रिटेल सेक्टर में बढ़ता विदेशी निवेश स्वदेश के लिए खतरे की घंटी
ज़ीनत शम्स
भारत एक विकासशील देश है और जनसँख्या अधिक होने के कारण यहाँ पर खुदरा व्यापार का क्षेत्र बहुत बड़ा है| भारत में लगभग 6 करोड़ खुदरा दुकानदार हैं और लगभग 40 हज़ार ट्रेडर हैं | भारत का खुदरा व्यापार अभी असंगठित है लेकिन बड़ा बाज़ार होने के कारण विदेशी कम्पनियाँ भारत में निवेश करने के लिए ललायित रहती हैं | भारत में इन कंपनियों को सस्ता श्रम, टैक्स में छूट मिलती है जिससे इनको भारी मुनाफा कमाने का मौक़ा मिलता है|
सरकार ने खुदरा व्यापार में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा को बढ़ाकर 100 प्रतिशत तक कर दिया है जिससे खुदरा सेक्टर में निवेश बढ़ रहा है | इसी कड़ी में रिलायंस जिओ मार्ट में फेसबुक ने 9.99 प्रतिशत की हिस्सेदारी 5.7 बिलियन डॉलर ( 43574 करोड़ रूपये) में ली है | इन दोनों दिग्गज कंपनियों के साथ व्हाट्सएप्प भी आ गया जिसके द्वारा भी आप खरीदारी कर सकते हैं और पेमेंट कर सकते हैं|
रिलायंस जिओ मार्ट के द्वारा दुकानदार अपनी दूकान को जिओ मार्ट से जोड़ सकते हैं| इसकी शुरुआत अभी मुंबई में हुई है और बहुत जल्द देश के बड़े शहरों में 3 करोड़ खुदरा दुकानदारों को जोड़ने की योजना है| रिलायंस का उद्देश्य consumer के नज़दीकी दुकानदारों को अपने साथ जोड़ने का है|
बहुराष्ट्रीय ई-कामर्स कंपनी अमेज़ॉन भी अपने नए प्रोजेक्ट” अमेज़ॉन लोकल शॉप” पर काम कर रही है| उसकी योजना देश के 100 शहरों में पांच हज़ार रिटेलर्स को अपने साथ जोड़ने की है | खुदरा व्यापार को संगठित करने और डिजिटलाइज करने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी एक “ई-रिटेल ‘ नाम से शॉपिंग स्टोर खोला गया है जिसे गाँव का ही कोई व्यक्ति कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से चलाएगा | सामान को पहुंचाने का डिलीवरी चार्ज लिया जायेगा और आपके घर पर दूध, राशन, सब्ज़ी पहुँच जाएगी
विदेशी निवेश से चलने वाले ऑनलाइन कारोबार की वजह से छोटे दुकानदारों की कमाई का एक चौथाई हिस्सा पहले ही छिन चूका है| यह ई- कामर्स कम्पनियाँ सामान खरीदती नहीं केवल बेचती हैं | कंपनी से यह सीधे सामान खरीदती हैं और डिस्काउंट ऑफर लाकर सामान बेचती हैं | ई- कामर्स प्लेटफॉर्म्स पर सस्ता सामान मिलने के कारण ऑनलाइन शॉपिंग का चलन बढ़ गया है|
शहरों में बढ़ती भीड़, जाम लगने का झंझट, समय की कमी, बाज़ारों से घरों की दूरी और पार्किंग की समस्या से भी ऑनलाइन शॉपिंग का चलन बढ़ा है |
बड़ी कंपनियों के भारत में निवेश से अभी तो लोग खुश हैं लेकिन आने वाले समय में पता चलेगा कि इस निवेश का छोटे दुकानदारों पर कितना बुरा प्रभाव पड़ा ? बड़े निवेशक व्यापार के आरम्भ में सामान को डिस्काउंट पर बेचते हैं जिससे बाजार में कम्पटीशन बढ़ता है और छोटे दुकानदार इस कम्पटीशन में बाजार से बाहर हो जाते हैं |
रिटेल सेक्टर सबसे ज़्यादा रोज़गार उपलब्ध करने वाला क्षेत्र है| बड़े निवेशक आएंगे और उन्नत टेक्नोलॉजी काम करेंगे जिससे इस सेक्टर में बेरोज़गारी बढ़ेगी | जो लोग अपना व्यापार कर रहे हैं उन्हें इन बड़े व्यापारियों के लिए जगह छोड़नी पड़ेगी| विदेशी निवेशक केवल उन्हीं राज्यों में निवेश के लिए आगे आते हैं जहाँ के लोग हाई स्किल और साधन संपन्न होते हैं जैसे मुंबई, गुजरात, दिल्ली आदि| इनकी दिलचस्पी यूपी, बिहार और झारखण्ड जैसे राज्यों में कम होती है | इस तरह की निवेश योजनाओं से अपने देश का सौहार्द भी खराब होता है क्योंकि अमीर और अमीर हो जाता है जबकि गरीब और गरीब |
बड़ी कपनियां मार्केट में अपनी मोनोपोली बनाना चाहती हैं | पहले दाम कम रखेंगी और जब प्रोडक्ट स्टैब्लिश हो जाता है तो दाम बढ़ा देती हैं | विदेशी कम्पनियाँ जो निवेश करेंगी और उससे जो प्रॉफिट होगा उसे वह अपने देश ले जाएँगी जिसका हमारी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा| भारत में किसी विदेशी सेलर की ज़रुरत नहीं क्योंकि हम स्वयं अपनी ज़रूरतें पूरी करने में सक्षम हैं| इन कंपनियों के लुभावने ऑफर में फंसने वाले किसानों को आरंभिक लाभ अवश्य होगा लेकिन बाद में वह इन कंपनियों के हाथों की कठपुतलियां बन जाएँगी|
विदेशी निवेश इंफ़्रा, रियल इस्टेट आदि में तो ठीक था लेकिन खुदरा व्यापार से भारत के छोटे छोटे लोग जुड़े हैं जिसमें पान की गुमटी वाला, छोटी सी किराना दुकान चलाने वाला , वह व्यक्ति जो रिटायरमेंट के बाद अपनी आजीवका के लिए घर में ही कोई दूकान खोलता है| वह अकेला व्यक्ति जो ज़रूरत का सामान बेचकर अपना जीवकोपार्जन कर रहा है | वह महिलाऐं जो घर के साथ साथ छोटी सी दूकान खोलकर, सिलाई करके, बुटीक खोलकर अपने घर की ज़रूरतें पूरी करती हैं या वह विकलांग व्यक्ति जो कहीं आ जा नहीं सकता, वह अपने घर के ही किसी भाग में कुछ सामान बेचकर गुज़ारा कर रहा है| यह सब कहाँ रजिस्ट्रेशन कराएँगे , कैसे अपने को डिजिटल करेंगे और भी बहुत से लोग जो ट्रेडर का सामान दुकानदारों को सप्लाई करते हैं वह सब कहाँ जायेंगे? सरकार का यह क़दम पैसे वालों को और पैसे वाला तो बनाएगा लेकिन एक साधारण मेहनतकश व्यक्ति से उसकी आजीविका छीन लेगा |
भारत में पहले से ही बहुत बेरोज़गारी है, यह क़दम बेरोज़गारी को और बढ़ाएगा | रिटेल सेक्टर में छोटे दुकानदारों को शामिल करके बड़े बिजनेसमैन को वेयरहाउस का झंझट नहीं रहेगा और सामान नज़दीक से उठाने से डिलीवरी का खर्च कम आएगा और न ही किराएदारी का झंझट| आलेख का सार यही है कि रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेशकों को बढ़ावा देने का मतलब यही है कि बड़े कारोबारी को हिस्सा दिए बिना छोटा दूकानदार व्यापार नहीं कर सकता|