थक गया हूँ मैं, चाहिए आराम: धोनी
नई दिल्ली: महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी करते-करते करीब आठ साल हो गए हैं, और टीम के बारे में मीडिया के सामने उन्हें सवालों का जवाब देते-देते भी इतना ही वक़्त हो चुका है।
लगता है कि धोनी अगर खिलाड़ी नहीं होते, तो एक अच्छे राजनेता हो सकते थे, क्योंकि किसी भी मुद्दे पर आप उनसे कभी भी सीधा जवाब नहीं हासिल कर सकते और उनके पास जितने शॉट्स हैं, उससे ज़्यादा एक ही बहाने को अलग-अलग शब्दों के द्वारा कहने की कला भी है। वैसे क्रिकेट के बाद वह राजनेता नहीं बनेंगे, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है।
ट्राई सीरीज में इंग्लैंड की टीम से दो मैच लगातार हारने के बाद और फाइनल की रेस से बाहर होने के बाद धोनी ने कहा है कि वह चाहते हैं कि खिलाड़ी अपने किट-बैग और क्रिकेट के बाकी सामान को ताला लगा दें और क्रिकेट से पूरी तरह से ब्रेक ले लें। बात तो सही है, कि हर किसी को ब्रेक की जरुरत तो होती ही है, चाहे वो खिलाड़ी हो या पत्रकार, पर आखिर इस टीम में ब्रेक चाहिए किसे?
शिखर धवन के बल्ले पर तो दो महीने से अब जाकर गेंद लगनी शुरू हुई थी कि कप्तान ने ब्रेक की बात कर दी। रोहित शर्मा की मांसपेशियों में खिंचाव है और पहले से ही आराम कर रहे हैं। ईशांत शर्मा भी पहले तीन टेस्ट मैच के बाद इस दौरे पर आराम ही कर रहे हैं।
रवींद्र जडेजा भी आराम करते-करते वर्ल्डकप की टीम का हिस्सा बन ही गए हैं। अक्षर पटेल तो दौरे पर सिर्फ़ वनडे के लिए गए हैं, यानी आराम का सवाल नहीं होता तो भुवनेश्वर कुमार भी लंबा आराम करके चोट के बाद टीम में लौटे हैं।
सुरेश रैना ने सिडनी टेस्ट में कुल चार गेंदें खेलीं और वनडे में भी उनके नाम 54 रन ही हैं, अब इसके लिए उन्हें कितना आराम करना चाहिए। शायद कप्तान धोनी मीडिया के सामने दवाई तो बता गए, लेकिन बीमारी को बताना भूल गए। शायद वह यह बताना भूल गए कि इस वक्त उनके लिए ड्रेसिंग रूम में विराट कोहली और रवि शास्त्री के बढ़ते कद से ब्रेक चाहिए।
शायद वह यह बताना भूल गए कि धोनी ने जिन जडेजा, जिन शिखर और जिन रायडू पर साल भर दांव लगाया वो अब उन्हें निराश करने लगे हैं। शायद वह यह भी बताना भूल गए कि अगर वो वर्ल्डकप के फाइनल में टीम इंडिया को नहीं पहुंचा पाए तो उनके लिए वनडे में अपनी कप्तानी बचानी मुश्किल हो सकती है।
इन सबसे उन्हें तो ब्रेक चाहिए ही, ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर टीम इंडिया को गए हुए दो महीने से ज़्यादा वक्त हो गया है, लेकिन अभी भी टीम को एक भी जीत नहीं मिली है।
टेस्ट मैचों में तो हमारे पास विदेशो में हार के बहाने तैयार रहते हैं, लेकिन वनडे में मिली नाकामी को फैंस अभी तक हज़म नहीं कर पाए हैं। लेकिन इन सब से बेपरवाह कप्तान धोनी चाहते हैं कि टीम अब कुछ दिनों तक अपन किट-बैग को ताला लगा दें और खुद को पूरी तरह क्रिकेट से दूर कर दें.. वैसे धोनी अकेले नहीं हैं, जो ऐसी राय रखते हैं। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने यहां तक कह दिया है कि जो खिलाड़ी भारत आकर अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं, उन्हें इसकी इजाजत मिलनी चाहिए।
तमाम आलोचना के बाद भी टीम इंडिया के कप्तान को पूरा भरोसा है कि भारत जब 15 फरवरी को पाकिस्तान के खिलाफ़ इस वर्ल्डकप का अपना पहला मुकाबला खेलने उतरेगा तो पूरी तरह तैयार होगा।