पीएम रोजगार योजना में प्रदेश के सभी जिले क्यों नहीं? आइपीएफ
पीएम के उद्घाटन के मौके पर पूरे प्रदेश में दर्ज कराया प्रतिवाद, पीएम को भेजा मांग पत्र
लखनऊ: पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा आज गरीब कल्याण रोजगार अभियान के उत्तर प्रदेश में उद्घाटन के अवसर पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट व मजदूर किसान मंच ने पूरे प्रदेश में केन्द्र सरकार को पत्रक भेजकर सर्वाधिक पिछड़े आदिवासी दलित बाहुल्य सोनभद्र, चंदौली समेत प्रदेश के अन्य जनपदों को शामिल नहीं करने पर प्रतिवाद दर्ज कराया।
इस प्रतिवाद कार्यक्रम को सोनभद्र जनपद के म्योरपुर ब्लाक में कृपा शंकर पनिका, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, दुद्धी में मंगरू प्रसाद गोंड़, पूर्व बीडीसी रामदास गोंड़, बभनी में इंद्रदेव खरवार, चतरा में जितेन्द्र धांगर व जितेन्द्र गुप्ता, नगंवा में कुंज बिहारी, घोरावल में कांता कोल, श्रीकांत सिंह व अमर सिंह गोंड़, राबर्ट्सगंज में महेन्द्र प्रताप सिंह और चोपन में जितेन्द्र चेरो, चंदौली जनपद के अतिपिछड़े क्षेत्र नौगढ़ में रामेश्वर प्रसाद व गंगा चेरो, चकिया में अजय राय, शहाबगंज में मार्कडेंय प्रसाद, सकलडीहा में आलोक राजभर, सीतापुर के मिश्रिख ब्लाक में मजदूर किसान मंच की नेता सुनीला रावत, मछरेटा में अर्चना गौतम, हरगांव में राधेश्याम राज, ऐलिया में राम सागर, महौली में आरसी गौतम, बिसंवा में रोशनी गुप्ता, सकरन में लल्लन वर्मा, परसेंडी में सत्य प्रकाश वर्मा, पिसावां में आशीष कुमार, सिंधौली में अनामिका सिंह, खैराबाद में विमला गौतम, गोंड़ा के कर्नलगंज में साबिर हुसैन, दयाराम वर्मा व आरिफ और परसपुर में कमलेश सिंह एडवोकेट व अमरनाथ सिंह, लखीमपुर खीरी के नकहा ब्लाक में मनीष वर्मा, बहराइच के महसी में राजकुमार सिंह, मऊ में बुनकर वाहनी नेता इकबाल अहमद, इलाहाबाद में युवा मंच के राजेश सचान, आगरा में ई0 दुर्गा प्रसाद व पूरन यादव, बाराबंकी में आइपीएफ नेता यादवेन्द्र सिंह यादव, लखनऊ में दिनकर कपूर ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया। इस प्रतिवाद कार्यक्रम के बारे प्रेस को जानकारी देते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डा0 बृज बिहारी ने आरएसएस-भाजपा की सरकार से सवाल पूछा कि वह बताए कि प्रदेश के अन्य जनपदों के प्रवासी मजदूरों को इस योजना में शामिल न करके क्यों बेसहारा छोड़ दिया गया।
उन्होंने इस योजना में महज 116 जनपदों को ही शामिल करने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जिन राज्यों में चुनाव है और जहां भाजपा की सरकार है ऐसे छः राज्यों के प्रवासी मजदूरों को इसमें शामिल करना राजनीतिक लाभ के लिए नही तो और क्या है। इस योजना के लिए आवंटित पचास हजार करोड पर भी जानकारों का कहना है कि इससे महज ज्यादा से ज्यादा दस दिन ही रोजगार मिलेगा. तब मोदी जी को बताना चाहिए कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए आनन-फानन में उनके द्वारा किए लाकडाउन के कारण जो अर्थव्यवस्था तबाह हो गयी और आजीविका का बड़ा संकट खड़ा हुआ है उससे क्या आधे अधूरे मन और अपनी खराब छवि को चमकाने के लिए लायी गयी इस योजना से निपटा जा सकता है। नेताद्वय ने कहा कि दरअसल आरएसएस-भाजपा का सरकार चलाने का माडल बुरी तरह विफल हुआ है।
पूरे प्रदेश में हुए कार्यक्रमो से मोदी सरकार से देश के हर जिले को इसमें शामिल करने, उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक पिछड़े सोनभद्र, चंदौली व बुदेलखण्ड़ को शामिल करने, मनरेगा में सालभर काम, सहकारी खेती को बढ़ावा देने, मनरेगा में हाजरी चढ़ाने और बकाया मजदूरी के तत्काल भुगतान व मुफ्त राशन को तीन माह और बढ़ाने की मांग की गयी।