प्रशांत किशोर ने राहुल गाँधी को दिखाया आईना
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सुझाव दिया है कि अगर कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले तो राहुल गांधी को कदम पीछे खींच लेना चाहिए और इसमें कोई बुराई नहीं है. उन्हें एक ब्रेक की ज़रुरत है. उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी पिछले 10 वर्षों में काम करने में असमर्थता के बावजूद वह न तो अलग हट सकते हैं और न ही किसी और को कांग्रेस का नेतृत्व करने दे सकते हैं. बता दें कि प्रशांत किशोर ने विपक्षी पार्टी के लिए पुनरुद्धार योजना तैयार की थी, लेकिन अपनी रणनीति के कार्यान्वयन पर उनके और उसके नेतृत्व के बीच असहमति के कारण बाहर चले गए.
प्रशांत किशोर ने कहा, दुनिया भर में अच्छे नेताओं की एक प्रमुख विशेषता यह है कि वे जानते हैं कि उनके पास क्या कमी है और सक्रिय रूप से उन कमियों को भरने के लिए तत्पर रहते हैं. लेकिन राहुल गांधी को ऐसा लगता है कि वह सब कुछ जानते हैं.अगर आप मदद की जरूरत को नहीं पहचानते तो कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता. उनका मानना है कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो उन्हें जो सही लगता है उसे क्रियान्वित कर सके. यह संभव नहीं है.
प्रशांत किशोर ने कहा कि तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार और केरल को मिलाकर 543 सदस्यीय लोकसभा में 204 सीटें हैं, लेकिन भाजपा 2014 या 2019 में इन सभी राज्यों में एक साथ 50 सीटों को पार नहीं कर सकी. बीजेपी सिर्फ 29 और 47 निर्वाचन क्षेत्र जीतने में ही कामयाब हो सकी. हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीजेपी ने 370 सीटें जीतने का चुनाव का जो लक्ष्य रखा है वो पूरा नहीं कर पाएगी. किशोर ने कहा कि 300 से ज्यादा सीटें बीजेपी जीतेगी. साथ ही किशोर ने यह भी कहा कि न तो बीजेपी पार्टी और न ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे हैं जिन्हें हाराया नहीं जा सकता हैं, उन्होंने बताया कि विपक्ष के पास भाजपा के रथ को रोकने की तीन संभावनाएं थीं, लेकिन विपक्ष ने बीजेपी को हराने के उन तीनों मौकों को गलत रणनीति के चलते गंवा दिया.
आंध्र प्रदेश में, जहां लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव होंगे, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के लिए वापस आना बहुत मुश्किल होगा. किशोर ने 2019 में रेड्डी के लिए काम किया था जब उनकी वाईएसआरसी पार्टी ने मौजूदा तेलुगु देशम पार्टी को हरा दिया था. रेड्डी, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरह, लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के बजाय, अपने मतदाताओं के लिए प्रोवाइडर मोड में चले गए हैं. किशोर ने इस बात की तुलना पुराने राजाओं से की, जो अपने लोगों की देखभाल खैरात और उदारता से करते थे, लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं. किशोर ने आगे कहा कि इसी तरह, रेड्डी लोगों को नकद देते है, लेकिन नौकरियां देने या राज्य के रुके हुए विकास को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया है.