नई दिल्ली: महेन्द्र सिंह धोनी और मिस्बाह-उल-हक इन दोनों कप्तानों को विश्वकप के पहले ही मैच में अपना सबसे कड़ा इम्तिहान देना है, लेकिन इस महामुकाबले से पहले दोनों कप्तान शायद एक-दूसरे की हालत को बखूबी समझ रहे होंगे, क्योंकि दोनों कप्तान एक ही नाव पर सवार नजर आ रहे हैं।

भारत के ईशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार फिटनेस के चलते वर्ल्डकप से बाहर हो चुके हैं तो पाकिस्तान के उमर गुल और जुनैद खान तो पहले ही चोट से बाहर हो चुके हैं।

भारत ने ट्राई सीरीज में एक भी मैच नहीं जीता, वहीं न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सीरीज़ में पाकिस्तान का 2-0 से सफाया हुआ था।

एमएस धोनी टेस्ट से संन्यास ले चुके हैं और उनका भविष्य वनडे पर टिका हुआ है। वहीं मिस्बाह ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि यह उनका आखिरी वर्ल्ड कप है।

दोनों टीमें युवा खिलाड़ियों से भरी हुई हैं, जो अपना पहला वर्ल्ड कप खेलेंगे।

अपनी स्पिन गेंदबाज़ी के लिए मशहूर दोनों देशों के पास इस वक्त कोई भी अनुभवी और असरदार स्पिन गेंदबाज़ नहीं है। सईद अजमल का एक्शन अभी ठीक नहीं हुआ है तो भारत के युवराज सिंह को टीम इंडिया में चुना ही नहीं गया है।

दबाव में दोनों कप्तान हैं, लेकिन भारत के कप्तान को भरोसा है कि 15 फरवरी से पहले टीम इंडिया पटरी पर जरूर आ जाएगी। कप्तान धोनी भले ही भरोसेमंद हैं, लेकिन क्रिकेट के मैदान पर पाकिस्तान की टीम कब क्या कर जाए ये कोई नहीं जानता।

ग्रीन ब्रिगेड का प्रदर्शन किसी दिन अर्स पर तो किसी दिन फर्श पर होता है, लेकिन इतना तो तय है कि इस वक्त दोनों टीमें लगभग एक जैसी मुसीबतों से गुज़र रहे हैं और इस मुकाबले में जीत दोनों कप्तानों और उनकी टीम के लिए एक लाइफ़-लाइन का काम जरूर करेगी।