लखनऊ: कल विधानसभा के सामने दो महिलाओं द्वारा आत्मदाह करने और प्रदेश में कोरोना महामारी में इलाज ना मिलने से लोगों की लगातार हो रही मौतों पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी (s r darapuri) ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार चलाने का आरएसएस का योगी मॉडल पूरे तौर पर ध्वस्त हो गया है क्योंकि ना तो कानून व्यवस्था के मोर्चे पर और ना ही कोरोना महामारी में स्वास्थ्य के मोर्चे पर प्रदेश में सरकार दिख रही है. पूरे प्रदेश में जो हालात है उससे सरकार का इकबाल खत्म हो गया है और इसलिए इस सरकार ने सत्ता पर रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में चौतरफा विफल डरी हुई योगी सरकार की पूरी ताकत राजनीतिक वैचारिक विरोध करने वाली शक्तियों का दमन और उत्पीड़न करने में लगी हुई है. राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के ऊपर लगातार फर्जी मुकदमे कायम किए जा रहे हैं, उन्हें जेल भेजा जा रहा है और एनएसए (NSA)जैसे काले कानूनों को लगाकर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. वहीं उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. एफआईआर (FIR) दर्ज कराने के बावजूद अपराधियों, माफियाओं हिस्ट्रीशिटरों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है. कानपुर में अपहरणकर्ताओं से छुडानें के लिए खुद पुलिस फिरौती की रकम पीड़ित परिवार से जुटवाती है और बाद में पुलिस की मौजूदगी में रकम लेकर अपहरण कर्ता भाग जाते हैं. सोनभद्र (sonbhadr) के घोरावल के गाँव परसौना में भाजपा राज्यसभा सासंद खुद आदिवासियों को उनकी पुश्तैनी जमीन से बेदखल करने के लिए प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं. आदिवासी नरसंहार के कारण चर्चा में आए उभ्भा में अभी भी आतंक का माहौल है और विधि विरूद्ध जमीन का आवंटन कर पुलिस के बल पर जबरन बेदखली की जा रही है. हालत इतनी बुरी हो गई है कि पीड़तों की सुनवाई न होने के कारण वह मुख्यमंत्री के कार्यालय पर आत्मदाह करने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

उन्होंने कहा कि निवेश का बड़ा दावा करने वाली सरकार में कर्मचारियों का वेतन तक नहीं दिया जा रहा. महिला सशक्तिकरण (women empoerment) का सच यह है कि तीन लाख महिला आंगनबाड़ियों का मानदेय रोक दिया गया है. 181 वूमेन हेल्पलाइन व महिला सामख्या के महिला कर्मचारियों को एक साल से वेतन नहीं मिला है. खुद सीएम हेल्पलाइन कर्मियों का वेतन बकाया है. सरकार में जारी भारी कमीशनखोरी के कारण निवेशक प्रदेश से पलायन कर रहे हैं. 108,102,1090 व 181 चलाने वाली सेवा प्रदाता कम्पनी द्वारा अपना काम बंद करना इसका ताजा उदाहरण है.

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने में सरकार की नीति पूरी तौर पर विफल साबित हुई है. हालत यह है की इस संकटकालीन समय में निचले स्तर के प्रशासनिक अधिकारी आपदा में भी भ्रष्टाचार के अवसर तलाश रहे हैं . चंदौली जनपद में थर्मल स्कैनिंग के लिए उपयोग होने वाले उपकरण में घोटाला (scame) सामने आया है. राजधानी लखनऊ तक में लोगों को इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है और एंबुलेंस में ही लोगों की तड़पती तस्वीरें सामने आ रही हैं. डाक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ सुरक्षा उपकरणों के अभाव में बेमौत मर रहे हैं. नाकाम सरकारी व्यवस्था में लोगों को होम कोरंटाइन होने का अधिकार देने की जगह सरकार का जोर मुकदमें कायम करने पर है.

उन्होंने कहा कि संवेदनहीनता की स्थिति यह है कि लोगों की जान बचाने व न्याय देने की जगह कोरोना महामारी की भयावह हालत में सरकार के मंत्री वर्चुअल रैलियां कर रहे हैं. इन रैलियों में की जा रही स्वत: सुखाय बयानबाजी और जमीनी हकीकत में जमीन आसमान का फर्क है. वास्तव में तो प्रदेश में कहीं भी ऐसा नहीं लग रहा है कि कोई सरकार काम कर रही है. ऐसी स्थिति में उन्होंने प्रदेश में सभी विपक्षी दलों और लोकतांत्रिक संगठनों से अपील की है प्रदेश पर बोझ बन चुकी इस सरकार के विरूद्ध आजीविका और लोकतंत्र के सवाल पर मिलकर अभियान संगठित करें और प्रदेश को बर्बाद होने से बचाएं.