व्यापमं घोटाला : शिवराज पर कांग्रेस का हमला, मांगा इस्तीफा
भोपाल: मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाला एक बार फिर चर्चा में है। कांग्रेस ने कुछ कथित दस्तावेजों के साथ शिवराज सरकार पर जोरदार हमला बोला है। कांग्रेस के तमाम नेताओं ने इस घोटाले में शिवराज सिंह चौहान और उनके परिवार पर शामिल होने का आरोप लगाया है और उनका इस्तीफा मांगा है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि कुछ दिन पहले यह कहा गया था कि राज्यपाल का बेटा सीरियल नंबर 106-115 तक की नियुक्ति में शामिल है। वहीं, दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि कुछ सीरियल नंबरों के सामने सीएम लिखा हुआ था।
वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने कहा कि व्यापमं के कागजों में सीएम के कार्यालय का नाम बदलकर गवर्नर हाउस लिख दिया गया है। साथ ही सीएम के नाम की जगह उमा भारती का नाम लिख दिया गया।
साथ ही कांग्रेस ने नेता कमलनाथ ने आरोप लगाया कि इस घोटाले में मुख्यमंत्री और उनके परिवार को बचाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग के एक कंप्यूटर की हार्ड डिस्क को भी बदल दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह लोगों के साथ अन्याय है और इसके सीएम और उनके मंत्री जिम्मेदार हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि एसटीएफ सीएम के इशारे पर काम कर रही है।
संवाददाता सम्मेलन में मौजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि राज्य के लोगों के साथ धोखा हुआ है और राज्य सरकार ने कागजों के साथ छेड़छाड़ की है। उन्होंने कहा कि दोषी लोग आजाद घूम रहे हैं और निर्दोष छात्र सलाखों के पीछे हैं।
वहीं कांग्रेसी नेता सुरेश पचौरी ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।
इससे पहले, मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में हुए घोटाले की जांच के लिए बनाई गई स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने सोमवार को अहम दस्तावेज सौंपे हैं। इन दस्तावेजों में क्या है, सिंह ने इस बात का खुलासा नहीं किया है।
राज्य में व्यापमं द्वारा आयोजित पीएमटी, परिवहन आरक्षक, शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है। जबलपुर उच्च न्यायालय के निर्देश पर एसआईटी के अधीनस्थ विशेष कार्यदल (एसटीएफ) जांच कर रहा है। इस मामले में अब तक कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसमें प्रशानिक अधिकारी से लेकर पूर्व मंत्री व विभिन्न दलों के राजनेता भी शामिल हैं।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस फर्जीवाड़े की उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की थी, मगर न्यायालय ने इसे अमान्य कर दिया था।
सिंह सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के साथ अन्य लोगों की मौजूदगी में एसआईटी प्रमुख चंद्रेश भूषण से मिले और दस्तावेज भी सौंपे। एसआईटी प्रमुख ने मीडिया से चर्चा के दौरान माना है कि दिग्विजय ने जो दस्तावेज सौंपे हैं उनमें एक नया दस्तावेज है, जरूरत पड़ने पर वे इसका एसटीएफ से परीक्षण कराएंगे।