सियासत की नूराकुश्ती में पिसता मज़दूर
सन्देश तलवार
जहां दुनिया में कोरोना त्रासदी के बाद बुद्धिजीवी इससे बचाव के लिए संसाधनों व समीकरणों की तलाश कर रहे हैं वही उत्तर प्रदेश में सियासी पार्टियों के बीच वोटों की राजनीति को लेकर आपसी घमासान मचा हुआ है
इसकी शुरुआत एक मजहब के खास व्यक्तियों को टारगेट करने से शुरू हुई और अब श्रमिकों पर आकर टिक गई है
तपती धूप में मीलों लंबा सफर करते हुए करोड़ों की तादाद में यह प्रवासी श्रमिक सड़कों की दोनों ओर पैरों में छालों और हाथों में सामान व बच्चे लिए देखे जा सकते हैं
शर्मनाक बात यह है कि देश का पहिया घुमाने वाले इस बड़े तबके की तकलीफों पर मरहम लगाना हो तो दूर, राजनीति की बिसात पर सियासत खेलने वाली यह पार्टियां इन मजबूर व मुफलिस कामगारों के जज्बातों के साथ खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आ रही
इन पार्टियों कीबेहद शर्मनाक गिरी हुई सोच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तमाम तकलीफों को उठाते हुए अपने घरों के लिए गामज़न इन प्रवासियों के आंसू पूछना तो दूर अब इन्हें रास्तों में ही रोककर भूख प्यास से तड़पते हुए भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है
भले ही सभी बड़ी पार्टियां खुद को इन प्रवासी मजदूरों की सबसे बड़ी हिमायती बताते हुए बड़े-बड़े दावे करते हुए लोक लुभावने बोल व बयानबाजियाँ कर रही है लेकिन सभी जानते हैं इसके पीछे असलियत सिर्फ -और- सिर्फ इतनी है कि उनके अलावा दूसरी पार्टी कहीं इनके वोट न घसीटे ले जाए
इसी तरीके की नूराकुश्ती का दौर भारतीय कांग्रेस पार्टी व वह प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के बीच चल रहा है. जहां एक तरफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार से प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने के लिए अपने सत्तारूढ़ प्रदेशों की सरकारों से बसे हायर करके अपोजिशन प्रदेशों की सीमा पर भेज कर खुद को इन प्रदेशवासियों का रहनुमा साबित करने की कोशिश की है वही सत्ता पर आसीन बीजेपी इसे अपने मुंह पर तमाचा समझ रही है और वह अपनी प्रशासनिक शक्ति का इस्तेमाल इन भटकते मजदूरों की भलाई के बजाय कांग्रेसियों को नीचा दिखाने मे निवेश करती नजर आ रही है
हां इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी की नियत व बोल साफ-सुथरे नजर आते हैं
सपा प्रमुख ने जहां अपने पार्टी स्रोतों से इन त्रासदी में जान कब आने वाले प्रवासी मजदूरों की माली मदद करके उनके परिवारों को थोड़ा बहुत सहारा दिया है वहीं बहुजन समाज पार्टी भी इसमें पीछे नहीं है और बीएसपी सुप्रीमोअपने नपे तुले बोलो से केंद्र व प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को मुश्किल दौर से निकलने की दिखाने की कोशिशें कर रही है
इसी सिलसिले के तहत बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रवासी श्रमिकों को घर भेजने के नाम पर खास तौर पर बीजेपी व कांग्रेस द्वारा जिस प्रकार से घिनौनी राजनीति की जा रही है इस पर आज ट्वीट कर इसे अति दुर्भाग्यपूर्ण बताया| मायावती ने संदेश जताते हुए कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि य पार्टियां आपसी मिलीभगत से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करके इनकी त्रासदी पर से ध्यान बांट रही है?
उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट पर कहा कि यदि ऐसा नहीं है तो कांग्रेस को श्रमिक प्रवासियों को बसों से ही घर भेजने में मदद करने पर अडने के बजाय इनका टिकट लेकर ट्रेनों से ही इन्हें इनके घर भेजने में मदद करनी चाहिए. यह ज्यादा उचित होता. मायावती ने अपने अगले ट्वीट पर कहा कि बीएसपी की कांग्रेस पार्टी को यह भी सलाह है कि यदि कांग्रेस को श्रमिक प्रवासियों को बसों से ही उनके घर वापसी में मदद करनी है अर्थात ट्रेनों से नहीं करनी है तो फिर इनको अपनी यह सभी बसें कांग्रेस शासित राज्यों में श्रमिकों की मदद में लगा देनी चाहिए तो यह बेहतर होगा|