मैं अब भी बिहार का मुख्यमंत्री हूँ
सत्ता के बिना रह नहीं सकते नितीश कुमार: मांझी
नई दिल्ली/पटना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए रविवार को कहा कि वह अब भी बिहार के मुख्यमंत्री हैं। मांझी ने कहा कि वह 20 फरवरी को बहुमत साबित नहीं कर पाए तो अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। मांझी ने कहा कि पीएम मोदी के साथ उनकी चर्चा राज्य के विकास और स्वच्छता मिशन पर हुई।
पीएम मोदी से मिलने के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मांझी ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी से मिलने का समय मांगा था। आज उनसे बिहार के विकास के बारे में चर्चा हुई।
बिहार में गहराए राजनीतिक संकट पर मांझी ने कहा, ‘वह अब भी बिहार के मुख्यमंत्री हैं। नीतीश कुमार को गुमराह किया जा रहा है। वह अच्छे आदमी हैं।’ साथ ही नीतीश कुमार पर हमला करते हुए मांझी ने कहा कि नीतीश सत्ता के बगैर नहीं रह सकते। उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार महादलित को अपमानित करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। वह हर हथकंडा अपना रहे हैं। मेरे काम करने के तरीके को गलत समझा गया। बिहार में विधायकों को डराया और धमकाया जा रहा है। नीतीश ने मुझे महादलित समझकर ही सीएम बनाया। मैंने स्वाभिमान से काम किया तो लोगों के पेट में दर्द होने लगा।’
मांझी ने कहा कि उन्होंने 20 फरवरी से विधानमंडल की बैठक बुलाई है। 20 फरवरी को सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाया तो अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा। बहुमत साबित करने के लिए अन्य दलों से समर्थन लेंगे। गरीब और दलितों के प्रति जिनकी आस्था है वे उनका समर्थन करेंगे।
मांझी ने कहा कि राज्यपाल के कहने पर वह मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। बिहार के सीएम ने कहा कि वह जद-यू से इस्तीफा नहीं देंगे। बल्कि जो लोग गलत काम कर रहे हैं उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।
इसके पहले मांझी गुट के जदयू नेता महाचंद्र प्रसाद ने कहा, सीएम मांझी के पटना पहुंचने के बाद बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। उन्होंने कहा, जदयू में टूट हो सकती है और भाजपा से भी समर्थन ले सकते हैं।
वहीं, आज जदयू ने राजभवन जाकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनने का दावा पेश किया। जदयू नेता वशिष्ट नारायण सिंह ने राज्यपाल को समर्थन का पत्र सौंपा। उनके साथ आरजेडी, कांग्रेस और सीपीआई के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। जदयू ने 130 विधायकों के समर्थन का दावा किया है।
सूत्रों ने बताया कि मांझी शनिवार रात दिल्ली पहुंचने के बाद भाजपा नेताओं से मुलाकात की। उधर बिहार भवन में भाजपा नेता सुशील मोदी ने शनिवार रात मांझी के करीबी नेता नरेंद्र सिंह और महाचंद्र प्रसाद से मुलाकात की। जदयू के मांझी गुट के नेता महाचंद्र प्रसाद ने बताया कि विधायक दल की 7 फरवरी की बैठक वैध नहीं है। उन्होंने कहा, राज्यपाल से मंत्रिमंडल विस्तार का वक्त मांगा गया है। जीतन राम मांझी विधान मंडल के नेता हैं, जरूरत पड़ी तो बहुमत साबित करने के लिए पार्टी तोड़ेंगे। साथ ही उन्होंने कहा, सदन में भाजपा से भी सहयोग ले सकते हैं।
उधर, बिहार में सत्तारूढ़ जदयू द्वारा नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुने जाने के बावजूद इस्तीफा देने से इनकार करने वाले राज्य के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी नीति आयोग की रविवार को होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए शनिवार को पटना से विमान द्वारा दिल्ली पहुंचे।
मांझी ने कहा कि वह नीति आयोग की बैठक में शामिल होंगे। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2015-16 के आम बजट, प्रमुख योजनाओं और रेलवे तथा सड़क जैसी अवसंरचना परियोजनाओं पर मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों के विचार जानेंगे ताकि अर्थव्यवस्था को तेज गति दी जा सके। सत्ता में बने रहने के प्रयास में मांझी अपने प्रति नर्म रूख रख रही भाजपा की ओर देख सकते हैं।
जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार पर उन्हें पद से हटाने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को चुनने के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक अवैध है क्योंकि सिर्फ चुना गया नेता ही यह बैठक बुला सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘मैं अभी भी मुख्यमंत्री हूं।’ नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा में शक्तिप्रदर्शन होगा।
दिल्ली पहुंचने के बाद मांझी ने कहा, पिछले कुछ दिन से वे लोग फर्जी तरीके से विधायकों के हस्ताक्षर ले रहे हैं ताकि उनकी ताकत दिखा सकें। वे सत्ता के बगैर नहीं रह सकते। पूछने पर कि पद पर बने रहने के लिए क्या वह भाजपा का समर्थन लेंगे, मांझी ने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा, यह सिर्फ अटकलबाजियां हैं। यह सवाल भविष्य का है.. जदयू के ज्यादातर (बहुमत) विधायक हमारे साथ हैं। नीतीश कुमार के प्रति वफादारी दिखते हुए 20 मंत्रियों द्वारा इस्तीफा दिए जाने की बात पर मांझी ने कहा, उन्हें बर्खास्त किया गया है।
मांझी के करीबी सूत्रों ने बताया कि वह अपने हाथों से कमान लेने से नीतीश कुमार को रोकने के लिए भाजपा का समर्थन चाहते हैं। जीतन राम मांझी ने कल (शनिवार) इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था और जदयू विधायक दल की बैठक को असंवैधानिक करार दिया था। एक समय कुमार के अनुयायी माने जाने वाले मांझी ने उनके खिलाफ बगावत कर दी।
इधर, जदयू ने इस कवायद में उनके (मांझी) के हिस्सा लेने की पहल को नामंजूर करते हुए कहा कि उनका मुख्यमंत्री के रूप में काम करना मुनासिब नहीं है। बिहार में वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में जदयू के संकट से घिरने के परिदृश्य में भाजपा अपनी स्थिति को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि वह मांझी को आगे बढ़ाने को लेकर दुविधा में है जिनके कार्यकाल में खराब प्रशासन की भाजपा की राज्य इकाई कड़ी आलोचना कर रही है। अपनी पार्टी के अंदर समर्थन की कमी के कारण भी भाजपा इस महादलित नेता को आगे बढ़ाने को लेकर अपने कदम पीछे खींचने पर मजबूर हो रही है क्योंकि उसका मानना है कि बिहार विधानसभा में संख्याबल कुमार के पक्ष में है।
दूसरी ओर, मांझी राज्य में नये चुनाव की संभावना भी तलाश रहे हैं, जिसकी मांग भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी कर रहे है और ऐसा हो सकता है बशर्ते राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी विधानसभा भंग करने के कैबिनेट के प्रस्ताव से सहमत होते हैं। कैबिनेट के केवल 7 सदस्यों ने कल (शनिवार) की बैठक में इस प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि 21 सदस्यों ने इसका विरोध किया। बाद में कल (शनिवार) जदयू के 111 विधायकों में से 97 विधायकों ने मांझी के स्थान पर नीतीश कुमार को अपना नेता चुन लिया।
इससे पहले, दिन में पटना में मांझी ने अपने मंत्रिमंडल की एक बैठक बुलाई जिसमें उन्होंने विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का प्रस्ताव रखा लेकिन उनका समर्थन सिर्फ 8 विधायकों ने किया जबकि नीतीश कुमार के प्रति निष्ठा रखने वाले 20 मंत्रियों ने प्रस्ताव का विरोध किया।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि वह विधानसभा भंग करने पर फैसला करने के लिए अधिकृत हैं। उन्होंने नीतीश कुमार के करीबी समझे जाने वाले 15 मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की। बीती रात उन्होंने नीतीश के करीबी दो मंत्रियों को निकाल दिया था। दूसरी ओर नीतीश के करीब 20 मंत्रियों ने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी को अपने इस्तीफे भेज दिए जिनके सोमवार तक यहां आने की उम्मीद है। दिल्ली में मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम पर पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित पार्टी नेताओं के साथ अलग-अलग चर्चा की।