अर्थव्यवस्था को लेकर लोगों में बढ़ती जा रही है निराशा
नई दिल्ली: कोरोना के कारण देश और दुनिया की इकॉनमी पस्त हो चुकी है। सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तमाम कोशिशों के बावजूद इकॉनमी की गाड़ी रफ्तार नहीं पकड़ रही है। रिजर्व बैंक की हाल में समाप्त हुई मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में कहा गया है कि भारत का कंज्यूमर कॉन्फिडेंस जुलाई में रेकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच चुका है। इकॉनमी को लेकर निराशा की भावना बढ़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक अभी लंबे समय तक लोग गैर जरूरी सामान खरीदने में इंट्रेस्ट नहीं दिखाएंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह सेंटिमेंट लगातार गिरता जा रहा क्योंकि सरकार की तरफ से शुरुआत के दो महीने के लिए बहुत कड़े लॉकडाउन लगाए गए थे। जुलाई के महीने में कंज्यूमर सेंटिमेंट घटकर 53.8 पर पहुंच गया था। कंज्यूमर सेंटिमेंट इंडेक्स 100 के ऊपर होने का मतलब इकॉनमी को लेकर आशावादी विचार है। अगर यह 100 के नीचे होगा तो निराशा को दिखाता है।
आरबीआई के कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि इकॉनमी और रोजगार के मोर्चे पर अभी और बुरी खबरें आ सकती हैं। राहुल गांधी ने पीपल्स कॉन्फिडेंस लेवल से जुड़े एक ग्राफ को शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘आरबीआई ने ‘देश के असल मूड’ का खुलासा किया है: लोगों का कॉन्फिडेंस अबतक के सबसे निचले स्तर पर। भय और असुरक्षा अब तक के सबसे उच्च स्तर पर। इकॉनमी और जॉब के फ्रंट पर और बुरी खबरों की आशंका।’
रिजर्व बैंक के सामने इकॉनमी को लेकर अभी तमाम समस्याएं हैं। महंगाई दर लगातार बढ़ रही है। आरबीआई ने 4 फीसदी (+/-2 पर्सेंट) का लक्ष्य रखा है जिसका अपर लिमिट 6 पर्सेंट और लोअर लिमिट 2 पर्सेंट है। जून के महीने में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI आधारित महंगाई दर 6.09 फीसदी थी। ऐसे में आरबीआई रीपो रेट कट का रिस्क नहीं लिया।
हाल में एक रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक, भारतीय उद्योग जगत (Indian industry) में इस समय घोर निराशा का दौर है। नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकॉनमिक रिसर्च (NCAER) के बिजनस कॉन्फिडेंस इंडेक्स (बीBCI) के मुताबिक इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पूरे उद्योग जगत में बिजनस सेंटीमेंट (Business sentiment) 1991 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। NCAER ने शुकवार को एक बयान में कहा कि बिजनस सेंटीमेंट में एक साल पहले की तुलना में 62 फीसदी की भारी गिरावट आई है और जून तिमाही में बीसीआई 46.4 अंक पर रहा। तिमाही आधार पर इसमें 40.1 फीसदी की कमी आई है। वित्त वर्ष 2020 की अंतिम तिमाही में उससे पहले की तिमाही की तुलना में 30.4 फीसदी गिरावट आई थी।