इस बार पोस्टल बैलेट और सर्विस वोट की क्यों बढ़ी भूमिका
टीम इंस्टेंटखबर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की गिनती 10 मार्च को है. वाराणसी में जहां दर्जनों EVM बरामद हुई हैं वहीँ बरेली में कूड़ा गाडी में पोस्टल बैलेट से भरे बक्से पकड़े गए हैं. समाजवादी पार्टी इस पर बड़ी आक्रामक हो गयी है और प्रशासन को सुरक्षा चूक की बात स्वीकार करनी पड़ी है. वहीँ कल से सोशल मीडिया पर #भाजपा चोर है तेज़ी से वायरल हो रहा है.
दरअसल 2022 के चुनाव नतीजों में पोस्टल बैलेट और सर्विस वोट की भूमिका बहुत अहम हो गयी है. आमने सामने की लड़ाई में एक एक वोट का बड़ा महत्व हो गया है, शायद यही वजह कि इस बार पोस्टल बैलेट और सर्विस वोट की संख्या काफी बढ़ गयी है जो नज़दीकी मुकाबलों में किसी भी उम्मीदवार की किस्मत का फैसला कर सकती है. पोस्टल बैलेट की संख्या बढ़ने की एक बड़ी वजह समाजवादी पार्टी की और से पुरानी पेंशन स्कीम बहाली का वादा बताया जा रहा है.
चुनाव आयोग ने पहली बार 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग, दिव्यांगों को पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग करने की सहूलियत दी थी. इसके साथ ही आवश्यक सेवाओं में लगे कार्मिक और चुनाव ड्यूटी में लगे कार्मिकों को पोस्टल बैलेट से मतदान करने की सुविधा दी गई थी. बुजुर्गों और दिव्यांगों ने घर पर, जबकि कर्मचारियों ने बूथ पर वोट डाला है.
वहीं यूपी के मूल निवासी जो दूसरे राज्यों में रहते हैं, चाहे वो सेना या अर्धसैनिक बलों के अफसर-जवान हो या सरकारी कर्मचारी, उन्हें मतदान की सुविधा के लिए सर्विस वोट जारी किए गए थे. ऑनलाइन बैलेट का प्रिंट आउट कराकर फिर वोट करके उसको डाक के जरिए अपने जिले में भेजा गया है. सर्विस वोट को एक तरह से डाक वोट भी कहा जाता है.
जानकारी के अनुसार हर चरण में पोस्टल बैलेट और सर्विस वोट कुछ इस तरह पड़े हैं ?
पहला चरण: इस चरण में 43 हजार 420 पोस्टल बैलेट पड़े हैं, जबकि 79 हजार 922 सर्विस वोट जारी हुए हैं.
दूसरा चरण: इस चरण में 47 हजार 615 पोस्टल बैलेट पड़े हैं, जबकि 23 हजार 249 सर्विस वोट जारी हुए हैं.
तीसरा चरण: इस चरण में 52 हजार 43 पोस्टल बैलेट पड़े हैं, जबकि 53 हजार 951 सर्विस वोट जारी हुए हैं.
चौथा चरण: इस चरण में 52 हजार 515 पोस्टल बैलेट पड़े हैं, जबकि 23 हजार 485 सर्विस वोट जारी हुए हैं.
पांचवां चरण: इस चरण में 52 हजार 757 पोस्टल बैलेट पड़े हैं, जबकि 27 हजार 331 सर्विस वोट जारी हुए हैं.
छठवां चरण: इस चरण में 64 हजार 611 पोस्टल बैलेट पड़े हैं, जबकि 42 हजार 124 सर्विस वोट जारी हुए हैं.
सातवां चरण: इस चरण में 62 हजार 750 पोस्टल बैलेट पड़े हैं, जबकि 51 हजार 28 सर्विस वोट जारी हुए हैं.
2017 के चुनाव में करीब 50 सीटें ऐसी थी जो 5 हजार से कम वोटों से बीजेपी ने जीती थी. इस बार पोस्टल बैलेट और सर्विस वोट के प्रतिशत को देखा जाए तो सभी 403 में से कई सीटों पर यह जीत-हार तय कर सकते हैं. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी (सपा) ने पोस्टल बैलेट और सर्विस वोट की गिनती को लेकर पहले ही फ्रिक शुरू कर दी है.
वोटों की गिनती को लेकर सपा ने इस बार पुख्ता रणनीति बनाई है. सपा के शीर्ष नेताओं ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि भाजपा की रणनीति है कि पोस्टल बैलेट में हेरफेर कर हर जिले में एक अतिरिक्त सीट जीती जाए, इस तरह वे 75 सीट धांधली से जीतने की कोशिश में हैं, इस कोशिश को फेल करना है.
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने सपा उम्मीदवारों को लिखी एक चिट्ठी में कहा है कि पोस्टल बैलेट के पास कोई भी चपरासी या बाबू को फटकने ना दें, अगर सावधानी नहीं रही तो कोई भी सपा के वोटों पर टिक लगा सकता है, जिससे वो अमान्य हो जाएगी और सपा को नुकसान हो जाएगा.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने भी पोस्टल बैलट की गिनती को लेकर अपने कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि कल सुबह 8 बजे से पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होगी, इसके 30 मिनट बाद ईवीएम मतगणना शुरू की जा सकती है, अपने-अपने टेबल पर सजगता व सतर्कता के साथ डटे रहें.
इस बार पोस्टल बैलेट को लेकर सपा खासी रणनीति बना रही है. दरअसल इसके पीछे पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) की बहाली का वादा है. सपा का मानना है कि उसके इस चुनावी वादे की वजह से सरकारी कर्मचारियों ने उनके पक्ष में जबरदस्त वोटिंग की है. ऐसे में उसकी पूरी रणनीति पोस्टल बैलेट की गिनती पर है.