बेकारी के सवाल पर युवा मंच ने दर्ज कराया प्रतिवाद
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, युवा मंच समेत तमाम संगठनों द्वारा प्रदेश में भयावह हो रही बेकारी के सवाल को हल करने की मांग पर जगह-जगह प्रतिवाद दर्ज कराते हुए मुख्यमंत्री को प्रशासनिक अधिकारियों व ईमेल, ट्विटर के जरिये पत्रक भेजे गए। इलाहाबाद में भी युवा मंच के संयोजक राजेश सचान की अगुवाई में बेकारी खासकर शिक्षित युवाओं के सवाल पर सरकार द्वारा कोई नीति न होने के मुद्दे पर प्रतिवाद दर्ज कराते हुए ईमेल के जरिये पत्रक भेजा गया। पत्रक में बैकलॉग पदों को तत्काल भरने, लंबित भर्तियों के धांधली व न्यायिक मामलों के निस्तारित कराकर जल्द से जल्द पूरा करने, गरीब कल्याण रोजगार गारंटी योजना में प्रदेश के सभी जनपदों को शामिल करने, शहरी बेरोजगारों के रोजगार के लिए कदम उठाने, मनरेगा में सभी जरुरतमंदों को काम की गारंटी व समयबद्ध मजदूरी का भुगतान जैसे मुद्दों को हल करने की मांग की गई। इस अवसर पर युवा मंच के संयोजक राजेश सचान ने कहा कि प्रदेश में बेकारी की समस्या बेकाबू हो रही है, ऐसे में लोगों को एक करोड़ रोजगार देने जैसे सरकारी आंकड़ों पर भरोसा नहीं हो पा रहा है। दरअसल पहले भी 50 लाख से ज्यादा रोजगार सृजन के दावे किए जाते रहे हैं, इसी तरह तकरीबन 2.5 लाख सरकारी नौकरी देने का भी दावा किया गया। लेकिन जमीनी हकीकत अलग ही है। फरवरी 2018 को हुई इंवेस्टर्स मीट जिसमें 4.28 लाख करोड़ निवेश के 1045 एमओयू पर समझौते हुए थे और 28 लाख रोजगार सृजन का लक्ष्य था, उसमें तो लाख दो लाख रोजगार का भी शायद ही सृजन हुआ हो। लाकडाउन के पहले भी प्रदेश में बेकारी की दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा थी और एक साल की अवधि में दुगना हो गई। उन्होंने कहा कि आंकड़ों को प्रस्तुत करने के बजाय ठोस कदम उठाने की जरूरत है। न सिर्फ प्रवासी मजदूरों और शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के सभी बेरोजगारों की समस्या को हल करने की जरूरत है बल्कि बैकलॉग पदों पर तत्काल चयन प्रक्रिया शुरू करने और लंबित भर्तियों को पूरा करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री भले ही नौकरी व रोजगार के सवाल पर बड़ी बड़ी बात कर रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि प्रदेश में 3 साल में शिक्षक भर्ती का एक भी नया विज्ञापन जारी नहीं हुआ है। यहां तक कि शिक्षा मित्रों के स्थान पर हो रही शिक्षक भर्ती और पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई लंबित भर्तियों को भी अभी तक पूरा नहीं किया गया। युवा मंच के अनिल सिंह, सुरेंद्र पाण्डेय, देवदत्त साहनी ने भी सरकार पर बेकारी के भयावह हो रहे संकट को हल करने में विफलता का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर सरकार ने अभी भी ठोस कदम नहीं उठाये तो हालात और बदतर होंगे। उन्होंने कहा कि महामारी के मद्देनजर युवाओं की आवाज को दबा देने की सरकार की कोशिश को कामयाब नहीं होने दिया जायेगा।