मौलाना इलियास का बयान निन्दनीयः अशहद रशीदी
लखनऊः मौलाना मोहम्मद इलियास के भगवान शंकर मुसलमानों के पहले पैगम्बर हैं वाले विवादित बयान पर जमीअत उल्मा ने आज स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि इस बयान से संगठन का कोई लेना देना नहीं है और न ही मौलाना इलियास संगठन के मेम्बर हैं।
प्रेस का जारी एक बयान में जमीअत उल्मा यूपी के अध्यक्ष मौलाना अशहद रशीदी ने कहा है कि इस्लाम एक आसमानी मजहब है जिसकी बुनियाद तौहीद व रिसालत पर कायम है। आजसे चैदह सौ वर्ष पूर्व मक्का मुकर्रमा में अल्लाह के आखरी नबी हजरत मोहम्मद स.अ. ने सारे इन्सानों को एक खुदा की दावत दी और फरमाया कि जो केवल एक अल्लाह को मानेगा और उसी के सामने सिर झुकायेगा वही मौत के बाद खुदा की पकड़ और नर्क की आग से सुरक्षित रहेगा। मुसलमानों की आस्था है कि हजरत मोहम्मद स.अ. अल्लाह के आखरी नबी हैं।
कल फैजाबाद जिले में मौलाना इलियास ने जो वक्तव्य दिया है वह उनकी व्यक्तिगत राय है। मौलान इलियास का स्थानीय या प्रदेशीय जमीअत उल्मा से कोई सम्बन्ध नहीं है। जमीअत उल्मा यूपी ने मौलाना इलियास के बयान की निन्दा करते हुए कहा कि मौलाना इलियास के प्रिन्ट और इलेक्ट्रनिक मीडिया को दिये गया बयान से कोई तअल्लुक नहीं है।