18वां नेशनल बुक फेयर: किताबें कह रहीं हैं आजादी के संघर्ष की दास्तान
गांधी जयंती पर दूसरे दिन विमोचन, गोष्ठी और हुआ कहानी पाठ
लखनऊ ब्यूरो
रिमझिम बारिश के बीच चल रहे पुस्तक मेले के दूसरे दिन भी साहित्यप्रेमियों का उत्साह खूब दिखा। 10 दिवसीय 18वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला राणाप्रताप मार्ग मोतीमहल वाटिका लान में चल रहा है। केटी फाउण्डेशन व फोर्सवन द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव थीम पर मुफ्त प्रवेश वाले मेले में पुस्तक प्रेमियों को हर किताब पर कम से कम 10 फीसदी छूट मिल रही है। मेले में कल शाम वाणी प्रकाशन की ओर से विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की नई पुस्तक ‘नाचता अध्यात्म’ के साथ, ‘अर्थवेद का मधु’, ‘ऋग्वेद: परिचय’ और ‘ज्ञान का ज्ञान’ पर चर्चा होगी।
पुस्तक मेले के दूसरे दिन बुक स्टॉलों पर पाठकों की मांग देश भक्ति पर आधारित किताबों की ज्यादा रही। लोगों ने विभिन्न स्टॉलों पर देशभक्त महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों की किताबें खरीदीं। मेले में लगे राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत के स्टॉल पर वीरगाथा बुक सीरीज में मेजर शैतान सिंह, कैप्टन मनोज कुमार पांडेय, मेजर सोमनाथ शर्मा, कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद और सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल की पुस्तकें मौजूद हैं। वहीं अमर शहीद सरदार भगत सिंह, गांधी और हिंदी, गांधी-पटेल, गांधी का भारत, जवाहर लाल नेहरु, गांधी और उनके शिष्य सहित अनेक पुस्तकें हैं। सेतु प्रकाशन समूह के स्टॉल पर की अनेक महापुरुषों के अलावा महात्मा गांधी पर आधारित बापू-पोरबंदर से लंदन, बापू – दक्षिण अफ्रीका के दिन, बापू- नील के निशान सहित कई किताबों की बिक्री हुई। वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर राष्ट्रपिता और नेताजी, राष्ट्रपिता और भगत सिंह, क्रांति की राह में, सावरकर: मिथक और सच सहित अन्य किताबें मौजूद हैं। राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर हिन्द स्वराज, गांधी के देश में, भारत हमें क्या सिखाता है, स्वाधीनता का स्त्री पक्ष, गांधी और समाज, बापू और मुक्ति यज्ञ सहित कई पुस्तकों की बिक्री हुई।
संयोजक मनोज सिंह ने बताया प्रदेश के इस सबसे बड़े प्रतिष्ठित पुस्तक मेले में वाणी, स्कालर्स हब, एंजल बुक हाउस, निखिल पब्लिशर्स, सम्यक प्रकाशन, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, राजकमल, रामकृष्ण मिशन, इकतारा ट्रस्ट भोपाल, ऋषि पब्लिशर्स, गायत्री ज्ञान मंदिर, वैदिक साहित्य, स्कालर्स हब, रितेश बुक व कलाकुंज जैसे वितरकों व प्रकाशकों की सौ से अधिक स्टाल लगे हैं।
गायन एवं नृत्य, प्रश्नोत्तरी, ड्राइंग, स्लोगन लेखन, कहानी लेखन प्रतियोगिता, जादू-कठपुतली शो के साथ बच्चों के लिए ऑनलाइन प्रतियोगी कार्यक्रम भी हो रहे हैं
पुस्तक मेले के मुख्य मंच पर सुबह साहित्यिक संस्था चारु काव्यांगन का कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह हुआ। जिसके अध्यक्ष वरिष्ठ गीतकार डॉ अजय प्रसून, मुख्य अतिथि साहित्यकार कमलेश मौर्य मृदु, विशिष्ट अतिथि साहित्यकार निर्भय नारायण गुप्त व ज्ञान प्रकाश वर्मा और संयोजक विनोद कुमार द्विवेदी व संचालक मंजुल मिश्र मंजर थे। कार्टूनिस्ट हरिमोहन बाजपेयी माधव चारु काव्य श्री सम्मान से विभूषित हुए। कवि सम्मेलन में डॉ सुभाषचंद्र “रसिया”, दीप्ति दीप, संध्या त्रिपाठी, अनमोल भास्कर, सर्वेश शर्मा, सरोजबाला, शालिनी पांडेय “सजल”,सोहित अवस्थी, श्रीश चंद्र दीक्षित, स्वाति मिश्र, रेनू द्विवेदी सहित अन्य रचनाकारों ने कविताओं से आनंदित किया।
राजकमल प्रकाशन की ओर से मेले के मुख्य मंच पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राकेश मिश्र के काव्य संग्रह ‘शब्दों का देश‘ का विमोचन हुआ। कथाकार अखिलेश, न्यायमूर्ति अशोक कुमार, प्रो हरिशंकर मिश्र, वीरेंद्र सारंग, डॉ चंद्रप्रकाश गिरि, सुभाष राय व डा.प्रदीप शुक्ल मौजूद रहे। कथारंग संस्था की ओर से अन्नपूर्णानंद वर्मा की लिखी कहानी ‘अकबरी लोटा’, सुभाष चंदर की लिखी कहानी ‘सच्ची-मुच्ची की प्रेमकथा‘ व रेणु की लिखी कहानी ‘वट बाबा’ का साहित्यप्रेमियों ने कहानीपाठ सुना। कहानी का प्रभावी वाचन अंकुर सक्सेना, सोम गांगुली, आदित्य, सत्यप्रकाश, पूजा, अनुपमा शरद और पुनीता अवस्थी ने किया। संस्था मुखिया नूतन वशिष्ठ, सचिव अनुपमा शरद व उपसचिव पुनीता अवस्थी कथारंग साहित्यिक अभियान के बारे में बताते हुए आभार जताया। आगमन संस्था की ओर से आयेाजित काव्यगोष्ठी में मनोज शुक्ल मनुज की गीत पुस्तक ‘मन शिवाला हो गया’ का विमोचन कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ अशोक पांडेय अशोक, अतिथि डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव, डॉ देवेंद्र सिंह, संध्या सिंह ने किया। संचालन शालिनी सिंह ने किया।
‘उल्टी गिनती’ का विमोचन हुआ
राजकमल प्रकाशन की ओर से लेखक तरुण भटनागर अंशुमान तिवारी की आर्थिक मंदी से उबरते भारत की स्थितियों पर आधारित पुस्तक ‘उल्टी गिनती’ का विमोचन हुआ। जिसमें लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रो अरविंद मोहन, लखनऊ बौद्धिक मंच के डॉ वीएन मिश्र और अन्य साहित्यप्रेमी मौजूद थे। वक्ताओं के अनुसार अंशुमान की किताब में कोरोना महामारी ने देश की भारतीय अर्थव्यवस्था को ऐसे समय तहस-नहस कर दिया। जब यह पहले से ही गहरे ढांचागत मंदी से जूझ रही थी। करोड़ों लोगों के रोजगार गवां देने और उनके सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर गांव लौटने के बीच शेयर बाजार न केवल तेजी से पटरी पर लौटा, बल्कि जल्दी ही ऊंचाइयों पर पहुंचा। किताब यह पड़ताल भी करती है कि क्या भारत सुधार प्रक्रिया की कुछेक अहम उपलब्धियों यानी प्रतियोगिता और गरीबी में तेज गिरावट को, उलटने के करीब है।