एजेंडा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और उसने राज्य में विस्थापितों के लिए अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, ‘ इसमें 60 हजार से अधिक कश्मीरी पंडित परिवारों के पुनर्वास को सुगम बनाना शामिल है और सरकार ने इस संबंध में कारगर कदम उठाये हैं जिनमें अन्य कार्यो के साथ साथ सरकारी नौकरियों, आर्थिक अवसर और सुरक्षा उपलब्ध कराना शामिल है।’
पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘यह मानते हुए कि हमारा भविष्य हमारे पड़ोस से जुड़ा हुआ है, मेरी सरकार ने पड़ोसियों के साथ हमारे संबंधों में नई जान फूंकी है और यह दक्षिण एशिया में और अधिक सहाकारिता और मेलमिलाप को बढ़ावा दे रही है।’’ राष्ट्रपति ने साथ ही कहा, ‘ हम अपने हितों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं और अपनी सीमाओं की रक्षा और जनता की सुरक्षा करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।’
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि सरकार के कई निर्णायक कदमों के कारण मुद्रास्फीति रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया और अर्थव्यवस्था फिर से उच्च वृद्धि के मार्ग पर है। संसद के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण में उन्होंने कहा ‘सरकार द्वारा उठाए गए कई निर्णायक कदमों के कारण मुद्रास्फीति और विशेष तौर पर खाद्य मुद्रास्फीति रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर है।’ थोक मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने में दूसरी बार शून्य से नीचे चली गई और पेट्रोलियम और खाद्य मूल्य में गिरावट के कारण यह जनवरी में शून्य से 0.39 प्रश्तिात कम के साढ़े पांच साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई। कुल मिलाकर खाद्य मुद्रास्फीति आठ प्रतिशत रही।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार के सतत प्रयासों और विभिन्न तरह की नीतिगत पहलों के कारण ‘हमारी अर्थव्यवस्था फिर से उच्च वृद्धि के मार्ग पर आ गई है।’ ताजा अनुमान के मुताबिक भारत का सकल घरेलू उत्पाद 7.4 प्रतिशत की दर से गुजर रहा है जिससे देश विश्व में सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है। मुखर्जी ने कहा कि पूंजी-सृजन बढ़ गया है जो पिछले कुछ सालों से लगभग ठहराव के दौर से गुजर रहा था।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा बाजार में उछाल है और भारत का वाह्य क्षेत्र अपेक्षाकृत बहुत लचीला है विशेष तौर पर चालू खाते के घाटे में नरमी और आम तौर पर स्थिर रुपए के कारण राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने कर प्रणाली में ज्यादा कार्यकुशलता और साम्य लाने की कोशिश तेज की है। व्यय प्रबंधन में मितव्ययिता भी हमारी सरकार की उच्च प्राथमिकता है। मुखर्जी ने कहा कि माल एवं सेवा कर पेश करने के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक लाया गया है जो अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को सरल बनाएगा जिससे कर नियमों का अनुपालन बेहतर तरीके से होगा।