नई दिल्‍ली। दिल्ली में चुनावी रणभैरी बज चुकी, चुनावी अखाड़े के सभी पहलवान पूरी दमदारी के साथ ताल ठोंक रहे हैं। चुनावी कुश्ती जीतने के लिए हर तरह के दांवपेंच का इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली के इस चुनावी दंगल में तीन प्रमुख पार्टियां भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अपने-अपने पहलवानों के साथ मजबूती से लगोंट बांध कर अखाड़े में खड़ी हैं। इंतजार है बस कल की तारीख का, कल यानि 7 फरवरी को भोर की पहली किरण के साथ 8 बजे से मतदान शुरू होगा और शाम छह बजे तक सभी प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला वोटिंग मशीनों में कैद हो जाएगा। चुनाव में 1.3 करोड़ मतदाता 673 प्रत्याशियों के लिए मतदान करेंगे । 10 फरवरी को वोटों की गिनती के बाद तय होगा कि दिल्ली की गद्दी का ताज किसके सर सजेगा, किरण, केजरी या माकन…? फैसाल जनता क रेगी… 

भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच इस चुनाव में कांटे की टक्कर मानी जा रही है । दोनों पर्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं, तो कांग्रेस पिछली बार के चुनाव से अच्छा प्रदर्शन करने की आशा कर रही है, लेकिन बीते दिनों आए चुनाव पूर्व कुछ सर्वेक्षणों में आम आदमी पार्टी की स्थित अच्छी बताई जा रही है। हालांकि कुछ सर्वे भाजपा को पहले स्‍थान पर दर्शा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहने की बात कही जा रही है। बहराल इन सभी सर्वे की हकीकत का पता तो मतगणना होने के बाद ही चलेगा। इस बार कांग्रेस को चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में आप और भाजपा के बाद तीसरे स्थान पर जगह मिलती दिख रही है। कुछ ओपिनियन पोलों में आप को स्पष्ट बहुमत मिलने के आसार हैं जबकि कुछ ने भाजपा की जीत का अनुमान लगाया है। 

दिल्ली विधनासभा चुनाव में भाजपा ने 69, आप ने 7 0, कांग्रेस ने 70 और भाजपा की सहयोगी पार्टी अकाली दल ने एक प्रत्याशी मैदान में उतारा है। मुख्य उम्मीदवारों में आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं भाजपा ने केजरी से मुकाबले के लिए युवा महिला प्रत्याशी नूपुर शर्मा को मैदान में उतारा है, कांग्रेस के प्रो. किरण वालिया मैदान में हैं। कृष्णा नगर सीट से भाजपा से सीएम पद की उम्मीदवार किरण बेदी चुनाव लड़ रही हैं, यहां इनका मुकाबला आप के एस.के बग्गा के साथ है, और कांग्रेस के बंसीलाल चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं । कांग्रेस के अजय माकन सदर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, यहां माकन का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी प्रवीण जैन और आप के सोमदत्त से है । 

एक अन्य मुख्य सीट ग्रेटर कैलाश विधानसभा से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। यहां मुकाबला त्रिकोणीय है। भाजपा ने स्थानीय निगम पार्षद राकेश गुलिया को उम्मीदवार बनाया है जबकि आप प्रत्याशी के रूप में सौरभ भारद्वाज मैदान में हैं। ये दोनों शर्मिष्ठा के लिए कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। सौरभ भारद्वाज केजरीवाल सरकार में परिवहन मंत्री रह चुके हैं। पटपड़गंज सीट से मनीष सिसोदिया एक बार फिर आप के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने बड़ा दांव खेलते हुए पिछले चुनाव में आप के टिकट पर लक्ष्मी नगर से चुनाव जीते विनोद कुमार बिन्नी को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने पूर्व विधायक चौ. अनिल कुमार को फिर से मैदान में उतारा है। 

लगातार चुनाव जीतने के कारण गिनीज बुक आफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करा चुके कांग्रेस के चौ. प्रेम सिंह को भाजपा के उम्मीदवार अशोक चौहान और आप प्रत्याशी अजय दत्त से चुनौती मिल रही है। महरौली सीट से कांग्रेस ने यहां से पूर्व महापौर सतवीर सिंह, भाजपा ने पूर्व महापौर सरिता चौधरी और आप ने नरेश यादव को प्रत्याशी बनाया गया है। कांग्रेस ने पूर्व सांसद महाबल मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है। जबकि भाजपा ने इनके सामने पूर्व विधायक प्रद्युम्न राजपूत को टिकट दिया है। आप ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पौत्र आदर्श शास्त्री को चुनाव मैदान में उतारा है। महाबल मिश्रा लोकसभा का चुनाव हार गए थे। 

कई लोग इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जनमत संग्रह मान रहे हैं जबकि शीर्ष भाजपा नेताओं ने ऎसे किसी भी दृष्टिकोण को खारिज कर दिया है। भाजपा ने चुनाव प्रचार में अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी आम आदमी पार्टी (आप) को शिकस्त देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि का भरपूर इस्तेमाल किया। भाजपा ने टीम अन्ना की पूर्व सदस्य किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार बनाकर के जरी से मुकबाले के लिए मैदान में उतारा है। वैसे चर्चाएं ये भी हैं कि किरण के आने से भाजपा नेताओं एवं कार्यक र्ताओं में असंतोष पैदा हो गया। 

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री एम वैंकेया नायडू एवं अरूण जेटली जैसे भाजपा नेताओं ने एहतियात बरतते हुए पहले ही कह दिया है कि दिल्ली चुनाव मोदी सरकार के कामकाज पर जनमत संग्रह नहीं है। इस बयान को आलोचक प्रधानमंत्री को आलोचना से बचाने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं । अपने अंदरूनी एवं मीडिया सर्वेक्षणों में अपने लिए अच्छी तस्वीर सामने नहीं आने पर भाजपा ने चुनाव प्रचार में अपने 120 सांसदों एवं राज्यों के नेताओं के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरूण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, उमा भारती और एम वेंकैया नायडू समेत अपने शीर्ष नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतार दिया।