शिक्षा के माध्यम से समानता का भाव पैदा किया जा सकता है – मौलाना यासूब अब्बास
अवसरों की असमानता और लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां विषय पर शिया कालेज में आनलाइन माध्यम से दो दिवसीय वेबीनार शुरू
लखनऊ। शिया पी. जी. कालेज में आज से दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन शुरू किया गया। उद्घाटन लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने किया। वेबीनार का मुख्य विषय ‘‘अवसरों की असमानता और लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां’’ रही, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं जेएनयू के प्रोफेसर रवि श्रीवास्तव एवं उत्तराखण्ड सरकार में कार्यरत श्री सनत कुमार सिंह ने विषय विशेषज्ञ के रूप में विषयगत विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे। महाविद्यालय द्वारा आयोजित वेबिनार के उद्धघाटन सत्र की अध्यक्षता प्रो. अजीज हैदर, अध्यक्ष, बोर्ड आफ ट्रस्टीज, शिया पी.जी. कालेज ने किया।
आनलाइन माध्यम ‘‘जूम’’ और फेसबुक लाइव पर आयोजित इस वेबीनार की शुरूआत डॉक्टर एम.एम. एजाज अब्बास द्वारा परंपरागत रूप से तिलावते कुरान से की गई। महाविद्यालय के प्रबंधक सैयद अब्बास मुर्तजा शम्सी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश के भिन्न-भिन्न प्रांतों से 500 से अधिक प्रतिभागियों का एक साथ एक प्लेटफार्म पर जुड़ना इस वेबीनार की गंभीरता को दर्शाने वाला है। प्रोफेसर ऐ. के. राय, कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय ने इस कठिन समय में इतने शानदार वेबिनार का आयोजन के लिए शिया कॉलेज को बधाई दी। वेबिनार के विषय पर उन्होंने कहा कि कोरोना से सबक लेकर बराबरी की बुनियाद तैयार करने की जरूरत है ।
मौलाना यासूब अब्बास, सेक्रेटरी, मजलिसे उलेमा ने कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है जो भेदभाव रहित लोगों में समानता का भाव लाने का कार्य करता है। शिया महाविद्यालय हमेशा समानता का पक्षधर रहा है और अपने 100 वर्षों के सफर में आजतक बिना किसी भेदभाव के वह शिक्षा व्यवस्था को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है।
मुख्य वक्ता एवं अर्थशास्त्री प्रोफेसर रवि श्रीवास्तव ने कहा कि वर्तमान दौर पूंजीवादी और नव उदारवाद का है, जिसका आधारभूत ढांचा ही गैर बराबरी का है। महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों का कार्यस्थल पर भेदभाव सीधे तौर पर देखा जा सकता है। पिछले 20 वर्षों में महिलाओं के रोजगार के मामले में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। जहां 1999-2000 में यह दर 40 प्रतिशत थी, वहीं अब यह 23 प्रतिशत ही रह गई है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की दलित और वंचित महिलाएं विशेष रूप से रोजगार के फ्रेम से दूर हुई है। पहले सफाईकर्मी रेगुलर कर्मचारी हुआ करते थे और उनके साथ उनके परिवार का जीवनस्तर सुधर रहा था, परंतु अब ठेके पर मामूली मानदेय पर उनसे सेवाएं ली जा रही हैं। पिछले 60 वर्षों के संघर्षों के बाद हमने शिक्षा का अधिकार तो पा लिया, लेकिन गुणवत्तापरक शिक्षा अभी भी नहीं दे पा रहे हैं। क्योंकि देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का पैमाना फीस क्षमता को रखा गया है। जब तक काबिलियत को शिक्षा का पैमाना नहीं बनाया जायेगा, गैर बराबरी को नहीं दूर किया जा सकता है। प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना महामारी हमें सबक लेना चाहिये कि कोई भी बड़ा-छोटा नहीं होता, सभी को समानता का अधिकार मिलना चाहिये।
पैनल एक्सपर्ट सनत कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में लोकतंत्र होने के नाते हम सभी का अधिकार है कि हमें बराबरी का अवसर मिले। इसके लिए बुनियादी तौर पर सबको शिक्षा, सबको रोजगार और सबको स्वास्थ्य देने की व्यवस्था करने की जरूरत है। बिना इसके बराबरी के अवसर की बात बेमानी लगती है। श्री सिंह ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से देश में गैर बराबरी की स्थिति का उल्लेख करते हुए समानता के अवसर तैयार करने की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. अजीज हैदर ने कहा कि शिक्षा समेंत लगभग सभी व्यवस्था में कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। कुछ से रेगुलर, कुछ से संविदा और कुछ से ठेके से सेवाएं ली जा रही हैं, जिससें समान काबिलियत होने के बाद भी भेदभाव बुनियाद में ही तैयार कर दिया गया है। ऐसे माहौल में बेहतर परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती है। सरकार को समान पोस्ट क्रियेट कर भेदभाव को दूर करना चाहिये। डाॅ. एम.एम. अबु तैयब, निदेशक, सेल्फ फाइनेंस ने लाॅकडाउन के दौर में भी इस विचार उद्गार को ऐतिहासिक बताते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्राचार्य डाॅ. तलअत हुसैन नकवी, डाॅ. शोएब अहमद, डा एस एम हसनेन आदि शामिल रहे।
वेबीनार के आयोजन सचिव डाॅ. प्रदीप शर्मा ने बताया कि उद्घाटन सत्र के बाद दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। पहले सत्र का संचालन किया डाॅ. वसी रजा ने और विषय विशेषज्ञ के रूप में बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यायल के प्रो कामेश्वर चैधरी शामिल हुए। 20 से अधिक शोध पत्र पढ़े गये। इस सत्र का विशेषज्ञों के साथ प्रतिभागियों का आभार डाॅ. हसन रजा, विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र, ने ज्ञापित किया।
दूसरे सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. अली मेंहदी शामिल रहे। सत्र का संचालन डाॅ. नूरीन जैदी ने किया। डा सादिक हुसैन आब्दी , डा शोएब अहमद ने भी सत्र को संबोधित किया । अध्यक्षता और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. एस.एम. हसनैन, प्राचार्य, शिया कालेज आफ लाॅ ने किया।
डाॅ. प्रदीप शर्मा ने बताया कि वेबीनार के दूसरे दिन रविवार को दो तकनीकी सत्रों के आयोजन के साथ अपरान्ह 3.30 बजे ई-स्मारिका के विमोचन के साथ समापन सत्र का आयोजन किया जायेगा।