बिहार में सरकार गिराने को तैयार है जेडीयू के 17 विधायक, आरजेडी का दावा
पटना: बिहार की सियासत में आरजेडी नेता श्याम रजक के बयान के बाद फिर गर्मी आ गई है। श्याम रजक ने दावा किया है कि जेडीयू के विधायक भाजपा की कार्यशैली से नाराज हैं और बिहार की एनडीए सरकार को गिराना चाहते हैं। श्याम रजक ने कहा है कि 17 जेडीयू विधायक आरजेडी के संपर्क में हैं और ये जल्द ही आरजेडी में शामिल होंगे।
17 विधायक RJD के संपर्क में
न्यूज़ चैनल आजतक के अनुसार, आरजेडी नेता और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने दावा किया है कि जेडीयू के 17 विधायक उनके जरिए आरजेडी के संपर्क में है और वे शीघ्र ही प्रसाद यादव की पार्टी में शामिल होना चाहते हैं।
बीजेपी की कार्यशैली से है नाराज़गी
श्याम रजक ने कहा कि यह सभी विधायक बीजेपी की कार्यशैली से काफी नाराज हैं और इसलिए वह पार्टी छोड़कर आरजेडी में शामिल होना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इन विधायकों को फिलहाल रोका गया है, इसकी वजह बताते हुए श्याम रजक ने कहा कि यदि 17 विधायक आरजेडी में शामिल होते हैं तो दल-बदल कानून के अंतर्गत इनकी सदस्यता रद्द हो सकती है। उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि यदि दल-बदल कानून के तहत जेडीयू के 25 से 26 विधायक पार्टी छोड़कर आरजेडी में शामिल होंगे तो उनकी सदस्यता पर कोई आंच नहीं आएगी। रजक ने कहा कि ऐसे में उन्हें प्रतीक्षा है कि कुछ और जेडीयू विधायक पार्टी छोड़ने का मन बनाएंगे और आरजेडी में शामिल होंगे।
अरुणाचल विवाद का असर
श्याम रजक का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश में जिस तरीके से जदयू के 6 विधायकों को भाजपा ने अपने साथ शामिल करा लिया है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी नीतीश कुमार पर हावी हो गई है। श्याम रजक ने कहा कि इसी कारण से जेडीयू के विधायक पार्टी छोड़ना चाहते हैं।
जीडीयू ने बताया अफवाह
वहीं रजक के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि वह ऐसे भ्रामक बयान देकर लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। राजीव रंजन ने कहा कि जदयू पूरी तरीके से एकजुट है और भाजपा के साथ मिलकर पांच साल बिहार में सरकार चलाएगी।
बिहार में यह है सरकार का गणित
गौरतलब है कि 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए। नवंबर में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 और आरजेडी की अगुवाई वाली महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं। ऐसे में यदि जेडीयू के संख्याबल में थोड़ा भी बदलाव हुआ तो नीतीश सरकार खतरे में पड़ सकती है।