स्मारक घोटाला: लोकायुक्त ने राज्यपाल को भेजी स्पेशल रिपोर्ट
लखनऊ: लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने लखनऊ व नोएडा में स्मारकों के निर्माण में हुए 1410 करोड़ रुपए के घोटाले पर राज्यपाल राम नाईक को स्पेशल रिपोर्ट भेजी है। मुख्यमंत्री को भेजी गई अपनी रिपोर्ट पर संतोषजनक कार्रवाई न होने से उन्होंने यह कदम उठाया। लोकायुक्त ने कहा है कि इतने बड़े पैमाने पर शासकीय धन के दुरुपयोग के इस मामले में अभी तक किसी भी दोषी को दंडित नहीं किया जा सका है।
पूर्ववर्ती बसपा सरकार के शासनकाल में हुए इस स्मारक घोटाले में लोकायुक्त ने अपनी 88 पेज की जांच रिपोर्ट 20 मई 2013 को मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को भेजी थी। इसमें पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 लोगों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) डी एवं भारतीय दंड विधान की धारा 409 और 120 बी के तहत मुकदमा चलाने के लिए एफआईआर दर्ज कराकर किसी जांच एजेंसी से विधिवत विवेचना कराने की संस्तुति की गई थी। इसके साथ ही जांच में प्रथमदृष्ट्या दोषी पाए गए सभी 199 लोगों के खिलाफ विस्तृत जांच कराए जाने की संस्तुति भी की गई थी। इसमें बसपा के चार अन्य जन प्रतिनिधि भी शामिल थे।
लोकायुक्त की इस रिपोर्ट पर प्रदेश सरकार ने सतर्कता विभाग को मामले की जांच के आदेश दिए। सतर्कता विभाग ने लोकायुक्त की संस्तुति के आधार पर पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा, पूर्व संयुक्त निदेशक एवं खनन निदेशालय के सलाहकार सुहैल अहमद फारूकी, राजकीय निर्माण निगम के पूर्व एमडी सीपी सिंह, अपर परियोजना प्रबंधक राकेश चंद्रा, अपर परियोजना प्रबंधक एके सक्सेना, इकाई प्रभारी केआर सिंह, सहायक स्थानिक अभियंता राजीव गर्ग, परियोजना प्रबंधक एसपी गुप्ता, परियोजना प्रबंधक पीके जैन, एसके अग्रवाल, आरके सिंह व बीडी त्रिपाठी, अपर परियोजना प्रबंधक मुकेश कुमार, हीरालाल, एसके चौबे, एसपी सिंह, एसके शुक्ला व मुरली मनोहर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। हालांकि, जांच एजेंसी इससे आगे अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है।
इतना ही नहीं जांच रिपोर्ट में की गई अन्य संस्तुतियों पर कोई भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी। इसमें लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता समेत कई लोगों की संपत्तियों की जांच की सिफारिश भी शामिल थी।