जनता हो सकती है भुखमरी का शिकार: एनसीपी
लखनऊ: फीसदी भारतीय नागरिक, देश के असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। ये वो लोग हैं, जो समाज के सबसे गरीब लोग हैं और जो किसी भी आर्थिक झटके से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। ये लोग दिहाड़ी, हफ्तावार या माहवारी मजदूरी पर गुजर-बसर करते हैं। और इनके पास अचानक लाॅकडाउन के चलते आमदनी बंद होने से आई किसी मुश्किल का सामना करने के लिए बचत के नाम पर या तो कुछ नही है या फिर मामूली सी रकम है, जब लॉकडाउन के कारण देश में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो हो गई हैं तो भारतीय समाज का यही वो तबका है, जो इस लॉकडाउन के दौरान सबसे मुश्किल में दौर से गुजर रहा है और इनकी सुरक्षा और सुविधा के नाम पर सरकार जो भी कार्य करी है वह सूई की नोंक के बराबर है यह जानकारी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष उमाशंकर यादव ने दी है।
श्री यादव ने कहा है कि अगर भाजपा सरकार इन लोगों का भला सोच कर काम कर रही होती, तो उसे कोरोना वायरस का प्रकोप रोकने के लिए, लॉकडाउन के एलान से पहले, देश के इस सबसे कमजोर तबके की मदद के लिए आर्थिक पैकेज और उसे लागू करने के संसाधनों का जुगाड़ कर लेना चाहिए था लेकिन, केंद्र की बीजेपी सरकार ने ऐसा करने में घोर लापरवाही बरती, लॉकडाउन के कारण मजदूरों और गरीबों में बेचैनी और उनके अपने अपने ठिकाने छोड़ कर पलायन करना बिना योजना के लागू हुए लॉकडाउन में अब सबके सामने आ गये है। अगर यही हाल रहा तो कुछ ही दिनों के भीतर परिस्थिति इतनी बिगड़ सकती है कि लोग पैसों के अभाव और भुखमरी के शिकार हो सकते हैं।