मैने जीवन हमेशा अपनी मर्जी से जिया हैः यूसुफ हुसैन
तौकीर सिद्दीकी
टीवी और फिल्मी दुनिया का एक जाना पहचाना नाम, बिन्दास और खुशमिजाज तबियत के मालिक यूसुफ हुसैन आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। 200 से ज्यादा टीवी सीरियल्स और 100 से अधिक फिल्मों में अपनी अदाकारी के जौहर दिखा चुके यूसुफ हुसैन आजकल लखनऊ में हैं। यूसुफ हुसैन साहब का अक्सर लखनऊ आना होता है, एक तरह से कहें तो लखनऊ उनकी कमजोरी है। यही पर उनकी तालीम व तरबियत हुई, यहीं पर उन्होने अपनी पहली नौकरी की। पैतृक निवास फैजाबाद और ननिहाल रायबरेली, ऐसे में इस क्षेत्र से उनका लगाव होना स्वाभाविक है। लखनऊ के इस दौरे पर हजरतगंज के एक होटल में उनसे मुलाकात का अवसर प्राप्त हुआ तो बातचीत का एक घण्टा कब बीत गया पता नहीं चला।
बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तो यूसुफ हुसैन साहब यादों में खो गये। कहने लगे लखनऊ मेरा घर रहा है और हमेशा रहेगा। उम्र के 40 बसन्त मैने इसी इलाके में बिताये हैं, आज भी जब मै यहां आता हूं तो यहां की आबो हवा को अपने अन्दर समो लेना चाहता हूं।
सवाल किया कि एक्टिंग की शुरूआत कैस हुई, कहने लगे बस अचानक ही। विश्व प्रसिद्ध थियेटर आर्टिस्ट हबीब तनवीर से मुलाकात ने मेरा प्रवेश एक्टिंग की दुनिया में करा दिया। उस वक्त मेरी उम्र लगभग 20 बरस की होगी। उन्होने मुझे अपने मशहूर ड्रामे आगरा बाजार के लीड रोल का आफर दिया और मैने फौरन स्वीकार कर लिया। लखनऊ लौटकर आफिस से छुटटी मांगी, छुटटी नहीं मिली तो नौकरी छोड़ दी और एक्टिंग के मैदान में कूद पड़ा।
यूसुफ साहब ने टीवी की दुनिया में 1999 में कदम रखा। पहला सीरियल दूरदर्शन पर मुल्ला नसरूददीन था, फिर नीम का पेड़ मगर सही मायनों में पहचान मिली संजीवनी के डाक्टर आनन्द की भूमिका से। इसके बाद तो अनगिनत टीवी सीरियल में छोटे बड़े रोल किये जिसमें अमिताभ बच्चन के साथ ‘युद्ध’ उल्लेखनीय है।
फिल्मों का सिलसिला 12 नेशनल अवार्ड जीतने वाली फिल्म डाक्टर अम्बेडकर से हुई। मलयालम फिल्मों के सुपर स्टार ममुटी के साथ इस फिल्म में यूसुफ हुसैन साहब ने मोहम्मद अली जिन्ना का रोल निभाया। बताने लगे कि इस किरदार को निभाने के लिये मैने जिन्ना के बारे में काफी पढ़ा, तब पता चला जिन्ना तो पाकिस्तान बनाये जाने के सख्त मुखालिफ थे, फिर पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि वह बटवारे की जंग में कूद पड़े।
दिल चाहता है, अब के बरस, कुछ न कहो, हजारों ख्वाहिशें, खाकी, ओह माई गाड, विवाह, खोया खोया चांद, फिर कभी, कृष-3, क्रेजी चुक्कड फैमिली, धूम-1, धूम-2 जैसी अनगिनत फिल्मों में भिन्न भिन्न भूमिकायें निभाने वाले यूसुफ हुसैन साहब फिल्म पेज थ्री को वह अपनी बेस्ट फिल्म मानते हैं।
मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए यूसुफ हुसैन साहब बताने लगे कि बिग बी के साथ काम का अनुभव बहुत सुखद रहा। बेहद मृदुल और सहयोगी स्वभाव के मालिक हैं वह। इतने बड़े स्टार होने के बावजूद एक दम जमीन से जुड़े लगते हैं। यह मेरी खुशनसीबी है जो मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला। अमिताभ के इतने बड़े प्रशंसक होने के बावजूद यूसुफ हुसैन साहब तकनीकी तौर कमल हसन को सबसे बड़ा अदाकार मानते हैं।
जीवन को अपने उसूलों से, अपनी मर्जी और अपने अन्दाज में जीने वाले यूसुफ हुसैन साहब अपनी अब तक की लाईफ से पूरी तरह सन्तुष्ट है। उनका कहना है कि मेरा मानना है कि जीवन एक बार मिलता है और मुझे जो भी करना है इसी जनम में करना है। इसलिये मैने जीवन हमेशा अपनी मर्जी से जिया है।