दिलों से नफ़रत मिटाने के लिए भारत,पाकिस्तान महासंघ ही एकमात्र विकल्प है: राजनाथ शर्मा
भारत,पाकिस्तान,बांग्लादेश का महासंघ बनाओ सम्मेलन का आयोजन
फहीम सिद्दीकी
बाराबंकी। दिलों से नफ़रत को मिटाने के लिए भारत, पाकिस्तान महासंघ की अनिर्वायता ही एकमात्र विकल्प है। जिसे वैश्विक पटल पर वैचारिक चिंतन में लाने का प्रयास डा. राममनोहर लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय ने किया। हमें यह समझना चाहिए कि इतिहास की पुनरावृति नहीं होती। जो घटनाएं हो गई उसे कुरेदना नहीं चाहिए। बल्कि हमें अहिंसा, शांति, सौहार्द और तरक्की का रास्ता अपनाते हुए महासंघ बनाने का प्रयास करना चाहिए।
यह बात गांधी भवन में आयोजित भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश का महासंघ बनाओ सम्मेलन के संयोजक समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ने कही। श्री शर्मा ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने बेरोजगारी, गरीबी और आर्थिक मुद्दों पर भारत से वार्ता करने की बात कही। श्री शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नकारात्मक स्थिति में सुधार लाते हुए सकारात्मक सोच पैदा करनी चाहिए। ऐसे समय जब पाकिस्तान ने भारत से वार्ता का प्रस्ताव रखा है उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। जो वक्त की जरूरत है। जिससे दोनों मुल्कों में खुशहाली और तरक्की का रास्ता निकल सकता है। हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि पाकिस्तान हमारा मित्र देश है जबकि चीन हमारा दुश्मन देश है। चीन लगातार पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और बर्मा में अपनी अर्थ व्यवस्था को फैला रहा है, जिससे यह देश आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। श्री शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री को डॉ लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को आत्मसात करना चाहिए और महासंघ की दिशा में अपनी सहमति बनानी चाहिए। महासंघ एक अच्छा प्रयास होगा जिससे मुल्कों में युद्ध की संभावनाएं खत्म होंगी और खुशहाली का रास्ता निकलेगा।
सभा की अध्यक्षता कर रहे जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बृजेश दीक्षित ने कहा कि भारत विभाजन से दोनों मुल्कों को नुकसान उठाना पड़ा। आज भी कुछ लोग हैं जो देश को तोड़ने की बात करते हैं, ऐसे लोगों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। वह दिन जल्द आएगा जब महासंघ की अनिर्वायता को हमें स्वीकार करना पड़ेगा।
समाजसेवी हाजी सलाहउद्दीन किदवई ने कहा कि 1965 से समाजवादी नेता राजनाथ शर्मा को हिन्द पाक महासंघ के सम्मेलनों की निरंतरता के बाद भी कोई सार्थक निष्कर्ष न निकल पाने से उन्हें निराशा नहीं हुई बल्कि उनका मनोबल दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। उनके इस भागीरथी प्रयास से तीनों राष्ट्रों के बीच आपसी सौहार्द का कोई न कोई रास्ता अवश्य निकलेगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता हुमायूं नई खान ने कहा कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच महासंघ एक संवेदनशील मुद्दा है। आज हमारी आजादी खतरे में है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम देश के वातावरण को सही करें। तब जाकर हमारी आजादी सार्थक साबित होगी।
सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से विनय कुमार सिंह, अहमद सईद, मृत्युंजय शर्मा, नीरज दूबे, सत्यवान वर्मा, रामसरन रावत, वीरेन्द्र सिंह, निशात अहमद, राघवेन्द्र पाण्डेय, विनोद भारती, साकेत संत मौर्य, अशोक जासवाल, जलाल नईम खान, भागीरथ गौतम, तौफीक अहमद आदि कई लोग मौजूद रहे।