नामों के खुलासे में नहीं, हमारी दिलचस्पी कालाधन वापस लाने में है : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि उनकी दिलचस्पी विदेशी बैंकों में गैरकानूनी तरीके से खाता रखने वालों के नामों के खुलासे की बजाये विदेश से काला धन देश में वापस लाने में है। प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, हमारी दिलचस्पी विदेश से काला धन वापस लाने में है और नामों के खुलासे में नहीं है।
न्यायालय ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब यह दलील दी गयी कि सरकार को उन व्यक्तियों के नामों का खुलासा करना चाहिए जिन्होंने विदेशी बैंकों में गैरकानूनी तरीके से खाता रखना स्वीकार किया है। हालांकि न्यायालय ने जनहित याचिका दायर करने वालों में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति एम बी शाह की अध्यक्षता वाले विशेष जांच दल को विदेशों में जमा गैरकानूनी काला धन वापस लाने के लिये दिये गये तमाम सुझावों पर विचार करना चाहिए।
न्यायाधीशों ने कहा, हम हस्तक्षेपकर्ता सहित सभी पक्षों को दो सप्ताह के भीतर अपने सुझाव विशेष जांच दल के समक्ष पेश करें और यदि ऐसे सुझाव समय सीमा के भीतर दिये जाते हैं तो विशेष जांच दल के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कानूनी प्रावधानों के अनुरूप उन पर विचार करेंगे और इस संबंध में सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट न्यायलय को सौंपेंगे। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह जेठमलानी की नयी अर्जी में दिये गये सुझावों के बारे में कुछ नहीं कह रहा है और इस पर विशेष जांच दल को ही विचार करना है। जेठमलानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान ने आरोप लगाया कि पिछले छह महीने में ‘एक रूपया भी वापस नहीं आया है’ और कुछ तलाशी लेने और कुर्की की ही कार्रवाई की गयी है।
न्यायालय ने केन्द्र सरकार के दृष्टिकोण पर दीवान को जवाब दाखिल करने के लिये तीन सप्ताह का वक्त दिया है। केन्द्र सरकार ने इस मसले पर फ्रांस की सरकार के साथ हुये पत्र व्यवहार से संबंधित दस्तावेज साझा करने के प्रति अनिच्छा दिखाई है। केन्द्र सरकार का तर्क है कि उसने सारे दस्तावेज और पत्र व्यवहार विशेष जांच दल को सौंप दिया है और अब याचिकाकर्ताओं को इसकी प्रतियां देने के बारे में उसे ही निर्णय लेना है।
यह मसला उन 627 भारतीयों की सूची से संबंधित है जिनका खाते जिनीवा स्थिति एचएसबीसी बैंक में थे और जिनकी संदिग्ध काला धन के बारे में आय कर विभाग की जांच 31 मार्च तक पूरी होनी है। ये दस्तावेज पिछले साल 29 अक्तूबर को शीर्ष अदालत को सौंपे गये थे। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सीलबंद लिफाफे में फ्रांस की सरकार के साथ हुये पत्राचार से संबंधित दस्तावेज, खाता धारकों के नाम और जांच की प्रगति रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी। न्यायालय ने इन लिफाफों को खोला नहीं था। रोहतगी ने कहा कि केन्द्र द्वारा काले धन के मसले पर गौर किये जाने के बावजूद याचिकाकर्ता इस मामले में बारबार आवेदन दायर कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जांच के दौरान सामने जो भी नाम सामने आये हैं और जिन मामलो में कानूनी कार्यवाही शुरू की गयी है उनके नाम सार्वजनिक किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिनीवा स्थित एचएसबीसी बैंक में भारतीयों के खातों से संबंधित आय कर निर्धारण की प्रक्रिया मार्च के अंत तक पूरी हो जायेगी।
लेकिन दीवान और वकील प्रशांत भूषण ने सभी नामों के प्रकाशन की मांग की क्योंकि ऐसा करने से विदेशों में काला धन जमा करने और इसे मादक पदार्थों, आतंकवाद और मानव तस्करी में लगाने वालों के मन में भय पैदा होगा। दीवान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय खोजी पत्रकारों ने ऐसे करीब 1200 भारतीय खाता धारकों के नाम प्रकाशित किये हैं। हालांकि न्यायालय ने कहा कि वह इन नामों को सार्वजनिक करने का आदेश नहीं देगा। न्यायालय ने कहा कि सवाल काला धन वापस लाने का है।